क्या 'बंगाल मॉडल' KCR को तेलंगाना में BJP की चुनौती से बचने में मदद कर पाएगा?
क्या 'बंगाल मॉडल' KCR को तेलंगाना में BJP की चुनौती से बचने में मदद कर पाएगा?
हैदराबाद, 01 अगस्त : तेलंगाना में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी ने जुलाई माह की शुरूआत में यहां राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के सबसे बड़े नेताओं ने शिरकत की। ये बैठक अपने आप में भाजपा की रणनीति के बारे में एक महत्वपूर्ण संकेत था कि भाजपा तेलंगाना राज्य में विस्तार के लिए एक मजबूत कदम उठा रही है। वहीं चंद्रखेशर राव भी भाजपा की चुनौती से निपटने के लिए ममता बनर्जी के बंगाल मॉडल को अपना चुकी है।।
2018
पार्टी
को
7%
से
अधिक
वोट
मिले
बता
दें
तेलंगाना
पर
भाजपा
इसलिए
ध्यान
केन्द्रित
कर
रही
है
कि
क्योंकि
वर्तमान
समय
में
तेलंगाना
में
भाजपा
को
अपना
भविष्य
उज्जवल
दिख
रहा
है।
हालांकि
2018
के
तेलंगाना
विधानसभा
चुनावों
में
पार्टी
को
7%
से
अधिक
वोट
मिले।
इसके
एक
साल
बाद
2019
में
लोकसभा
चुनाव
हुए
और
जब
देश
भर
में
मोदी
लहर
आई,
तब
भी
तेलंगाना
अडिग
रहा
और
भाजपा
का
वोट
शेयर
नहीं
बदला।
सीएम की बेटी को हराने में कामयाब हुई थी भाजपा
इस बात में दो राय नहीं कि उस वक्त भी बीजेपी ने थोड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की थी और तो और भगवा पार्टी ने 2019 में महत्वपूर्ण निजामाबाद लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री की बेटी को हराने में कामयाब हुई थी। वहीं तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए 55 की तुलना में राज्य की सत्ताधारी पार्टी 48 सीटें जीतीं । पिछले चुनाव में भाजपा के पास चार सीटें थीं।
तेलंगाना
में
अपने
पांव
जमाने
के
लिए
कड़ी
मेहनत
कर
रही
भगवा
पार्टी
भाजपा
2019
की
लोकसभा
में
भारी
जीत
के
बाद
दक्षिण
में
प्रभाव
बनाने
के
लिए
कड़ी
मेहनत
कर
रही
है।
जुलाई
में
भाजपा
ने
राज्यसभा
के
लिए
दक्षिण
भारत
के
चार
दिग्गजों
को
नामित
करना
भी
इसी
में
शामिल
है।
कर्नाटक
के
बाद
-
एकमात्र
दक्षिणी
राज्य
तेलंगाना
भाजपा
के
विस्तार
के
लिए
सबसे
उपजाऊ
जमीन
लगती
है।
भाजपा
राव
को
घेरना
शुरू
कर
चुकी
है
वहीं
चंद्रशेखर
राव
आठ
साल
से
राज्य
के
मुख्यमंत्री
हैं।
यह
लंबा
कार्यकाल
स्वाभाविक
रूप
से
सत्ता
विरोधी
लहर
हो
सकती
है।
भाजपा
ने
राव
के
आंकड़े
पर
बहुत
ध्यान
केंद्रित
किया
है।
उन्होंने
उनकी
पार्टी
पर
"पारिवारिक"
होने
की
बात
कहकर
शुरूआत
कर
दी
है।
इतना
ही
नहीं
इस
बात
को
उजागर
कर
रही
है
कि
मुख्यमंत्री
के
करीबी
रिश्तेदार
प्रमुख
पार्टी
और
आधिकारिक
पदों
पर
काबिज
हैं।
राव चल रहे बंगाल सीएम ममता बनर्जी वाला दांव
वहीं अगर बात चंद्शेखर राव की पार्टी की बात की जाए तो कांग्रेस पार्टी जो कि यहां मरणासन स्थिति में है तो टीआरएस ने कांग्रेस विधायकों के बड़े पैमाने पर दलबदल की योजना बनाई है। वहीं चंद्रशेखर राव ने मोदी को मात देने के लिए मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी की रणनीति अपनाई है। चंद्रशेखर राव ने खुद प्रधान मंत्री पर जोरदार हमले शुरू कर दिए है। उन्होंने संघवाद का इस्तेमाल करते हुए और आरोप लगाया कि दिल्ली द्वारा तेलंगाना की उपेक्षा की जा रही है। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर केंद्र को घेरना शुरू कर चुकी है।
राष्ट्रपति-पैटर्न
का
मुकाबला
बनाया
जाएगा
बंगाल
में
ममता
बनर्जी
की
तरह,
राव
बातचीत
को
संघवाद
पर
केंद्रित
कर
रहे
हैं
ना
कि
सांप्रदायिकता
और
हिंदुत्व
जो
भाजपा
की
ताकत
हैं
जैसे
मामलों
में
स्थानांतरित
करने
की
उम्मीद
कर
रहे
हैं।
उन्हें
उम्मीद
है
कि
चुनाव
को
उनके
और
मोदी
के
बीच
राष्ट्रपति-पैटर्न
का
मुकाबला
बनाया
जाएगा,
जो
सत्ता
विरोधी
लहर,
पारिवारिक
शासन
और
भ्रष्टाचार
जैसे
अधिक
असहज
मुद्दों
पर
आधारित
होगा।
तेलंगाना
की
योजनाओं
की
केंद्र
ने
की
नकल
इसके
अलावा
तेलंगाना
सीएम
की
लोक
लुभावनी
योजनाओं
भी
उनके
लिए
चुनाव
में
हथियार
साबित
हो
सकती
है।
इन
योजनाओं
ने
तेलंगाना
के
लोगों
को
हर
मुद्दे
पर
सहायता
पहुंचाई
है।
आपको
जानकर
हैरानी
होगी
कि
तेलंगाना
राज्य
का
रिकॉर्ड
इतना
अच्छा
है
कि
केंद्र
सरकार
ने
अब
तक
उनकी
कई
योजनाओं
की
नकल
की
है।
इसमें
किसानों
को
नकद
वजीफा
जारी
करने
की
मोदी
की
लोकप्रिय
योजना
हो
जिसे
सबसे
पहले
राव
ने
"रायथु
बंधु"
के
नाम
से
लागू
की
गई
थी।
इसके
अलावा
केंद्र
सरकार
की
जल
जीवन
पेयजल
योजना
जिसे
व्यापक
प्रशंसा
मिली
उसे
सबसे
पहले
तेलंगाना
द्वारा
लागू
की
गई
थी।
आंध्र प्रदेश सरकार ने बिजली क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कार्य योजना तैयार करने के दिए निर्देश