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डोकलाम में घुसपैठ कर भारत के खिलाफ बड़ी साजिश को अंजाम देना चाहता है चीन

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नई दिल्‍ली। चीन और भारत के बीच सिक्किम विवाद को लेकर जंग के हालात बनते नजर आ रहे हैं। ये विवाद सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बनाने को लेकर शुरू हुआ है। चीन ने अभी तक बातचीत के रास्ते से किनारा किया हुआ है। उसका ये कहना है कि जब तक भारत अपने सुरक्षा बलों को डोकलाम से हटा नहीं लेता है तब तक चीन बातचीत के लिए तैयार नहीं होगा। तो आईए आपको बताते हैं कि चीन क्‍यों डोकलाम पर नजर गड़ाए हुए है और क्‍यों हड़पना चाहता है वो भूटान के हिस्‍से की जमीन को। इससे पहले आपको डोकलाम के बारे में बता देते हैं।

'ट्राइजंक्शन' है डोकलाम

'ट्राइजंक्शन' है डोकलाम

डोकलाम को भूटान में डोलम कहते हैं। करीब 300 वर्ग किलोमीटर का ये इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है और सिक्किम के नाथुला दर्रे के करीब है। इसलिए इस इलाके को ट्राई जंक्शन के नाम भी जाना जाता है। ये डैगर यानी एक खंजर की तरह का भौगोलिक इलाका है, जो भारत के चिकन नेक यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरफ जाता है। चीन की चुंबी वैली का यहां आखिरी शहर है याटूंग। चीन इसी याटूंग शहर से लेकर विवादित डोलम इलाके तक सड़क बनाना चाहता है।

डोकलाम को हर हाल में हड़पना चाह रहा है चीन

डोकलाम को हर हाल में हड़पना चाह रहा है चीन

चीन का डोकलाम पठार पर सड़क बना देना उसके सैनिकों को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के और करीब पहुंचा देगा। चीन ये नहीं मानता है कि डोकलाम पठार का 'डोका ला' इलाका 'ट्राइजंक्शन' है। चीन 'डोका ला' इलाके को अपना हिस्सा मानता है और भूटान अपना। इस सड़क का मकसद है 'ट्राइजंक्शन' को हमेशा के लिए शिफ्ट कर देना। सड़क बनने के साथ ही चीन का डोका ला पर दावा और मजबूत हो जाएगा। ऐसे में चीन एक तरह से भूटान के कुछ इलाकों पर कब्जा हासिल कर लेगा।

रक्षा करना भारत की है जिम्‍मेदारी

रक्षा करना भारत की है जिम्‍मेदारी

भूटान के भारत के साथ खास रिश्ते हैं और 1949 की संधि के मुताबिक, ये विदेशी मामलों में भारत सरकार की ‘सलाह से निर्देशित' होगा। 1949 में हस्ताक्षर की गई संधि और फिर 2007 दोहराई गई संधि के मुताबिक, भूटान के भू-भाग के मामलों को देखना भी भारत की जिम्मेदारी है। ऐसे में अगर चीन, भूटान के किसी भी हिस्से पर दावा ठोकता है या उसकी संप्रभुता में दखल देता है, तो भारत के लिए भी विरोध करना जरूरी है।

1959 से चला आ रहा है विवाद

1959 से चला आ रहा है विवाद

भारत के साथ भूटान की साझेदारी बरसों पुरानी है। इस लिहाज से डोकलाम का इलाका भूटान किसी भी हालत में चीन को नहीं सौंपना चाहता है। भूटान-चीन के बीच सीमा का विवाद साल 1959 से चला आ रहा है।1959 से ही चीन की सेना ने भूटान में दखल देना शुरू कर दिया था। फिलहाल ये भी बताया जा रहा है कि डोकलाम के अलावा भी भूटान के दूसरे इलाकों में चीन अपना दावा ठोक रहा है। ये कहा जा रहा है कि चीन चाहता है कि इस दबाव के बदले भूटान डोकलाम को सौंप दे।

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English summary
As the military stand-off over Doka La (or the Doklam plateau) between India and China spills over into its second month, it is important to understand both the military and geo-strategic reasons behind the incident.
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