अंतरिक्ष में बेकाबू हुआ चीन का 25 हजार किलो का रॉकेट, धरती पर कहीं भी गिरने की आशंका, मचेगी तबाही?
पिछले साल से पहले भी चीन का रॉकेट बेलगाम होकर उपद्रव मचा चुका है और वो रॉकेट भी लॉंग मार्च 5बी सीरिज का ही था, जिसका गोला काफी देर तक आइवेरी कोस्ट में आसमान पर दिखाई देता रहा।
बीजिंग, जुलाई 29: चीन का 25 हजार किलो का रॉकेट अंतरिक्ष में बेकाबू हो गया है और ये विशाल चीनी रॉकेट धरती पर कहीं भी गिर सकता है, जिसको लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक परेशान हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का बेकाबू हो चुका 25 टन का ये रॉकेट अगले दो दिनों में धरती के किसी भी हिस्से में गिर सकता है। इस चीनी रॉकेट को 24 जुलाई को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था और इस रॉकेट का मकसद लैब मॉड्यूल को उस अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचाना था, जिसका निर्माण चीन कर रहा है। हालांकि, रॉकेट ने लैब मॉड्यूल को जरूर चीन के निर्माणाधीन स्पेस स्टेशन तक पहुंचा दिया, लेकिन उसके बाद ये बेकाबू हो गया है।
अंतरिक्ष में बेकाबू हुआ चीनी रॉकेट
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का जो रॉकेट बेकाबू हुआ है, उसका नाम लॉन्ग मार्च 5 बी रॉकेट है और लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, ये रॉकेट शनिवार शाम (30 जुलाई) को धरती के किसी भी हिस्से में गिर सकता है। वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि, इस तारीफ में प्लस या माइनस 16 घंटे का अंतर हो सकता है। हालांकि, वैज्ञनिकों का कहना है कि, इस रॉकेट का ज्यादातर हिस्सा पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल जाएगा, लेकिन फिर भी इस रॉकेट का एक बड़ा हिस्सा, जिसका वजन करीब 6 से 10 टन के बीच होगा, वो धरती से टकराएगा। द एयरोस्पेस कॉरपोरेशन के सेंटर फॉर ऑर्बिटल रीएंट्री एंड डेब्रिस स्टडीज के अनुसार, इतना बड़ा हिस्सा फिर भी धरती पर गिरेगा। हालांकि, उनका कहना है कि, इस बात की संभावना कम है, कि रॉकेट का ये हिस्सा इंसानी आबादी में गिरेगा, क्योंकि पृथ्वी के एक बहुत छोटे हिस्सा में लोग रहते हैं, जबकि तीन हिस्से में समु्द्र है। लेकिन, फिर भी इंसानों पर एक खतरा तो है ही और चीन अपने रॉकेट को कंट्रोल करने में नाकाम रहा है।
इंसानों पर गिरने की कितनी संभावना?
एयरोस्पेस कॉरपोरेशन के कॉरपोरेट चीफ इंजीनियर ऑफिस के सलाहकार टेड मुएलहौप्ट ने कहा कि, "99.5% संभावना है कि, ये धरती पर इंसानों के बीच नहीं गिरेगा'। आपको बता दें कि, संभावित हादसे को लेकर इस कंपनी की तरफ से ट्वीटर पर एक लाइवस्ट्रीम किया गया, जिसमें कहा गया है कि, इस रॉकेट के धरती पर गिरने की संभावना काफी कम है। उन्होंने कहा कि, 'व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है, कि अगर ये मेरी तरफ गिरने के लिए आ रहा है, तो फिर मैं अपना कैमरा लेकर घर से बाहर निकल जाऊंगा और इस रॉकेट के गिरने का इंतजा करूंगा, ताकि मैं फोटो ले सकूं, क्योंकि मुझे लगता है कि, ये असल में इंसानों के बीच गिरका ही नहीं और वास्तविक तौर पर इसके जोखिम काफी कम है।
कई सौ मील की होगी रफ्तार
खगोल भौतिकीविद् और उपग्रह ट्रैकर जोनाथन मैकडॉवेल, जो हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स ने आज की चर्चा के दौरान कहा कि, लॉन्ग मार्च 5B का बचा हुआ हिस्सा जब जमीन पर टकराएगा, तो फिर वो काफी ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करेगा और अगर वो इलाका इंसानी होता है, तो इसके परिणाम प्रलयकारी तो नहीं, लेकिन विनाशकारी जरूर होंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, "इस घटना में सबसे खराब स्थिति ये हो सकती है, कि मानो किसी क्रूज मिसाइल का हमला हुआ है, जो इन दिनों यूक्रेन युद्ध में खूब चलाए गये हैं'। फिर भी उन्होंने कहा कि, रॉकेट का बेकाबू होना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इसे रोका जा सकता था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया।
