महिला राइट एक्टिविस्ट मैरी रॉय का निधन, 1986 में एक केस जीतकर आ गईं थीं नेताओं के निशाने पर
नई दिल्ली, सितंबर 01। प्रख्यात शिक्षाविद और महिला राइट एक्टिविस्ट मैरी रॉय का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने गुरुवार को केरल के कोट्टयम में आखिरी सांस ली। यह जानकारी उनके परिवार की ओर से दी गई है। आपको बता दें कि मैरी रॉय बुकर पुरस्कार विजेता और लेखिका अरुंधति रॉय की मां थीं। मैरी रॉय लेफ्ट विचारधारा की महिला थीं, इसलिए वो कई बार दक्षिणपंथी नेताओं और संगठनों के निशाने पर भी रहती थीं।
इस केस को जीतकर फेमस हुई थीं मैरी रॉय
एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता मैरी रॉय को व्यापक रूप से 1986 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक मुकदमे को जीतने के लिए जाना जाता है। यह मुकदमे को जीतकर मैरी रॉय ने सीरियाई ईसाई महिला को उसकी पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिलाया था। इस केस को 'मैरी रॉय केस' भी कहा जाता है। मैरी रॉय कोट्टायम में प्रसिद्ध स्कूल पल्लीकूडम की संस्थापक भी थीं।
नेताओं के निशाने पर आ गई थीं मैरी रॉय
मैरी रॉय ने 1984 में 1916 के त्रावणकोर ईसाई उत्तराधिकार अधिनियम को चुनौती दी, जिसके तहत सीरियाई ईसाई समुदाय में बेटियां पैतृक संपत्ति के समान अधिकार की हकदार नहीं थी, लेकिन मैरी रॉय ने इस केस को जीतकर महिलाओं को उनके पिता की पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिलाया था। इसके बाद से वो कई ईसाई समुदाय के नेताओं और राजनेताओं के निशाने पर आ गई थीं।
CPI (M) ने मैरी रॉय के निधन पर जताया शोक
मैरी रॉय के निधन पर कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई (एम) ने शोक प्रकट किया है। सीपीआईएम के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट में कहा गया है, "हमारी पार्टी एक शिक्षाविद् मैरी रॉय की मृत्यु पर शोक व्यक्त करती है, जिन्होंने ईसाई महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकारों से संबंधित कानूनों में असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिसके लिए उन्हें धमकियों का भी सामना करना पड़ा। उनके परिवार के प्रति माकपा अपनी संवेदनाएं प्रकट करती है।
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