क्या पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने धोखे से अल-जवाहिरी को खत्म करवाया? अमेरिका के साथ हुई थी डील!
कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को डिफाल्टर बनने से रोकने के लिए अब सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मोर्चा संभाला था। क्या इस बातचीत के पीछे अलकायदा सरगना को मारने की प्लानिंग हो रही थी।
काबुल, 2 अगस्त : आतंकवादी संगठन अल कायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया गया है। अमेरिका ने काबुल में ड्रोन स्ट्राइक के जरिए इस खतरनाक मिशन को अंजाम दिया। लेकिन अब अल जवाहिरी के मारे जाने के पीछे किसका हाथ हो सकता है, इस पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने अमेरिका में किसी बड़े अधिकारी से बातचीत की थी। उसके कुछ दिन बाद ही अमेरिका ने ड्रोन हमले में दुनिया के सबसे खूंखार आंतकी संगठन अलकायदा के सरगना अल जवाहिरी को मार गिराया।
बाजवा पर शक!
अमेरिका ने अल-जवाहिरी के खात्मे की स्क्रिप्ट शायद पहले ही तैयार कर ली थी।अलकायदा के मुख्य सरगना अल जवाहिरी के मारे जाने के बीच पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा का नाम आगे आ रहा है। जानकारी के मुताबिक, तालिबान को शक है कि, अल-जवाहिरी को ठिकाना लगाने के पीछे बाजवा का हाथ हो सकता है। अब कई आतंकी संगठन पाकिस्तान के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। तालिबान समर्थकों को शक है कि, अलकायदा सरगना को मारने में बाजवा ने अमेरिका का साथ दिया है।
मरता क्या न करता
बता दें कि, पाकिस्तान घोर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। वह आईएमएफ से कर्ज मांगने के लिए अमेरिका से बातचीत कर रहा है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने टेलीफोन पर अमेरिका में सेना के किसी बड़े अधिकारी से बातचीत की थी। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, उन्होंने इस दौरान सेना के बड़े अधिकारी से बात की। ऐसे में आतंकी संगठनों को लगता है कि, बाजवा ने इस दौरान अमेरिका को अल-जवाहिरी बारे में कई गुप्त सुचनाएं साझा की होंगी। हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
इमरान ने पूछा था क्या डील करके आए हो
वहीं, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बाजवा को फटकार लगाते हुए पूछा था कि, बातचीत के दौरान अमेरिका से क्या डील हुई है। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि ये बातचीत बताती है कि 'देश दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा है।'इमरान ने कहा कि, ये जनरल बाजवा का काम नहीं है कि वो अर्थव्यवस्था से निपटे। इसके साथ ही उन्होंने ये सवाल भी किया कि क्या अमेरिका ने मदद के बदले पाकिस्तान के सामने कोई मांग भी रखी है?
अमेरिका ने क्या डिमांड रखी
अब इमरान खान के इस सवाल के भी कई मायने लगाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि क्या अमेरिका ने मदद के बदले पाकिस्तान के सामने कोई डिमांड रखी है। अब सवाल है कि क्या अमेरिका के डिमांड को तौर पर बाजवा ने अल जवाहिरी का पता अमेरिका को बता दिया? ऐसे कई सारे सवाल हैं, जिनका जवाब धीरे-धीरे सामने आने वाला है।
क्या पाकिस्तान और अमेरिका करीब आ रहे हैं
अगर सही में बाजवा ने अल जवाहिरी को खत्म करवाने में अमेरिका की मदद की है तो इसका मतलब है कि, पाकिस्तान फिर से अमेरिका के करीब होता दिख रहा है। अगर ऐसा है तो यह भारत को टेंशन देने वाली खबर हो सकती है। वह फिर से अपने नापाक मंसूबों को कामयाब बनाने के लिए भारत के खिलाफ और ज्यादा साजिश रच सकता है।
तालिबान की प्रतिक्रिया
अमेरिकी ड्रोन हमले में अलकायदा प्रमुख अल-जवाहिरी के मारे जाने कुछ घंटे के बाद तालिबान की तरफ से प्रतिक्रिया आई है। सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने हमले की निंदा की है और कहा है कि, इस तरह के हमले अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच संबंधों पर प्रभाव डाल सकते हैं। इसके साथ ही तालिबान ने काबुल में अमेरिकी एयरस्ट्राइक को दोहा समझौते का उल्लंघन बताया है।
बाजवा ने संभाला मोर्चा
कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को डिफाल्टर बनने से रोकने के लिए अब सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मोर्चा संभाला था। अभी कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने दावा किया था कि पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच चार बिलियन डॉलर के कर्ज को लेकर समझौता हुआ है, हालांकि इस ऐलान का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर कोई असर देखने को नहीं मिला। पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। वर्तमान में 1 डॉलर की कीमत 239 पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा हो चुकी है।
आईएमएफ की कड़ी शर्त
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को आर्थिक पैकेज बहाल करने के लिए कई कड़ी शर्तें रखी हैं। आईएमएफ ने कहा है कि इस्लामाबाद का आर्थिक पैकेज बहाल करने के लिए बिजली की दरें बढ़ानी होगी और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स लगाना होगा। बता दें कि, पाकिस्तान में श्रीलंका जैसे हालात उत्पन्न होते जा रहे हैं। वहां की जनता कमरतोड़ महंगाई से जूझ रही है। दूसरी तरफ सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा था कि देश का आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार 8.57 बिलियन डॉलर से घटकर 754 मिलियन डॉलर हो गया है। यह पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान का पूरा विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो सकता है और देश डिफाल्टर बन सकता है।
कुछ भी कर सकता है पाकिस्तान
पाकिस्तान कुछ भी कर सकता है। वह कंगाली से बचने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। वह अमेरिका का दोस्त बनने की फिर से कोशिश करेगा और अपना हित साधने की कोशिशों में जुट जाएगा।
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