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राष्ट्रमंडल देशों का शिकारी बना चीन, जानिए 63 लाख करोड़ का कर्ज बांटकर 'ब्रह्मांड' पर कब्जे का प्लान

राष्ट्रमंडल देशों पर प्रभुत्व जमाने के लिए चीन ने अरबों रुपये का निवेश किया है और विश्लेषकों ने निंदा करते हुए कहा है कि, ब्रिटेन अनजान बनकर सोता रहा।

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लंदन, नवंबर 2711: चीन ने राष्ट्रमंडल के 42 देशों पर अपना वर्चस्व साबित करने के लिए 685 अरब पाउंड यानि करीब 63 लाख रुपयों का निवेश किया है और विश्व में हुकूमत बनाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अभी भी असाधारण तरीके से पैसे खर्च कर रहा है। जिसको लेकर विश्लेषकों ने ब्रिटेन पर 'सोते' रहने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही चीन ने कैरिबियन देशों को अपने 'कब्जे' में कर पूरी पृथ्वी पर अपना अधिकार बनाने की कोशिश कर रहा है।

कैरेबियाई देशों में भारी भरकम निवेश

कैरेबियाई देशों में भारी भरकम निवेश

रिपोर्ट के मुताबिक, बारबाडोस और जमैका जैसे गरीब देशों में भारी मात्रा में डॉलर्स की निवेश कर रहा है। इतना ही नहीं, चीन इन छोटे-छोटे देशों को भारी-भरकम कर्ज देकर उन्हें परेशान कर रहा है और उन्हें अपने जाल में बुरी तरह से फंसा रहा है। चीन के कर्ज के बोझ में दबे कैरेबियाई देश अपनी संपत्ति और अपना रणनीतिक क्षेत्र चीन को सौंपने के लिए मजबूर हो जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दुनिया के महत्वपूर्ण जलमार्गों और बंदरगाहों पर भी अपना प्रभुत्व हासिल कर लिया है और चीन के निशाने पर सीधे तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे प्रतिद्वंदी देश शामिल हैं।

कैरेबियाई देशों में 500 मिलियन पाउंड निवेश

कैरेबियाई देशों में 500 मिलियन पाउंड निवेश

अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट द्वारा एकत्र किए गये आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने कैरेबियाई द्वीप बारबाडोस में सड़कों, घरों, सीवरों और होटलों के निर्माण में करीब 500 मिलियन पाउंड का निवेश किया है, और कैरेबियाई देशों को ब्रिटेन के प्रभाव से मुक्त कर अपने चंगुल में जकड़ रहा है, जो ब्रिटिश प्रभाव से खुद को दूर कर मंगलवार को एक गणतंत्र बन गया है। इसके साथ ही बारबाडोस के पास स्थिति जमैका में बीजिंग ने 2.6 अरब पाउंड का निवेश किया है, जबकि इस देश की कुल जीडीपी ही सिर्फ 16.4 अरब पाउंड है और जमैका अब पूरी तरह से चीन के प्रभुत्व में आ चुका है।

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इस्तेमाल

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इस्तेमाल

चीन इन गरीब देशों को पूरी तरह से अपने प्रभुत्व में लेकर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ इस्तेमाल करता है। पिछले साल हांगकांग में जब चीन ने नेशनल सिक्योरिटी कानून लागू किया था, तो उस वक्त पापुआ न्यू गिनी, एंटीगुआ और बारबुडा से उसे यूनाइटेड नेशंस समर्थन मिला था। पापुआ न्यू गिनी को चीन ने 5.3 अरब पाउंड का कर्ज दिया हुआ है, जो उसकी जीडीपी का करीब 21 प्रतिशत है, वहीं एंटीगुआ और बारबुडा को चीन ने 1 अरब पाउंड का कर्ज दिया है, जो उसकी जीडीपी का करीब 60 प्रतिशत है। ऐसे में समझना काफी आसान है, कि चीन कैरेबियाई देशों को किस तरह से अपने जाल में फंसा चुका है। वहीं, दूसरे राष्ट्रमंडल देशों में सिएरा और लियोन ने भी हांगकांग के मुद्दे पर चीन को समर्थन दिया था। जहां 2005 से चीनी निवेश उसके सकल घरेलू उत्पाद का 145 प्रतिशत है।

राष्ट्रमंडल देशों का शिकार

राष्ट्रमंडल देशों का शिकार

ब्रिटेन के विदेश सचिव ने साल 2025 तक कॉमनवेल्थ डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को बंद करने और उसकी जगह पर ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट बनाने की घोषणा की है। जिसके जरिए 8 अरब पाउंड हर साल निवेश के लिए दिया जाएगा। लेकिन, विश्लेषकों ने ब्रिटेश सरकार की लेट प्रतिक्रिया को लेकर गहरी नाराजगी जताई है और कहा है कि, चीन को लेकर ब्रिटेन की सरकार गहरी नींद में सो रही थी। हेनरी जैक्सन सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक एलन मेंडोजा ने ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ को बताया कि, 'वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ भी कर सकते हैं, चीन उसे कमजोर करना चाहता है, ताकि वे देशों को चुन सकें और राष्ट्रमंडल और अन्य जगहों पर चीनी विरोधी प्रस्तावों को रोक सकें।'' उन्होंने कहा कि, ''यह एक बहुत ही चतुर चाल है और हम इस चुनौती की सीमा को वास्तव में न समझकर बहुत देर से जागे हैं।'' उन्होंने कहा कि, ''वास्तविक तौर पर देखा जाए तो चीन व्यावसायिक रूप से राष्ट्रमंडल का शिकार कर रहा है। सवाल यह है कि क्या हम बेहतर पेशकश के साथ जवाब दे सकते हैं? क्या ब्रिटेन इन जगहों पर पश्चिमी निवेश कोष चला सकता है?'

खरतनाक बनता जा रहा है चीन

खरतनाक बनता जा रहा है चीन

प्रमुख मानवाधिकार बैरिस्टर बैरोनेस हेलेना कैनेडी ने कहा कि, 'चीन जो कर रहा है वह दोस्त बनाने का एक तरीका है, जिसका इस्तेमाल वो संयुक्त राष्ट्र में वोटों पर प्रभाव डालने के लिए करता है।'' उन्होंने कहा कि, 'इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह पुराने शीत युद्ध के परिदृश्य की ओर लौटने जैसा बन रहा है और यह हमारे लिए आगे बढ़ने का एक स्वस्थ तरीका नहीं है।'' उन्होनें कहा कि, चीन जो पैसा निवेश कर रहा है, उसके जरिए वो हमारे प्रभाव क्षेत्र में घुसना शुरू कर चुका है''। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान, जो यूके ओवरसीज डेवलपमेंट असिस्टेंस से सबसे ज्यादा मदद हासिल करता है, उसने चीन ने 60 अरब पाउंड का निवेश प्राप्त किया है। जो पाकिस्तान की जीडीपी का 20 फीसदी से ज्यादा है और पाकिस्तान अपने 70 फीसदी से ज्यादा हथियार चीन से ही खरीदता है। लिहाजा विश्लेषकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, राष्ट्रमंडल देशों में चीन का प्रभाव जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश की जानी चाहिए, नहीं तो दुनिया के पास चीन को रोकने के लिए कोई विकल्प नहीं बचेगा।

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English summary
To dominate the Commonwealth countries, China has invested billions of rupees and analysts have condemned that, Britain kept sleeping unaware.
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