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यूपी में पीरियड्स की तारीख़ के चार्ट को दरवाज़ों पर क्यों लगा रही हैं महिलाएं

मेरठ के हाशिमपुरा की रहने वाली अलफ़िशां ने घर के भीतर एक दरवाज़े पर अपनी माहवारी की तारीख़ का चार्ट टांगा हुआ है.

By BBC News हिन्दी
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मेरठ, हाशिमपुरा की रहने वाली अलफ़िशां ने घर के भीतर एक दरवाज़े पर अपनी माहवारी की तारीख़ का चार्ट टांगा हुआ है. घर में भाई और पिता भी साथ रहते हैं. उनकी निगाह भी आते-जाते इस चार्ट पर पड़ती है, लेकिन अब ये सामान्य हो चुका है. वे इसे देख लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं.

women putting the date chart of their periods on the doors in UP

अलफ़िशां ने बीबीसी से कहा, "महिलाओं में पीरियड्स के दौरान तमाम दिक़्क़तें आती हैं, उनमें चिड़चिड़ापन, कमज़ोरी और कईं अन्य समस्याएं आती हैं, लेकिन मैंने जब से घर के भीतर ये चार्ट लगाया है, सभी को मालूम पड़ गया है कि मेरे पीरियड की डेट कब है. यहां तक कि मैं ख़ुद अपनी केयर करने लगी हूं. मुझे भी समय से मालूम पड़ जाता है कि मेरे पीरियड क्या सही समय पर आ रहे हैं."

ऐसा ही एक चार्ट मेरठ की रहने वाली आलिमा ने भी अपने कमरे के दरवाज़े पर चस्पा किया हुआ है. आलिमा के घर में भाई-बहन और पिता को मिलाकर कुल सात सदस्य हैं, लेकिन अब उनके सभी घर वालों को इस बारे में मालूम पड़ चुका है कि आलिमा की माहवारी की तिथि कौन सी है.

ख़ुद आलिमा कहती हैं, "मैं एक शिक्षिका हूं, घर से बाहर निकल नौकरी करती हूं, ऐसे में जानती हूं कि एक महिला को माहवारी के दौरान किन-किन परेशानियों से होकर गुज़रना पड़ता है, पीरियड चार्ट लगाए जाने से कम से कम घर के सभी सदस्यों को हमारी माहवारी की तिथि का मालूम पड़ गया है और वे अब हमारा ख़्याल रख रहे हैं, ये काफी सुविधाजनक और सुखद है."

क्या मुहिम से आ रहा बदलाव?

मेरठ में इन दिनों अलग-अलग जगहों पर तक़रीबन 65 से 70 घरों में ये पीरियड चार्ट्स लगे हैं, लेकिन ये सब अचानक कैसे संभव हुआ और कैसे विवाहित और अविवाहित महिलाएं भी ये चार्ट अपने घरों में सार्वजनिक स्थानों पर लगाने का साहस कर रही हैं, इस सवाल का जवाब एनजीओ 'सेल्फी विद डॉटर' फाउंडेशन के डायरेक्टर सुनील जागलान देते हैं.

वह कहते हैं, "हमारी एनजीओ वर्ष 2017 में स्थापित हुई थी. महिलाओं के हितों को लेकर कई कार्य किये, लेकिन पीरियड चार्ट को लेकर हम वर्ष 2020 से उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में सक्रिय हैं."

वह आगे कहते हैं, "हमारी संस्था महिला क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधिकार और आर्थिक रूप से स्वतंत्रा को लेकर काम कर रही है." वह बताते हैं, "महिलाओं के पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों को लेकर मैं अक्सर सोचता था. घर की कई महिला सदस्यों को अमूमन तमाम परेशानियों में देखता था, ऐसे में मेरे मन में आया कि क्यों ना इस तरफ कुछ विशेष किया जाए, तभी कुछ साथी चिकित्सकों से बातचीत करने और सलाह लेने के बाद पीरियड चार्ट मुहिम की शुरुआत की गई."

