अंटार्कटिका ग्लेशियर में दशकों से बह रहा है खून का झरना, हुआ बड़ा खुलासा
शुरुआत में थॉमस और उनके दोस्तों को लगा कि ये लाल रंग की एल्गी है। लेकिन उनका अनुमान गलत साबित हुआ। साल 1960 की बात है उस समय वैज्ञानिकों ने इस खूनी झरने के बारे में जानकारी जुटाई।
विक्टोरिया लैंड 1 अक्टूबर : इस हैरतअंगेज दुनिया में कुछ भी होना असंभव नहीं है। प्रकृति को आप जितना भी समझने की कोशिश करेंगे उसमें उलझते ही चले जाएंगे। लेकिन ऐसी उलझने हमेशा रोमांच से भरा हुआ होता है। दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो अब भी रहस्यों से भरी हुई है। ऐसी दुर्गम जगह जहां इंसानी पैर ना पड़े हो। अगर ऐसी जगह की आप खोज करते हैं और उसके बारे में कई रहस्यों को उजागर करते हैं तो लोग उसे जानकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। क्या वाकई में ऐसा है? अंटार्कटिका महाद्वीप में कई ऐसी रहस्यमयी इलाके हैं जहां जोखिमों की भरमार है। यहां पूर्वी अंटार्कटिका में खून के झरने की खोज हुई थी जिसे हम ब्लड्स फॉल) (Blood Falls) कहते हैं।
टेलर ग्लेशियर में खून का झरना
पूर्वी अंटार्कटिका (East Antarctica) में स्थित टेलर ग्लेशियर से खून का झरना बहता है। पूर्वी अंटार्कटिका के विक्टोरिया लैंड (Victoria Land) में स्थित इस टेलर ग्लेशियर किसी जहन्नुम से कम नहीं है। क्योंकि यहां जोखिम अधिक है और जिंदा रहने के लिए यहां मौत से भी लड़ना पड़ता है। हालांकि, इस इलाके में सबसे पहले यूरोपियन वैज्ञानिक पहुंचे थे। साल 1911 में इस खूनी झरने की खोज सबसे पहले ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस ग्रिफिथ टेलर ( (Thomas Griffith Taylor) ने की थी। उन्हें लगा था कि वे नरक के द्वार पर पहुंच गए हैं।
ग्लेशियर के नीचे आयरन युक्त नमक
शुरुआत में थॉमस और उनके दोस्तों को लगा कि ये लाल रंग की एल्गी है। लेकिन उनका अनुमान गलत साबित हुआ। साल 1960 की बात है उस समय वैज्ञानिकों ने इस खूनी झरने के बारे में जानकारी जुटाई। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यहां ग्लेशियर के नीचे लौह नमक है जिसे हम विज्ञान की भाषा में फेरिक हाइड्रोक्साइड कहते हैं। वे ग्लेशियर से ऐसे निकल रहे थे जैसे की कोई बर्फ की मोटी परत को निचोड़कर खून बाहर निकाल रहा हो।
कई दशकों से बह रहा खून का झरना
अंटार्किटिका के विक्टोरिया लैंड में स्थित टेलर ग्लेशियर से बहने वाले खून का झरना कई दशकों से निरंतर बहता चला जा रहा है। यहां उन बहादुर खोजकर्ताओं को सलाम करना तो बनता ही है क्योंकि उन्होंने हमें इनकी सच्चाई से रूबरू जो कराया है। इससे पहले इस लाल रंग के झरने की सच्चाई के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी।
ग्लेशियर के नीचे सूक्ष्म जीव हैं
वैज्ञानिक इस ब्लड्स फॉल के बारे में और भी कई नई जानकारियां दुनिया को दी। साल 2009 की बात है, एक शोध में बताया गया कि यहां पर ग्लेशियर के नीचे सूक्ष्म जीव हैं। जिनकी वजह से ये खून का झरना निकल कर बह रहा है। एक स्टडी के अनुसार ये सूक्ष्मजीव टेलर ग्लेशियर के नीचे 15 से 40 लाख साल से रह रहे हैं।
सूक्ष्म जीव लाखों सालों से जीवित अवस्था में हैं
वहीं, ब्लड फॉल्स के पानी के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि, खारे पानी की वजह से बैक्टीरिया ने दुर्लभ सबग्लेशियल इकोसिस्टम को अपना घर बना लिया है। जानकार बताते हैं कि यहां ग्लेशियर के नीचे ऑक्सीजन नहीं के बराबर है फिर भी ये सूक्ष्म जीव लाखों सालों से जीवित अवस्था में हैं।
क्या बैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषण के बिना भी रह सकता है?
इसका अर्थ तो यह हुआ कि बैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषण यानी कि फोटोसिंथेसिस के बिना भी रह सकता है। संभवतः ब्राइन से साइकलिंग आयरन के माध्यम से खुद को जीवित रखे हुए हैं। साथ ही वे अपने जैसे नए बैक्टीरिया भी पैदा कर रहे हैं। इस जगह का तापमान दिन में माइनस सात डिग्री सेल्सियस रहता है। यानी खून का झरना काफी ठंडा है। ज्यादा नमक होने की वजह से ये बहता रहता है, वरना यह तुरंत जम जाता।
हम अंटार्कटिका के माध्यम से मंगल के बारे में जान सकते हैं
अगर वैज्ञानिक आगे भी यहां की स्टडी करने का मौका मिलता है तो हमें पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई इनके बारे में भी कई रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं। हम अनुमान लगा सकते हैं कि इसका संबंध बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा और मंगल से भी हो सकता है। हमें चंद्रमा और मंगल में जीवन को लेकर अंटार्कटिका से कई सही जानकारियों मिल सकती हैं।
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