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क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एलियंस के संकेतों को पकड़ सकता है ? शोध से जगी ये उम्मीद

खलोल वैज्ञानिक ऐसी मशीन लर्निंग अल्गोरिद्म पर काम कर रहे हैं, जिसकी मदद से एलियंस के संकतों को पकड़ने में मदद मिल सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने वह उम्मीद जगाई है, जिसकी दशकों से तलाश थी।

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वैज्ञानिकों ने जो तैयारी की है, उससे लगता है कि वह दिन ज्यादा दूर नहीं जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए हम एलियंस की भाषा सुनने और समझने में सफल हो सकते हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिकों की टीम इसपर काम करने में जुटी हुई और अब वह इस नतीजे के करीब पहुंच चुकी है, जिससे एलियंस की दुनिया को लेकर बहुत बड़ी उम्मीद जग गई है। शोथार्थियों को अभी तक यह दिक्कत हो रही थी कि उनके पास धरती से जुड़े ही इतने अत्याधुनिक सिग्नल मौजूद हैं कि एलियंस की दुनिया के अलग संकेतों को पहचान पाना मुश्किल था। लेकिन,अब उस दिशा में सफलता मिली है, जिससे मानवीय और दूसरी दुनिया के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक-रेडिएशन को अलग किया जा सकता है।

एलियंस के संकेतों का पकड़ने में जुटी है SETI

एलियंस के संकेतों का पकड़ने में जुटी है SETI

एलियंस ऐसा टॉपिक है, जिसने लंबे समय से लोगों में दिलचस्पी जगाए रखा है। उसके बारे में जानने-सुनने को लेकर एक अजीब ही इच्छा पैदा होती रहती है। इसी मानवीय जिज्ञासा को शांत करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी इस्तेमाल हो रहा है कि क्या वाकई में एलियंस जैसी भी कोई चीज इस ब्रह्मांड में मौजूद है। इस तरह की अलौकिक दुनिया की खोज पर होने वाली रिसर्च को SETI (search for extraterrestrial intelligence) के नाम से जाना जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ली जा रही है मदद

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ली जा रही है मदद

SETI के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से सौर मंडल से बाहर की दुनिया में मौजूद तकनीकी रूप से उन्नत सभ्यता से आने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक-रेडिएशन के स्थान का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। इन संकेतों को सुनने के लिए पश्चिम वर्जीनिया के पहाड़ों से लेकर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों तक में टेलीस्कोप लगाए गए हैं। साइंटिफिक जर्नल नेचर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू स्थित SETI इंस्टीट्यूट के खगोल विज्ञानी फ्रैंक मार्चिस कहते हैं, 'ये SETI रिसर्च के लिए एक नया युग है, जो मशीन-लर्निंग तकनीक की वजह से खुल रहा है।'

संकेतों में अंतर करने की है चुनौती

संकेतों में अंतर करने की है चुनौती

लेकिन, वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती डेटा की बहुतायतता है, जिसमें से मनचाहे संकेतों को खोजना बहुत बड़ी समस्या है। SETI इंस्टीट्यूट की खगोलशास्त्री सोफिया शेख कहती हैं, 'इस समय हमारे सामने SETI संकेत खोजना नहीं, डेटा प्राप्त करना बड़ी चुनौती है।' क्योंकि, संकेतों में मोबाइल फोन, जीपीएस और आधुनिक युग के अनेकों फॉल्स सिंग्नलों से मुश्किलें पैदा होती हैं। उनके मुताबिक, 'मुश्किल चीज मानवीय या धरती पर मौजूद टेक्नोलॉजी से दूर आकाशगंगा में कहीं भी मौजूद दूसरी टेक्नोलॉजी से प्राप्त संकेतो जिसकी हम तलाश कर रहे हैं, उसमें अंतर करना है। '

मशीन लर्निंग अल्गोरिद्म ने दिखाया रास्ता

मशीन लर्निंग अल्गोरिद्म ने दिखाया रास्ता

इसके विकल्प के रूप में अल्गोरिद्म का इस्तेमाल करके उन सिंग्नलों को पता लगाया जा रहा है, जिसके बारे में खगोल वैज्ञानिकों को लगता कि एलियंस का संकेत उसी तरह का हो सकता है; और इसका रास्ता मिलता है मशीन लर्निंग में। मशीन लर्निंग अल्गोरिद्म को विशाल मात्रा में डेटा की पहचान के लिए ट्रेंड किया गया है, जो मानवीय या पृथ्वी के रुकावटों को पहचान सकता है और उन आवाजों को फिल्टर करके अलग करने में काफी स्मार्ट है।

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मशीन लर्निंग अलौकिक संकेतों को पकड़ने में अच्छा है- SETI वैज्ञानिक

मशीन लर्निंग अलौकिक संकेतों को पकड़ने में अच्छा है- SETI वैज्ञानिक

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के SETI वैज्ञानिक डैन वर्थिमर ने नेचर को बताया, 'मशीन लर्निंग अलौकिक संकेतों (extraterrestrial signals) वाली चीज को पकड़ने में भी अच्छा है, जो कि परंपरागत श्रेणियों में नहीं आतीं और शायद यही वजह कि पहले के तरीकों में यह चूक गए होंगे।' वर्थिमर से सहमति जताते हुए कनाडा के टोरंटो यूनिवर्सिटीके गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी और इस पेपर के लीड ऑथर पीटर मा ने कहा 'हम हमेशा यह अनुमान नहीं लगा सकते कि अलौकिक दुनिया हमें क्या भेज सकती है।'(तस्वीरें- सांकेतिक)

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English summary
Astronomers are taking the help of Artificial Intelligence to capture the signals of aliens. It is hoped that machine learning algorithms can capture the signals astronomers are looking for
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