ढाई सौ में से 180 चार्ट फाड़े, अब 70 बचे

मेरठ में पीरियड चार्ट की मुहिम दिसंबर 2021 से शुरू की गई है. शहर में अलग-अलग स्थानों पर इस मुहिम को लेकर पोस्टर्स लगवाए गए. स्कूल-कॉलेजों में सपर्क किये गए और छात्राओं से इस विषय पर बातचीत की गई.

सुनील जागलान कहते हैं, "हमनें दिसंबर 2021 में मेरठ में ये मुहिम शुरू की. हमारे साथ टीम में तमाम राज्यों में काम कर चुकीं 30-35 महिला सदस्य रहीं. हमनें लड़कियों के स्कूल, कॉलेजों में छात्राओं से संपर्क किया. लाडो पंचायत के नाम से पंचायत में लड़कियों को कुछ जगह बुलाया भी. घर-घर भी पहुंचे. उनके मोबाइल नंबर लिये और व्हाट्सऐप ग्रुप भी तैयार किये. इसमें कई जगह हमारे साथ पुरुष वर्ग भी मदद को आगे आया."

"हमने शुरू में घरों में लगभग ढाई सौ पीरियड चार्ट लड़कियों को बांटे, लेकिन जब हमारी टीम की सदस्यों ने घूम-घूमकर घरों में देखा तो पता चला कि ये चार्ट 65 से 70 घरों में ही क़ायम रह सके हैं, अधिकांश घरों में या तो ये चार्ट फाड़ दिए गए या फिर लड़कियों को लगाने की इजाज़त ही नहीं मिली, पर हमें इस बात का संतोष है कि कुछ घरों में तो लोग महिलाओं की माहवारी की तिथियों को जान रहे हैं. आशा है कि वहां उन महिलाओं की सहायता हो रही होगी. जागरूकता बढ़ने पर ये संख्या बढ़ेगी."

उन्होंने ये भी बताया कि इन पीरियड चार्ट के सहयोग और विरोध में सभी वर्गों के लोग हैं.

क्या पीरियड चार्ट से स्वस्थ होंगी बेटियां?

पीरियड चार्ट मुहिम का उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर निगरानी रखना भी है. डायरेक्टर सुनील जागलान इस बात का दावा करते हैं.

वह कहते हैं, "देखिये, जब कभी महिलाओं को पीरियड्स होते हैं, उस दौरान वे कई परेशानियों से गुज़रती हैं. चिड़चिड़ापन, कमज़ोरी, थकान और शरीर में दर्द और कुछ अन्य लक्षण होते हैं. इस बीच घर के अन्य सदस्यों की उनको मदद की ज़रूरत होती है. उनके खान-पान पर ध्यान देना ज़रूरी होता है. कई महिलाओं को माहवारी अनियमित भी होती है तो उनके बारे में भी मालूम पड़ जाता है."

सुनील जागलान आगे कहते हैं, "चार्ट पर पीरियड तिथि नोट करने वाली महिलाओं से पूरे साल के चार्ट लिये जाएंगे, इसमें पीरियड की तिथियों में यदि कहीं कोई अनियमितता मिलती है तो उनकी सूचि सरकार को भेजी जाएगी, जिससे कि आशाओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से ऐसी महिलाओं को इलाज मिल सके."

कई जगह विरोध, लड़कियों पर भद्दे कमेंट्स

पीरियड चार्ट को लेकर उत्तर भारत के कई राज्यों में लड़कियों और महिलाओं को जागरूक किया गया. ऑनलाइन लाडो पंचायत करवाई गईं. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में अलग-अलग दस फिज़िकल पंचायतें की गईं जबकि अधिकांश पंचायतें ऑनलाइन की गईं.

सुनील बताते हैं, "कईं जगह विरोध देखने को मिले. लोगों ने महिलाओं, बेटियों पर अभद्र टिप्पड़ियां कीं पर ऐसे लोगों को नज़रअंदाज़ किया गया. इस बारे में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं की मदद ली गई. उनमें से कई ने पूरा साथ भी दिया."

