कोरोना के इलाज के लिए जायडस कैडिला को मिली एंटिबॉडी कॉकटेल के ट्रायल की अनुमति
नई दिल्ली, 04 जून। कोरोना के इलाज में देश को जल्द ही बड़ी सफलता मिल सकती है। जायडस कैडिला देश की पहली कंपनी बन गई है जिसने दावा किया है कि उसने कोरोना के इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी पर आधारित कॉकटेल को विकसित किया है और इसे केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति यानि SEC ने परीक्षण की अनुमति दे दी है। सूत्रों के अनुसार एसईसी ने जायडस कैडिला को पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दे दी है। जायडस की इस बायोलॉजिकल थेरेपी ZRC-3308 कोरोना के इलाज में अहम दवा के रूप में सामने आ सकती है।
इस दवा में एंटीबॉडी का निर्माण यूनीक ब्लड सेल्स की क्लोनिंग के जरिए किया जाएगा। इसके क्लीनिकल ट्रायल के लिए जायडस कैडिला ने अननुमति मांगी थी। बता दें कि मौजूदा समय में कुछ अस्पतालों में दो तेजी से काम करने वाली एंटीबॉडी कॉकटेल कैसिरिवीमैब और इमडेविमीब को प्रभाव को देखा जा रहा है। यह एंटीबॉडी कॉकटेल देश में 24 मई को आई थी और इस एंटिबॉडी कॉकटेल की कीमत 59750 रुपए है। इसके अलावा जिस दूसरी एंटीबॉडी कॉकटेल ने ट्रायल की भारत में अनुमति मांगी है वह है एली लिली एंड कंपनी। कंपनी की ओर से कहा गया है कि उसे एक संयमित आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है। इस एंटीबॉटी का नाम बामलानिविमैब 700एमजी और इटेसेविमैब 1400 एमजी है।
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गौर करने वाली बात है कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच सरकार अधिक से अधिक लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगवाने का प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई से 30 करोड़ कोरोना की वैक्सीन की एडवांस बुकिंग की गई है। कंपनी से 30 करोड़ वैक्सीन को तैयार कर इसके भंडारण को कहा गया है, साथ ही वैक्सीन के लिए 1500 करोड़ रुपए की एडवांस राशि भी कंपनी को इसके लिए दी जाएगी। फिलहाल कंपनी की वैक्सीन तीसरे क्लीनिकल ट्रायल में हैं और जल्द ही यह देश की दूसरी कोरोना वैक्सीन होगी जिसे लोगों को लगाया जाएगा। भारत पहले ही पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन तैयार कर चुका है।