कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल पार, गैस की कीमतें भी बढ़ी, भारत पर भी होगा असर
पिछली बार ब्रेंट क्रूड ने मार्च के अंत में 120 डॉलर प्रति बैरल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था और उस वक्त कच्चे तेल की कीमत को स्थिर करने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम का सहारा लिया था।
नई दिल्ली, मई 31: अंतरराष्ट्रीय तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड, 120 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है, जो पिछले दो महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है और आशंका है कि, गैसोलीन और डीजल ईंधन की कीमतों में भी भारी वृद्धि होगी। अमेरिकी तेल बेंचमार्क, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट भी बढ़कर 116 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। वहीं, माना जा रहा है, कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा होने का भारत पर पड़ भी असर हो सकता है।
कच्चे तेल की कीमत बढ़ी
कच्चे तेल की कीमत में ऐसे समय में बढ़ोतरी हुई है, जब गर्मियों में ड्राइविंग सीजन की शुरुआत के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में मांग बढ़ने की उम्मीद है और यूरोपीय नेता रूसी तेल प्रतिबंध पर समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, भारत जैसे विकासशील देशों में भी तेल की मांग बढ़ रही है और सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओपेक प्लस गठबंधन ने कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने से फिर से इनकार कर दिया है।
यूक्रेन युद्ध का असर
पिछली बार ब्रेंट क्रूड ने मार्च के अंत में 120 डॉलर प्रति बैरल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था और उस वक्त कच्चे तेल की कीमत को स्थिर करने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व से छह महीने की अवधि के लिए हर दिन में 1 मिलियन बैरल रिलीज करने के आदेश दिए थे, ताकि यूरोपीय देशों में तेल की कीमत बढ़ने से रोका जा सके। बाइडेन के इस कदम के बाद कच्चे तेल की कीमत 98 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी, हालांकि, बाद में एक बार फिर से कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया।
रूसी तेल पर प्रतिबंध का असर
दरअसल, इस बार कच्चे तेल की कीमत में फिर से इजाफा होने की वजह यूरोपीय संघ के द्वारा रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति है। यूरोपीय संघ के 27 देश रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गये हैं, जिसके बाद कच्चे तेल की कीमत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। कच्चे तेल और गैस की कीमत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी का सीधा असर अमेरिका पर पड़ा है और अमेरिका में गैस की कीमत अब 4.62 डॉलर प्रति गैलन तक पहुंच गया है, जो पहले 3 डॉलर प्रति गैलन था।
क्या तेल का प्रोडक्शन बढ़ाएगा ओपेक+
ओपेक+, तेल कार्टेल, गुरुवार को बैठक करने वाला है, जिसमें फैसला लिया जाएगा, कि तेल का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए या नहीं। हालांकि, इसकी उम्मीद काफी कम है क्योंकि, ओपेक प्लस पिछले दिनों मामूली तेल उत्पादन बढ़ाने पर सहमत हुआ था। हालांकि, कच्चे तेल की कीमत अभी भी 147.50 डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर से काफी कम है।
तेल प्रोडक्शन बढ़ाने को तैयार नहीं सऊदी
कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग को लेकर अमेरिका और सऊदी अरब के बीच का तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और सऊदी अरब क्राउन प्रिंस द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का फोन 'काट देने' के बाद अमेरिका कई तरह से सऊदी अरब पर प्रेशर बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सऊदी अरब तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हुआ है। लिहाजा, कच्चे तेल की कीमत में और इजाफा हो सकता है।
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