'शुरू में हिम्मत नहीं हुई पर अब सहज हैं'

घरों के भीतर परिवार के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जब पीरियड चार्ट लगाए गए तो कई लड़कियों और महिलाओं ने काफ़ी असहज महसूस किया.

मेरठ की ही विवाहिता आलिया ने बीबीसी से कहा, "मैं एक गृहणी हूं. घर में मेरे पति के अलावा देवर, ससुर और कई अन्य पुरुष रिश्तेदारों का आना-जाना लगा रहता है, ऐसे में शुरू में जब पीरियड चार्ट के बारे में पता चला तो लगा कि ये कैसे संभव होगा. पति से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने थोड़ी हिम्मत बढ़ाई. इसके बाद मैंने अपनी सास से इस बारे में बताया तो वह भी राज़ी हो गईं."

ये पूछने पर कि पीरियड चार्ट सार्वजनिक करने से पहले और बाद में घर के सदस्यों में आपके प्रति कोई परिवर्तन दिखा, तो इसके जवाब में वे कहती हैं, "हां, जब उन्हें इस बारे में पता नहीं होता था तो वे हमारा उतना ख़्याल नहीं रखते थे जितना अब रख रहे हैं."

एक अन्य महिला मनीषा ने कहा, "ये बात हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी है. माहवारी के दौरान उनकी परेशानियों के बारे में परिवार के सभी लोगों को मालूम होना चाहिए. इस काल में अपनी बीमारी की वजह से महिलाएं झगड़ा कर देती हैं, जब लोगों को ये पता चलेगा कि माहवारी के दौरान अक्सर महिलाओं को चिड़चिड़ापन हो जाता है तो उनके प्रति लोगों में सहानुभूति बढ़ेगी, उनके सख़्त लहजे को लोग नज़रअंदाज़ करेंगे."

'मैंने पत्नी से कहा, तुम दरवाज़े पर लगाओ चार्ट'

हाशिमपुरा, मेरठ में रहने वाले ज़ुबैर अहमद पीरियड चार्ट के समर्थन में खुलकर महिलाओं के साथ खड़े दिखे. वह सैलून चलाते हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा, "पीरियड काल के दौरान महिलाओं को तनाव नहीं देना चाहिए, महिलाओं को ये नहीं सोचना चाहिए कि कोई क्या सोचेगा, बल्कि किसी न किसी को शुरूआत करनी ही होगी."

वह आगे कहते हैं, "मैंने तो अपनी पत्नी से कह दिया कि वह बेझिझक होकर घर में किसी भी दरवाज़े पर अपने पीरियड का डेट चार्ट लगा सकती है. कईं दोस्तों को भी इस तरफ जोड़ा है."

हिमाचल की रिश्दा हैं पीरियड चार्ट की एंबेस्डर

पीरियड चार्ट को लेकर बाक़ायदा एक शॉर्ट फिल्म भी बन चुकी है. हालांकि, फिल्म ख़र्च संस्था के डायरेक्टर सुनील जागलान ने ही वहन किया है. इस फिल्म की मुख्य कलाकार के तौर पर हिमाचल प्रदेश की रहने वाली रिश्दा ने अभिनय किया है.

रिश्दा ने बीबीसी से कहा, "अप्रैल 2021 में मेरे पास पीरियड चार्ट पर शॉर्ट फिल्म में काम करने का ऑफर आया. मैं तैयार हो गई, लेकिन मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी तो मैं इससे काफी प्रभावित हुई. संयोग से सुनील जगलान से मेरी इस विषय पर चर्चा हुई, उन्होंने मुझे इस मुहिम से भी जोड़ा और एंबेस्डर भी बना दिया. अब मैं कई राज्यों में इसको लेकर महिलाओं के बीच पहुंचती हूं."

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English summary
women putting the date chart of their periods on the doors in UP
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