रूस की गैस की कमी की भरपाई यूरोप क्या अफ़्रीका से कर सकता है?
यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोपीय देशों ने अपनी गैस की ज़रूरत को रूस पर से कम करना शुरू किया है लेकिन उसके पास अभी भी बेहतर विकल्प नहीं हैं.
यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोप अपनी ग़ैस की ज़रूरतों के लिए रूस पर कम निर्भर रहना चाहता है. इसी क्रम में कई अफ़्रीकी देश अब इस उम्मीद में हैं कि वो यूरोप को अपनी गैस का निर्यात बढ़ा सकें.
रूसी मुद्रा रूबल में भुगतान करने से इनकार करने के बाद रूस ने पोलैंड और बेलारूस को गैस देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद से माना जा रहा है कि यह यूरोप के लिए ख़तरे की चेतावनी है.
दुनिया में रूस में सबसे अधिक प्राकृतिक गैस भंडार है और वो दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. यूरोप में 40 फ़ीसदी गैस रूस से ही आयात की जाती रही है.
यूरोपीय संघ चाहता है कि वो इस साल के अंत तक दो-तिहाई तक गैस सप्लाई को कट कर दे और 2030 तक स्वतंत्र रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हो जाए.
ऊर्जा अर्थशास्त्री केरोल नखले कहती हैं कि अफ़्रीका के इस उद्योग के बड़े खिलाड़ी अल्जीरिया, मिस्र और नाइजीरिया हैं और अगर इन तीनों के निर्यात को भी जोड़ लिया जाए तो भी यूरोप में सप्लाई होने वाली रूस की गैस से वो आधे से कम होगी.
नखले कहती हैं कि रूसी सप्लाई के किसी भी नुक़सान की भरपाई करना बहुत मुश्किल है.
वो कहती हैं, "अच्छी ख़बर ये है कि उन देशों में अधिक रुचि होगी जिनके पास संसाधन हैं और जो पहले से ही रूसी गैस नहीं लेना चाहते हैं और अफ़्रीका बहुत अच्छी स्थिति में है. हम अब बहुत सारा निवेश देखने जा रहे हैं."
हालांकि, इसमें काफ़ी समय लगेगा क्योंकि इस महाद्वीप के प्रमुख निर्यातकों के पास साज़ो-सामान की दिक़्क़त हो सकती है.
यूरोप की ऊर्जा नीति में बदलाव से सबसे अधिक अल्जीरिया को फ़ायदा हो सकता है. उत्तर अफ़्रीकी देश इस क्षेत्र के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस निर्यातक हैं और उनके पास यूरोप के साथ सबसे बेहतर गैस कनेक्टिविटी इंफ़्रास्ट्रक्चर है.
इटली ने उठाया पहला क़दम
बीते महीने इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने अल्जीरिया के साथ नए गैस सप्लाई का सौदा किया था जिसके तहत गैस आयात को बढ़ाकर 40 फ़ीसदी कर दिया है.
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दूसरी सप्लाई ढूंढने के तहत इटली की यह सबसे बड़ी डील है.
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एफ़बीएनक्वेस्ट मर्चेंट बैंक के इक्विटी रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष उवा ओसादिये कहते हैं कि घरेलू खपत बढ़ने, उत्पादन में निवेश कम होने और राजनीतिक अस्थिरता के कारण अल्जीरिया की उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर चिंताएं हैं.
वो इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि मोरक्को के साथ विवाद के कारण अल्जीरिया को यूरोप को निर्यात होने वाली गैस में गिरावट आई है. इसके कारण स्पेन में जाने वाली एक महत्वपूर्ण पाइपलाइन को बंद करना पड़ा है और हर साल निर्यात होने वाली 17 अरब क्यूबिक फ़ीट गैस नौ अरब क्यूबिक फ़ीट पर आ गई है.
रोम के अंतरराष्ट्रीय मामलों के संस्थान में ऊर्जा रिसर्च फ़ैलो पियर पाओलो रायमोंडी इन चिंताओं की ओर ध्यान दिलाते हैं.
वो कहते हैं, "इस समझौते के तहत उपलब्ध पाइपलाइन गैस के ट्रांसपोर्टेशन की क्षमता को बेहतर तरीक़े से इस्तेमाल करने में मदद करेगी और इसके ज़रिए 2023 और 2024 में धीरे-धीरे निर्यात की क्षमता नौ अरब क्यूबिक मीटर तक हो जाएगी. हालांकि हम अभी यह नहीं जानते कि अल्जीरिया कब तक और कितनी तेज़ी से अपना उत्पादन बढ़ाता है."
इटली के इस समझौते की काफ़ी सराहना की जा रही है और इसे उसका एक बड़ा क़दम बताया जा रहा है क्योंकि यूरोप में वो रूसी गैस का दूसरा सबसे बड़ा ख़रीदार है.
इटली के मंत्रियों ने अंगोला और कांगो-ब्रैज़ाविल का दौरा किया है और एक नए गैस सौदे पर राज़ी हुए हैं और अब इटली की आंखें मोज़ाम्बिक पर हैं ताकि 2023 के मध्य तक रूस पर निर्भरता ख़त्म हो सके.
