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13 हजार सैटेलाइट्स लॉंच कर अंतरिक्ष को पाट देगा चीन, ड्रैगन के प्लान को देख वैज्ञानिकों ने पकड़ा माथा

चीन के इस प्रोजेक्ट को 'मेगाकॉन्स्टेलेशन' कहा जा रहा है, जिसका मतलब हजारों सैटेलाइट्स के एक विशालकाय नेटवर्क होता है, जो इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए पृथ्वी की लंबाई और चौड़ाई को कवर करता है।

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वॉशिंगटन/बीजिंग, जनवरी 29: अंतरिक्ष की दुनिया का शहंशाह बनने के लिए चीन एक मेगा प्रोजेक्ट लॉंच करने की तैयारी में हैं, जिसके तहत अंतरिक्ष के लोअर ऑर्बिट में करीह 13 हजार सैटेलाइट्स को इंस्टाल किया जाएगा। चीन के इस मेगा प्रोजेक्ट ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है और सबसे बड़ी चिंता है जासूसी। इन सैटेलाइट्स के जरिए चीन जान सकता है, कि भारत के सबसे ग्रामीण इलाके में एक घर के आंगन में खेल रहे बच्चे के हाथ में कौन सा खिलौना है, लिहाजा सवाल ये उठ रहे कि क्या चीन को रोकना अब संभव है? (सभी तस्वीर- फाइल)

13000 सैटेलाइट्स करेगा इंस्टाल

13000 सैटेलाइट्स करेगा इंस्टाल

चीन एक ऐसे मिशन की शुरुआत कर रहा है जिसने जासूसी को लेकर नए सिरे से बड़ी चिंता तो जन्म दे दिया है। ब्रिटिश अखबार डेली मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन 13,000 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। चीन की ये योजना एक 'मेगाकॉन्स्टेलेशन' है, जिसके तहत ये चीनी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष के निचली कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और सारी जानकारियां चीन के कमांड सेंटर में भेजेगा। चीन पहले से ही अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन का निर्माण कर रहा है, जिसका काम इस साल पूरा हो जाएगा और चूंकी चीन के सारे मिशन सीक्रेट रहते हैं, लिहाजा दुनियाभर के स्पेस वैज्ञानिकों में चीन के इस मिशन को लेकर चिंता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, चीन की जिस कंपनी को इस काम की जिम्मेदारी मिली है, उसने कहा है कि, मिशन का मुख्य लक्ष्य पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में वर्चस्व स्थापित करना ही मुख्य मकद है।

5जी नेटवर्क को मजबूत करना है मकसद : चीन

5जी नेटवर्क को मजबूत करना है मकसद : चीन

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस (SASTIND) ने छोटे उपग्रहों के व्यवस्थित तरीके से लोअर ऑर्बिट में इंस्टालेशन की बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, इन सैटेलाइट्स के जरिए पृथ्वी के ज्यादातर हिस्से पर काफी बारीकी से निगरानी करने की क्षमता भी चीन को हासिल हो जाएगा और वो धरती के ज्यादातर हिस्से में किस वक्त क्या हो रहा है, उसके बारे में आसानी से जान जाएगा। हालांकि, चीन का कहना है कि, वो 5जी नेटवर्क को मजबूती के साथ विकास कर रहा है, लेकिन पूरी दुनिया को पता है कि, चीन का असल मकसद क्या है। वहीं, रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, नेटवर्क क्या कवर करेगा और यह कैसे काम करेगा, इसके बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य नेटवर्क गैप को भरना होगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी 5G नेटवर्क सेवाओं को मजबूत करने का दावा चीन की तरफ से किया गया है।

क्या स्पेसएक्स की तरह है चीन का प्लान?

क्या स्पेसएक्स की तरह है चीन का प्लान?

