CAA: बीजेपी नेता और सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने कानून पर उठाए सवाल, कहा-मुसलमानों को क्यों नहीं शामिल किया
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कोलकाता। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) एक्ट पर अब केंद्र में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पार्टी के अंदर ही इस कानून को लेकर सवाल उठने लगे हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते और पश्चिम बंगाल में बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने पार्टी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि आखिर इस कानून से मुसलमानों को क्यों बाहर रखा गया है? चंद्र बोस का सवाल पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है क्योंकि पार्टी पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के लिए कमर कसने में जुटी हुई है।
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ट्वीट में केंद्र सरकार से किए सवाल
सोमवार को चंद्र कुमार बोस ने ट्वीट किया और लिखा, 'अगर #CAA2019 किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है तो फिर हम क्यों कह रहे हैं कि हिंदु, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन लोग ही इसमें शामिल हैं! मुसलमानों को क्यों नहीं शामिल किया गया है? हमें पारदर्शी होना है।' उन्होंने इसके बाद एक और ट्वीट किया और लिखा, 'भारत को किसी और देश के समकक्ष मत रखिए। यह एक ऐसा देश है जो सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान करता है और उन्हें जगह देता है।'
कुछ ही दिनों पहले हुई थी एक रैली
चंद्र कुमार बोस का यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से पश्चिम बंगाल में इस कानून में समर्थन में हाल ही में एक रैली की गई थी। एक खुली जीप में हुई इस रैली में जहां नड्डा जीप पर थे तो राज्य के दूसरे टॉप बीजेपी लीडर्स भी साथ में चल रहे थे। इस रैली को बीजेपी की 'अभिनंदन यात्रा' नाम दिया गया था। रैली के आयोजन का मकसद कानून को पास करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करना था। पार्टी को उम्मीद है कि इस कानून का सबसे ज्यादा फायदा पूर्वी राज्य में मौजूद उन लाखों बंगाली हिंदु शरणार्थियों को मिलेगा जो बांग्लादेश से आए हैं।
कौन हैं चंद्र कुमार
चंद्र कुमार बोस, सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरतचंद्र बोस के पोते हैं। चंद्र कुमार बोस से पहले एनडीए का हिस्सा शिरोमणि अकाली दल की तरफ से भी इसी तरह की बात कही जा चुकी है। पार्टी ने कहा है कि कानून में मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए। पार्टी की मानें तो ऐसा करने से ही देश का लोकतंत्र और इसका पंथनिरपेक्ष रहने का मकसद आगे भी सफल होता रहेगा।
क्या है नया नागरिकता कानून
नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदुओं, पारसी, ईसाई, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के उन अनुयायियों को भारत की नागरिकता मिलेगी जिन्हें धर्म की वजह से उत्पीड़न झेलने को मजबूर होना पड़ता है।