टाला जा सकता था ये हादसा
उन्होंने चर्चा के दौरान कहा कि, अधिकांश कक्षीय रॉकेटों के मुख्य चरणों को लिफ्टऑफ़ के तुरंत बाद समुद्र में या बिना आबादी वाली भूमि पर एक सुरक्षित स्थान की तरफ ले जाया जाता है और फिर उसे नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन लॉन्ग मार्च 5B का मुख्य चरण अपने पेलोड के साथ कक्षा में पहुंचता है, और फिर वायुमंडलीय ड्रैग द्वारा नीचे लाए जाने तक वहीं रहता है। जैसा कि उस घटना से पता चलता है, किसी भी बड़े अनियंत्रित अंतरिक्ष कबाड़ में चोट लगने और बुनियादी ढांचे के नुकसान की संभावना है। और जितनी अधिक ऐसी घटनाएं होती हैं, उतनी ही ज्यादा संभावना है कि किसी के चोटिल होने या मारे जाने की होगी। उन्होंने कहा कि, " हमारे पास अब तकनीक है, लेकिन हमने वास्तव में लोगों को जोखिम में डाला है, इसे बेकाबू होने से रोका जा सकता था, लेकिन इसे बेकाबू होने से बचाने के लिए हमने कोई सबक नहीं सीखे हैं'। आपको बता दें कि, पिछले साल मई महीने में भी चीन का रॉकेट बेकाबू हो गया था, जो हिंद महासागर में मालदीव की सीमा के पास समुद्र में गिरा था और जिस जगह वो रॉकेट गिरा था, उससे महज एक किलोमीटर दूर एक यात्री जहाज गुजर रहा था।
बहुत ज्यादा लापरवाह है चीन
जोनाथन मैकडॉवेल ने कहा कि, ये चीन की बहुत बड़ी लापरवाही है और इससे साफ जाहिर होता है, कि चीन ने अपनी पुरानी गलतियों से ना तो कुछ सीखा है और ना ही चीन ने कुछ माना है। जोनाथन मैकडोवेल के मुताबिक, पिछले साल से पहले भी चीन का रॉकेट बेलगाम होकर उपद्रव मचा चुका है और वो रॉकेट भी लॉंग मार्च 5बी सीरिज का ही था, जिसका गोला काफी देर तक आइवेरी कोस्ट में आसमान पर दिखाई देता रहा और धरती पर रॉकेट का मलबा कई मकानों के ऊपर गिरा था जो पूरी तरह से तहस नहस हो गया था। हालांकि, पिछली बार पहले से ही लोग हटा लिए गये थे, इसीलिए किसी आदमी को चोट नहीं आई थी।
अंतरिक्ष स्टेशन का कर रहा है निर्माण
आपको बता दें कि, चीन इस वक्त अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन का निर्माण कर रहा है और इसी दिशा में तेजी से काम कर रहा है। वहीं, ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की मैन्ड स्पेस एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक, चीन का अंतरिक्ष स्टेशन 180 टन से ज्यादा वजन का होगा। और जब वेंटियन मॉड्यूल को स्पेस स्टेशन से डॉक किया गया है, तब अंतरिक्ष स्टेशन संयोजन का वजन लगभग 50 टन तक पहुंच गया है। वेंटियन के मुख्य बिजली डिजाइनर लियांग शियाओफेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि, तकनीकी दृष्टिकोण से, वेंटियन ने विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया है, लेकिन बाद की योजनाएं समग्र परियोजना के अनुसार होंगी।
चीनी अंतरिक्ष स्टेशन का नाम क्या है?
आपको बता दें कि, चीन ने अपने इस अंतरिक्ष स्टेशन का नाम तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन रखा है, जो नासा और रूस के सामूहिक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के आकार से करीब 20 प्रतिशत बड़ा और आधुनिक है। वहीं, चीन के स्पेस स्टेशन का काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है और फिर ये पूरी तरह से विकसित स्पेस स्टेशन होगा, जिसमें तीनों मॉड्यूल लगे होंगे और जिसमें एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला भी विकसित होगा।
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