चीन की योजना के अनुसार, उसके 12 हजार 992 सैटेलाइट्स एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स- स्टारलिंग के सैटेलाइट्स की तरह ही पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में परिक्रमा करेंगे और उसके जरिए चीन 5जी नेटवर्क का विकास करेगा। चीन की तरफ से आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, इन सैटेलाइट्स की रेंज पृथ्वी की सतह से 498.89 किलोमीटर से 1144.24 किलोमीटर के बीच होगी। डेली मेल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, कुछ फर्मों को चीन के चोंगकिंग शहर में सैटेलाइट्स के निर्माण का ठेका भी दे दिया गया है और उसका काम भी शुरू हो चुका है।

क्या होता है 'मेगाकॉन्स्टेलेशन'?

क्या होता है 'मेगाकॉन्स्टेलेशन'?

आपको बता दें कि, चीन के इस प्रोजेक्ट को 'मेगाकॉन्स्टेलेशन' कहा जा रहा है, जिसका मतलब हजारों सैटेलाइट्स के एक विशालकाय नेटवर्क होता है, जो इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए पृथ्वी की लंबाई और चौड़ाई को कवर करता है। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स स्टारलिंक वर्तमान में सबसे विकसित कंपनी है, जिसके पास इस वक्त करीब 2 हजार सैटेलाइट्स है और अब चीन की कोशिश करीब 13 हजार सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष के लोअर ऑर्बिट में इंस्टाल करने की है।

चीन के प्रोजेक्ट से क्या है चिंताएं?

चीन के प्रोजेक्ट से क्या है चिंताएं?

अंतरिक्ष के लोअर ऑर्बिट को सैटेलाइट्स से पाट देने की चीन की ये प्लानिंग कोई नई नहीं है। चीन ने पहली बार साल 2020 में पहली बार दो इंटरनेशनल टेलिकम्यूनिकेशन यूनियन में स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन दिया था। लेकिन अब पता चल रहा है कि, आवेदन देने से पहले ही चीन अपने देश की कंपनियों को सैटेलाइट्स बनाने और उन्हें लोअर ऑर्बिट में इंस्टाल करने का ठेका दे चुका है। यानि, चीन ने जो आवेदन दिया था, वो सिर्फ एक ढोंग है और इसी बात को लेकर दुनियाभर की सरकारें और वैज्ञानिक चिंता में हैं। क्योंकि, इससे साफ पता चलता है कि, चीन का मकसद कुछ और ही है।

जासूसी करने की प्लानिंग

जासूसी करने की प्लानिंग

संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों का मानना ​​है कि, पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में सैटेलाइट्स का जाल बनाकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार पूरी दुनिया की जासूसी करने की कोशिश में है और वो दुनिया में एक एक इंच में क्या हो रहा है, इसके बारे में जान और समझ सकता है। चीन के संबंध दुनिया के किसी भी देश के साथ अच्छे नहीं हैं। या तो दर्जनों छोटे देश चीन के कर्ज के दलदल में फंसे हुए हैं या फिर जो बड़े देश हैं, चीन के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है, लिजाहा चीन की कोशिश हर वक्त अपने दुश्मनों की जासूसी करने की होती है और इस काम के लिए चीन कुख्यात भी रहा है।

पहले ही हैं दो ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट

पहले ही हैं दो ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट

चीन अंतरिक्ष से पृथ्वी पर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखता रहा है। इसके लिए वह पहले ही दो अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट्स गाओफेन को लॉन्च कर चुका है। चीन का दावा है कि ये उपग्रह समुद्री आपदाओं, समुद्री पर्यावरण और जल संरक्षण की निगरानी करते हैं। लेकिन, कई वैज्ञानिक चीन के इस दावे को गलत मानते हैं और कई वैज्ञानिकों का मानना है कि, इन सैटेलाइट्स के जरिए चीन लगातार जासूसी करता रहता है।

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English summary
China has planned to launch 13,000 satellites in the Earth's lower orbit, which is worrying scientists around the world.
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