दुनियाभर में चल रहे बिटकॉइन के काले कारोबार के पीछे है चीन की चाल
बीजिंग। बाजार जगत में बिटकॉइन इस साल का सबसे हॉट टॉपिक रहा है। बिटकॉइन में निवेश करने वालों की संख्या और इसकी लगातार बढ़ती रही है। एक नवंबर 2017 को बिटकॉइन की वैल्यू 4.55 लाख रुपये थी, लेकिन दिसंबर की शुरुआत में यह वैल्यू 9 लाख के पार हो गयी। कई देशों में जारी चेतावनी के बाद भी बिटकॉइन में लगातार उछाल मिल रहा है। चीन ने भी अपने देश के लोगों को भले इसमें निवेश ना करने की चेतावनी दे रही है, लेकिन वहां की सरकार कोयले की खपत के लिए बिटकोइन को बढ़ावा दे रही है।
बिटकॉइन के पीछे चीन का खेल
एक बात मानकर चलिए कि जब बिटकॉइन अपना ट्रांजैक्शन करता है, तब बहुत ज्यादा बिजली की खपत होती है। चीन अपना कोयला खर्च करने के लिए बिटकॉइन माइनिंग को बढ़ावा दे रहा है। चीन के उत्तरी हिस्से में 100-100 मीटर लंबे आठ वेयरहाउसेज हैं। यहां बिटमेन टेक्नॉलजीज लिमिटेड के सर्वर प्लांट्स हैं, जहां 25,000 कंप्यूटर्स बिटकॉइन जेनरेट करने में लगे हैं। इन्हें कोयले से उत्पादित बिजली का आपूर्ति ही होती है।
चीन में आधे से ज्यादा क्रिप्टोकरंसी माइनिंग पूल्स
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक, आज के दौर में बिटकॉइन का एक बहुत बड़ा हब बन चुका है, जहा दुनिया के 58 प्रतिशत बड़े क्रिप्टोकरंसी माइनिंग पूल्स चीन में हैं। इसके 16 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर और बाकि के का 26 प्रतिशत माइनिंग पूल्स दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में है। बगैर बिजली के बिटकॉइन का उत्पादन रुक सकता है, लेकिन जिस तरह से बिटकॉइन की लोकप्रियता बढ़ रही है उससे ऐसा लग रहा है कि बिजली की खपत अभी बढ़ेगी।
क्या हैं बिटकॉइन
बिटकॉइन एक वर्चुअल यानी आभासी करेंसी है, जो अन्य करैंसी की तरह इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं है यह एक डिजिटल करेंसी है। यह एक ऐसी करेंसी है जिसे आप ना तो देख सकते हैं और न छू सकते हैं। यह केवल इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर होती है।