आस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर फंसी सैकड़ों पायलट व्हेल, 380 की मौत
दक्षिणी आस्ट्रेलिया (Australia) के तस्मानिया (Tasmania) द्वीप के पास समुद्र तट पर फंसी 450 पायलट व्हेलों में से ज्यादातर की मौत हो गई है। ये सभी व्हेल समुद्र के गहरे पानी से छिछले तट की ओर आ गई थीं जहां फंसकर इनकी मौत हो गई। रेस्क्यू टीम में जुटे सदस्यों ने 50 व्हेलों की जान बचाने में सफलता हासिल की।
380 पायलट व्हेलों को हो चुकी है मौत
तस्मानिया प्रशासन ने कहा है कि रेस्क्यू मिशन तब तक जारी रहेगा जब तक एक भी व्हेल जिंदा रहेगी। तस्मानिया पार्क और वन्यजीव संरक्षक अधिकारी ने बताया कि 'जब तक वे जिंदा हैं और पानी में हैं तब तक उनके लिए उम्मीद जिंदा है। लेकिन बहुत अधिक समय तक फंसे होने के चलते वे थक रही हैं।'
दक्षिणी आस्ट्रेलिया के तस्मानिया द्वीप के मैक्वेरी हार्बर के पास 460 पायलट व्हेलों का समूह आकर फंस गया था। जब पार्क प्रशासन ने पहले एरियल सर्वे किया तो लगा था कि 70 व्हेल फंसी हैं लेकिन बाद में ये संख्या बढ़ती ही गई। ये व्हेल छिछले पानी में आकर फंस गई थीं जिनमें कुछ ही गहरे पानी में जाने में कामयाब हो पाई थीं। अब तक करीब 380 पायलट व्हेल की मौत हो चुकी है। पायलट व्हेल महासागरीय डॉल्फिन की एक प्रजाति होती हैं जो कि 7 मीटर (23 फीट) तक लंबे और 3 टन तक वजन की हो सकती हैं।
समूह में रहने की आदत के चलते फंसी व्हेल
पायलट व्हेल के समुद्र तट पर फंसे होने की घटना तस्मानिया के तट पर कोई असामान्य नहीं है। आमतौर पर हर दो या तीन हफ्तों में एक-दो पायलट व्हेल या डॉल्फिन फंस जाती है। समस्या तब होती है जब बड़ी संख्या में ये समुद्री जीव छिछले पानी में आ जाते हैं। इतने बड़े समूह में व्हेल के फंसने की घटना करीब 10 साल बाद हुई है। इसके पहले 2009 में ऐसी घटना हुई थी। वहीं 2018 में न्यूजीलैण्ड के तट पर फंसकर करीब 100 पायलट व्हेल की मौत हो गई थी।
हालांकि ये पायलट व्हेल किस वजह से इतनी बड़ी संख्या में छिछले पानी में आकर फंस गई अभी ये जानकारी साफ नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि इनकी समूह में रहने की आदत ही इनके फंसने का कारण बनी है। पायलट व्हेल समूह में रहती हैं। समूह में किसी व्हेल के मुश्किल में फंसने पर सभी व्हेल उसके आस-पास जुट जाती हैं और साथी को छोड़ती नहीं हैं। ऐसा समझा जा रहा है कि कोई व्हेल छिछले पानी में आकर फंस गई होगी। उसके बाद उसने साथी व्हेलों को संकेत भेजा होगा जिसके बाद सभी आकर फंसती चली गईं होंगी।
ठंड के चलते बचाव कर्मियों को हो रही दिक्कत
वहीं छिछले पानी में फंसी व्हेलों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए किनारे फंसी व्हेलों के ऊपर भारी मात्रा में ठंडा पानी डालकर और गीला कपड़ा रखकर उन्हें ठंडा करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें झूले जैसी चीज पर रखकर उठाने की कोशिश की जाती है। फिर धीरे-धीरे उन्हें गहरे पानी में ले जाकर छोड़ दिया जाता है।
बचाव अभियान में 60 से अधिक की संख्या में मछुआरे, पेशेवर और स्वयंसेवी शामिल हैं। बचाव अभियान में लगे लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या पानी का अत्यधिक ठंडा होना है जिसके चलते सभी बचाव कर्मी खास तरह का स्विमसूट पहनकर काम कर रहे हैं। फिर भी हालत यह है कि ठंड के चलते सभी को छोटी-छोटी शिफ्टों में काम करना पड़ा रहा है। ज्यादा देर ठंड में काम करने पर बचावकर्मियों को हाइपोथर्मिया नामक बीमारी का शिकार होना पड़ सकता है।
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