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नाइजीरिया कैसे करेगा आपूर्ति
पश्चिम अफ़्रीका में लिक्विफ़ाइड नैचुरल गैस (LNG) के उत्पादक नाइजीरिया LNG के आगे यूरोपीय देशों के गैस निर्यात की मांग की बाढ़ आ गई है.
वर्तमान में स्पेन, पुर्तगाल और फ़्रांस... नाइजीरिया के LNG उत्पाद की तीन प्रमुख जगहें हैं और कंपनी केवल खरीदारों के साथ अपने मौजूदा अनुबंधों का सम्मान करने में सक्षम है.
नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर एक सूत्र कहता है, "उत्पादन बढ़ाने का मौक़ा है. नाइजीरिया में प्लांट के ज़रिए आज सिर्फ़ 72 फ़ीसदी LNG ही प्राप्त हो पाती है. इसका मतलब है कि अभी भी 28 फ़ीसदी क्षमता का इस्तेमाल किया जाना बाकी है."
वो कहते हैं कि ऐसे असंख्य मुद्दे हैं जो कंपनी की क्षमता को उत्पादन बढ़ाने में बाधा पैदा कर रहे हैं जिनमें गैस के कुएं में गिरावट और पैसे की कमी शामिल है.
"छह से 18 महीनों के दौरान ऐसी चीज़ों को कम समय में ठीक किया जा सकता है."
नाइजीरिया LNG में एक्स्टर्नल रिलेशंस एंड सस्टेनेबल डिवेलपमेंट के जनरल मैनेजर एंडी ओडेह का कहना है कि प्राकृतिक गैस सप्लायर्स के साथ मुद्दों को सुलझाने को लेकर चर्चा चल रही है और उनको उम्मीद है कि इस साल के अंत तक LNG उत्पादन के स्तर में बढ़ोतरी हो सकती है.
नाइजीरिया LNG का नया गैस प्रोजेक्ट ट्रेन 7 है जो कि उत्पादन की क्षमता 35 फ़ीसदी बढ़ाना है और इसे 2025 तक 2.2 करोड़ टन प्रति वर्ष करना है.
ख़रीदारों के साथ समझौते होने जा रहे हैं जिनमें यूरोप के सबसे अधिक ख़रीदार हैं. नाइजीरिया LNG अतिरिक्त परियोजनाओं के लिए शोध कर रहा है. इसमें ट्रेन 8 परियोजना शामिल है जो सप्लायर के लिए आपूर्ति को मदद देगा.
4,400 किलोमीटर की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन
पश्चिमी अफ़्रीकी देश नाइजीरिया.. ट्रांस सहारन पाइपलाइन प्रोजेक्ट में मुख्य खिलाड़ी है. 4,400 किलोमीटर की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नाइजीरिया से नीज़ेर के रास्ते अल्जीरिया जाएगी.
यह पाइपलाइन अल्जीरिया में पहले से मौजूद पाइपलाइन से जुड़ेगी जो पश्चिमी अफ़्रीकी देशों को यूरोप से जोड़ती है.
70 के दशक में इस परियोजना की शुरुआत हुई थी लेकिन लेकिन सुरक्षा खतरों, पर्यावरण संबंधी चिंताओं और धन की कमी के कारण यह रुक गई.
फ़रवरी में हुई बैठक में क्षेत्रीय अधिकारियों ने वादा किया था कि यह परियोजना पूरी होकर रहेगी.
बेल ऑयल एंड गैस के प्रमुख कियोड थॉमस कहते हैं कि नाइजीरिया-मोरक्को गैस पाइपलाइन को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं. यह पश्चिम अफ़्रीका से लेकर मोरक्को तक इंफ़्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएगा जिससे यूरोप तक गैस जा सकेगी.
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वो कहते हैं, "हम अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि यह ट्रांस सहारन पाइपलाइन को मदद करेगा या अलग से चलेगी."
इस परियोजना की लागत तक़रीबन 25 अरब डॉलर है और यह 13 पश्चिमी और उत्तरी अफ़्रीकी देशों को जोड़ेगा जो कि 25 साल में पूरा होगा.
नखले कहती हैं कि अफ़्रीका से गैस लेने का फ़ायदा तंज़ानिया और मोज़ाम्बिक जैसे देशों को भी होगा. हालांकि, वहां पर फ़्रांसीसी कंपनी टोटल एक बड़ी परियोजना को बना रही है लेकिन इस्लामी चरमपंथियों के बड़े हमले के बाद यह रुक गई है.
वो कहती हैं, "अफ़्रीका में अपार संभावनाएं हैं लेकिन मैं कहूंगी की यह थोड़े समय के लिए बहुत सीमित रहने वाली है क्योंकि गैस परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने में समय लगता है."
"लेकिन मध्य और लंबी अवधि के दौरान आप इसमें भारी निवेश देखेंगे जिससे ज़मीन से गैस निकालकर और उसे यूरोप भेजने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी."
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