श्रीलंका को ऋण के जाल में फिर से फांसने के लिए चीन तैयार, जानें क्या है ड्रैगन का अगला दांव
कोलंबो, 16 अगस्तः आजादी के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को अभी भी निचोड़ लेने से एशिया का सबसे मजबूत देश चीन बाज नहीं आ रहा है। जहां एक तरफ जहां श्रीलंका के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर चीन की कोशिश है कि श्रीलंका के साथ एक बार फिर ऋण के मामले पर बातचीत की जाए। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार चीन, श्रीलंका के साथ ऋण पुनर्गठन को लेकर बातचीत कर सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए चीन द्वारा श्रीलंका को राहत देने के आड़ में अपना आर्थिक गुलाम बना सकता है।
चीन का कर्ज सबसे ज्यादा
बता दें कि उधारदाताओं में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य बहुपक्षीय, जैसे विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक भी शामिल हैं, लेकिन इसमें चीन का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। चीन द्वारा श्रीलंका की बुरी आर्थिक हालत के बारे में हाल ही में एक साक्षात्कार में आईएमएफ के एक अधिकारी ने कहा, 'श्रीलंका को ऋण पुनर्गठन के मामले पर चीन के साथ आक्रामक रूप से बातचीत करने की जरुरत है। श्रीलंका का कुल कर्ज 81 बिलियन अमरीकी डॅालर से अधिक होने की उम्मीद है और सरकार का ब्याज भुगतान बिल दुनिया में सबसे अधिक है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 7 फीसदी है।
ऋण चुकाने की स्थिति में नहीं है श्रीलंका
श्रीलंका पर निजी लेनदारों का लगभग 12.3 बिलियन अमरीकी डालर बकाया है। वहीं, वार्षिक विदेशी ऋण भुगतान 2009 में 1.3 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर साल 2020 में 4.1 बिलियन अमेरिकी डॅालर हो गया है। चीन के पास श्रीलंका के कुल केंद्र सरकार के ऋण का लगभग 6.2 फीसदी यानी कि 670 मिलियन डॉलर है। वहीं, चीन के एक्जिम बैंक और चीन विकास बैंक जैसे चीन के स्वामित्व वाले संस्थानों के माध्यम से यह ऋण बेहद अधिक हो जाता है जो कि 7 बिलियन डॉलर के बराबर है। कुछ दिनों पहले श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा था कि देश विदेशी कर्ज के भुगतान की स्थिति में नहीं है। इनमें विदेशों से लिया ऋण भी शामिल है।
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