TMC में गए यशवंत सिन्हा ने श्रीधरन को CM प्रत्याशी बनाने पर 75 साल की उम्र वाले नियम का उठाया था मुद्दा
TMC ज्वाइन करने वाले यशवंत सिन्हा ने ई श्रीधरन को CM प्रत्याशी बनाने पर 75 साल की उम्र वाले नियम का उठाया था मुद्दा
नई
दिल्ली।
भारतीय
जनता
पार्टी
के
पूर्व
नेता
यशवंत
सिन्हा
ने
शनिवार
को
भाजपा
की
घोर
विरोधी
पार्टी
टीएमसी
का
दामन
थाम
लिया।
पश्चिम
बंगाल
विधानसभा
चुनाव
के
समय
ममता
बनर्जी
की
तृणमूल
कांग्रेस
ज्वाइन
करने
वाले
यशवंत
सिन्हा
ने
टीएमसी
ज्वाइन
करते
समय
अटल
बिहारी
वाजपेयी
के
युग
को
याद
किया।
वहीं
भाजपा
में
रहते
हुए
5
मार्च
को
यशवंत
सिन्हा
ने
भाजपा
द्वारा
88
वर्षीय
मेट्रो
मैन
ई
श्रीधरन
को
केरल
में
होने
वाले
विधानसभा
चुनाव
के
लिए
सीएम
पद
का
प्रत्याशी
बनाए
जाने
पर
भाजपा
का
75
साल
की
उम्र
वाले
नियम
का
उठाया
मुद्दा
उठाया
था।
तभी
यशवंत
सिन्हा
के
बगावती
तेवर
दिखने
लगे
थे।
यशवंत सिन्हा ने पूछा था कि 75 साल की उम्र वाले नियम का क्या हुआ ?
बता दें केरल विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा में कुछ ही दिन पूर्व 88 वर्षीय मेट्रो मैन ई श्रीधरन शामिल हुए थे। तब ये कहा जा रहा था कि भाजपा श्रीधरन को केरल मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है। इतना ही नहीं बीजेपी की केरल इकाई ने कहा भी था ई श्रीधरन को केरल में विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करने का उसने पार्टी के शीर्ष से अनुरोध किया है। इसके तुरंत बाद यशवंत सिन्हा ने ट्वीट करते हुए सवाल पूछा था कि 75 साल की उम्र वाले नियम का क्या हुआ?
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सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे
भाजपा से सवाल पूछते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाले यशवंत सिन्हा ने कहा था "मैं सही था 88 साल के मेट्रो मैन श्रीधरन केरल में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार हैं। 75 साल की उम्र वाले नियम का क्या हुआ? सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे।''
उम्रदराज नेताओं का 'फोर्सफुली रिटायरमेंट'?
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने टिकट बंटवारें में 75 पार नेताओं को टिकट नहीं दिया था तभी सीधे तौर पर उम्रदराज होने के कारण फोर्सफुली रिटायरमेंट दे दिया गया था। लंबे समय से भाजपा 75 साल की उम्र पार करने वाले नेताओं को कोई भी पद देने से बचती रही है। जिसके पीछे पार्टी ये कहती है कि राजनीति में नए लोगों को अवसर मिलना चाहिए। यही कारण था कि 70 पार हो चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी जैसे बड़े नेताओं का टिकट काट दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव से ही भाजपा इस नीति पर काम रही थी। इसकी शुरूआत नरेंद्र मोदी ने अपने होम स्टेट गुजरात से कर दी थी। जब आनंदीबेन पटेल को गुजराज के सीएम पद से इस्फीफ देना पड़ा था। इसके बाद नजमा हेपलुल्ला को उनकी ढ़लती उम्र के चलते सेट्रल मिनिस्ट्री से ड्रॉप करवा दिया गया था। मध्य प्रदेश मे शिवराज सरकार में सतराज सिंह और बाबूलाल को मंत्री पद से हटा दिया था इतना ही नहीं कलराज मिश्रा को भी उम्र के चलते 2017 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जबकि कर्नाटक में भाजपा की सरकार में बीएस येदियुरप्पा को सीएम पद से नवाजा गया। भाजपा के इस दोगली नीति पर यशवंत सिन्हा ही नहीं पार्टी के अंदर आए दिन सुर उठते रहे हैं।
टीएमसी ज्वाइन करने के बाद क्या बोले यशवंत सिन्हा
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ज्वाइन करने के बाद यशवंत सिन्हा ने कहा अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त भाजपा आम सहमति में विश्वास रखती थी लेकिन आज की सरकार लोगों को कुचलने और जीत हासिल करने में विश्वास रखती है। अकाली दल और बीजेडी भी यही कारण है भाजपा का साथ छोड़ चुके हैं। आज कौन उनके साथ खड़ा हैं? उन्होंने टीएमसी ज्वाइन करने की वजह ममता बनर्जी पर नंदीग्राम में हमला प्रमुख घटनाक्रम बताया। सिन्हा ने ये भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रही। यशवंत सिन्हा ने कहा मोदी शाह के नियंत्रण में चुनाव आयोग ने बंगाल में 8 चरणों में चुनाव करवाने का फैसला किया है। ये फैसला भाजपा के फायदे के लिए किया गया है।
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