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ब्लॉगः आपको आपकी बादशाहत मुबारक हमें हमारा लोकतंत्र

संयुक्त अरब अमीरात में ख़लीफ़ा की आलोचना के मतलब जेल है. पढ़ें ज़ुबैर अहमद का ब्लॉग.

By BBC News हिन्दी
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अरब जगत
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अरब जगत

पिछले दिनों मैं पहली बार संयुक्त अरब अमीरात गया और अधिकतर समय दुबई में गुज़ारा. यहाँ के आधुनिक और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर से काफ़ी प्रभावित हुआ.

यहाँ की ऊंची इमारतें, चौड़ी चौड़ी सड़कों और उन पर दनदनाती हुई महँगी गाड़ियाँ, ये सब कुछ देख कर कोई भी प्रभावित हो सकता है.

लेकिन एक चीज़ जो हमारे पास है वो इनके पास नहीं और वो है लोकतंत्र. यहाँ बोलने की आज़ादी नहीं.

हर कोई खुलकर अपने विचार प्रकट करने से डरता है. सार्वजनिक जगहों पर वर्दी वाली पुलिस नज़र नहीं आती. यहाँ रह रहे भारतीयों के अनुसार, यहाँ दीवारों के भी कान होते हैं.

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संयुक्त अरब अमीरात
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संयुक्त अरब अमीरात

भारत में आप सरकार और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ खुल कर बोल सकते हैं. सोशल मीडिया पर लोग रोज़ उनकी खिल्ली उड़ाते हैं.

ज़रा अमीरात में कोई ऐसा करके तो देखे. अगर आपने यहाँ के ख़लीफ़ा के बारे में कुछ कहा या यहाँ की सरकार के बारे में कोई शिकायत या उनकी सोशल मीडिया पर आलोचना की तो शायद आप सलाखों के पीछे होंगे या फिर आपको देश छोड़ कर जाना पड़ेगा.

उदाहरण के तौर पर दुबई की लगभग सभी बड़ी कंपनियां सत्ता पर बैठे शेखों की हैं.

निजी तौर पर सब शिकायत करते हैं कि उनकी कमाई हुई दौलत और बनाई हुई बड़ी कंपनियां कहाँ से आईं ये किसी को नहीं मालूम नहीं क्योंकि पारदर्शिता नहीं है. लेकिन सार्वजनिक तौर पर इस सवाल को उठाने वाला व्यक्ति जेल की हवा खाएगा.

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संयुक्त अरब अमीरात
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संयुक्त अरब अमीरात

दुबई में मुझे एहसास हुआ कि भारत में हम लोग कितने खुशनसीब हैं. हम अपने नेताओं की आलोचना कर सकते हैं, उनसे सवाल कर सकते हैं और चुनाव के समय उन्हें सत्ता से हटा सकते हैं.

मैं मानता हूँ कि दिल्ली की खुली हवा में सांस लेने में दिक़्क़त होती है. अमीरात की हवा प्रदूषण से मुक्त है. लेकिन इसके बावजूद हमें यहाँ घुटन सी महसूस हो रही थी. हमने आम लोगों से साधारण मुद्दों पर बात करने की कोशिश की लेकिन वो कैमरे के सामने बोलने से कतराए.

हमने अधिकारीयों से बात करने की कोशिश की लेकिन हमें कामयाबी नहीं मिली.

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मगर ऐसा लगता है कि स्थानीय अरबों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. उनका तर्क ये है कि यहाँ लॉ एंड ऑर्डर है. क़ानून का पालन होता है.

अरब जगत
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अरब जगत

यहाँ महिलाएं बिलकुल सुरक्षित हैं. उनके ख़िलाफ़ अपराध कम होते हैं. रेप कांड ना के बराबर हैं.

वो कहते हैं कि यहाँ लोगों की जान और माल की हिफ़ाज़त होती है. अपराध की दर बहुत कम है. लोकतंत्र नहीं है, बोलने की आज़ादी नहीं है तो क्या हुआ? उनके अनुसार यहाँ चैन है, सुख है, रात में नींद अछी आती है.

लेकिन भारत में उन लोगों ने जिन्होंने इंदिरा गाँधी के समय में आपातकाल का समय देखा है, वो कहेंगे कि लोकतंत्रिक निजी अधिकारों के लिए वो कई तरह की क़ुरबानी देने को तैयार हैं.

वो 1975 से 1977 का वो दौर याद करते हैं जब उन्हें बोलने की आज़ादी नहीं थी, जब बग़ैर वारंट के आपको गिरफ़्तार किया जा सकता था. लोकतंत्र ठप पड़ गया था.

मेरे विचार में ऐसे भारतीय अगर यहाँ आएं तो स्थानीय लोगों से कहेंगे कि आपको आपकी बादशाहत मुबारक! हमें हमारा लोकतंत्र!

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English summary
Blog Happy Birthday to You Your Democracy
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