चीन ने दक्षिण चीन सागर पर गैर-कानूनी दखल से किया इनकार, लेकिन रक्षा बजट पर सवाल बरकरार!
नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में हुए हालिया घटनाक्रम पर एक नजर डालें तो पाएंगे कि चीन वैश्विक वाणिज्य के लिए एक प्रमुख शिपिंग जल मार्ग, मछली और संभावित तेल और गैस भंडार में समृद्ध दक्षिणी चीन सागर के द्वीपों, प्रवाल भित्तियों और लैगून पर कई क्षेत्रीय विवादों में अपने छोटे पड़ोसी देशों के खिलाफ खड़ा है और वह भी तब पूरी दुनिया कोरोनावायरस महामारी से जूझ रही है।
चीन पर आरोप लगा है कि चीन दक्षिण चीन सागर पर एकछत्र हुकूमत के लिए कोरोनावायरस काल का उपयोग कर रहा है। हालांकि चीन के विदेश मंत्री उक्त दावे को खारिज किया है और दक्षिण चीन सागर पर लगाए जा रहे आरोपों को सरासर बकवास करार दिया है।
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चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि चीन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ एंटी-वायरस प्रयासों पर निकट से सहयोग कर रहा था। उनसे कहा कि आरोप लगाने वाले में से कई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलमार्ग में चीन के साथ क्षेत्रीय दावों को ओवरलैप कर रहे हैं, जबकि चीन लंबे समय से इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है।
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वांग ने कहा कि अन्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ मिलकर सैन्य उड़ानों और समुद्री गश्त के साथ वहां अस्थिरता पैदा कर रहे हैं। वांग ने आगे कहा, उनके गंदे इरादे और नीच हरकतें चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच कलह पैदा करने वाली हैं और क्षेत्र में कड़ी मेहनत करने वाली स्थिरता को कम करने के लिए हैं।
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गौरतलब है कोरोवायरस के प्रकोप के कारण देश की आर्थिक वृद्धि में बड़ी गिरावट के बावजूद चीन वर्ष 2020 के लिए अपने रक्षा खर्च में 6.6 फीसदी की वृद्धि करेगा। वर्ष 2020 के लिए चीन की आर्थिक वृद्धि वर्षों में सबसे कम है, लेकिन फिर भी चीन दक्षिण चीन सागर में अपने क्षेत्रीय दावों को लागू करने और पश्चिमी प्रशांत और हिंद महासागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की क्षमता का विस्तार करने की अनुमति देगा।
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इसके अलावा चीन की एक अन्य प्रमुख प्राथमिकता स्व-शासित द्वीप लोकतंत्र ताइवान के खिलाफ एक विश्वसनीय खतरा बनाए रखना है, जिसे चीन अपना मानता है और अगर आवश्यक हो तो चीन ताइवान को सैन्य बल द्वारा भी अपने नियंत्रण में लाने पर विचार करता है।
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