वैक्सीन लगाने के लिए बना कानून तो लोगों ने मचा दिया बवाल, सरकार ने डर कर खत्म किया नियम
वियना, 23 जूनः ऑस्ट्रिया सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ बनाए गए अनिवार्य टीकाकरण के कानून को कुछ महीने बाद ही खत्म करने का फैसला किया है। यह फरवरी की शुरुआत में कानूनी प्रभाव में आया था। इसके बाद से ही देश में इस कानून को खत्म करने के लिए प्रदर्शन होने लगे थे।
तस्वीर- प्रतीकात्मक

पहला यूरोपियन देश बना ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रिया, यूरोपियन यूनियन का पहला देश बना था जहां कोविड टीकाकरण अनिवार्य कर दिया गया था। सरकार ने इसकी घोषणा बीते साल ही कर दी थी। फरवरी की शुरुआत में यह कानून बना दिया गया कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड टीका लगाना जरूरी होगा। देश में कोविड वैक्सीन नहीं लेने पर घरेलू कारावास का नियम बनाया था। इसके साथ ही देश में वैक्सीन लगाने से इनकार करने पर 3600 यूरो तक फाइन भरने का भी नियम था।

हर व्यस्क लोगों पर नियम लागू
यह जनादेश गर्भवती महिलाओं को छोड़कर सभी व्यस्क लोगों के लिए लागू था। यह कानून फरवरी में प्रभावी तो हुआ लेकिन मार्च के मध्य में पुलिस द्वारा इसे लागू करने से पहले सांसदों ने जनादेश को निलंबित कर दिया।

कानून से देश की एकजुटता पर पड़ा असर
स्वास्थ्य मंत्री जोहान्स राउच ने कहा कि नए वायरस वैरिएंट ने टीकाकरण की प्रभाशीलता और आवश्यकता के बारे में नागरिकों की धारणा को बदल कर रख दिया है। इस कानून से देश के 90 लाख लोगों में फूट पड़ गयी। राउच ने कहा कि आने वाले कठिन महीनों और वर्षों से निपटने के लिए हमें हर हाल में एकजुटता की जरूरत है। अनिवार्य टीकाकरण के आसपास की बहस ने हमारी एकजुटता को कमजोर किया है।

62 फीसदी लोगों ने कराया टीकाकरण
हालांकि कानून बनने के बाद भी यहां टीकाकरण के आंकड़ों में बहुत सुधार नहीं देखा गया। वर्तमान आंकड़े बताते हैं कि देश में केवल 62 फीसदी आबादी के पास वैध टीकाकरण प्रमाणपत्र है, जो कि कई अन्य यूरोपीय देशों से बहुत पीछे है। ऑस्ट्रिया में कोरोना वायरस की चपेट में आने से अब तक कुल 18,700 लोगों की मौत हो चुकी है।
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