असमः एनआरसी में नाम आने के बाद भी क्यों नहीं बन पा रहा आधार कार्ड?
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद असम में लाखों लोगों का आधार कार्ड क्यों नहीं बन पा रहा है. आख़िर कहां फंसा है पेच.
"मैं इसी देश की नागरिक हूं. हमारे पूरे परिवार का नाम एनआरसी में आया है, लेकिन अब तक मेरा आधार कार्ड नहीं बना है. आधार केंद्र में बैठे लोग कहते है कि मेरा बायोमेट्रिक लॉक है, इसलिए आधार कार्ड नहीं बन रहा है. बैंक वाले केवाईसी के लिए आधार कार्ड मांग रहे हैं. अगर सरकार आधार कार्ड बनाकर नहीं देगी तो मैं किसके पास जाऊंगी? आधार कार्ड को लेकर बहुत परेशान हो गई हूं."
जोरहाट ज़िले के मरियानी शहर में रहने वाली 62 साल की संध्या रानी देब बड़े गुस्से के साथ ये बातें कहती हैं.
असम सरकार के मुताबिक़, राज्य में क़रीब 27 लाख लोगों का आधार कार्ड नहीं बन पाया है.
केंद्र सरकार एक तरफ़ जहां लोगों से आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए विभिन्न माध्यमों से अपील करती रही है, वहीं भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में लोग आधार केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं.
कई प्रयासों के बाद भी आधार कार्ड नहीं बनने से निराश संध्या कहती हैं, "बैंक की केवाईसी के कारण अगर मेरी पेंशन रुक गई तो खाने-पीने के लाले पड़ जाएंगे. मैं एक विधवा और बूढ़ी महिला हूं और पेंशन के पैसे से गुज़ारा करती हूं. सरकार से सिर्फ़ इतनी सी अपील है कि वो मेरा आधार कार्ड बनवा दे."
परेशान लोगों की दिक़्क़तें
मरियानी शहर के बाहर सोनोवाल में एक छोटी-सी टायर की दुकान चलाने वाले दीपक बोरा कहते हैं, "हमारे जैसे ग़रीब लोगों के लिए आधार कार्ड इस समय सबसे ज़रूरी दस्तावेज़ है क्योंकि इसके बिना राशन के पांच किलो चावल तक नहीं मिलते."
असमिया समुदाय से आने वाले दीपक के पिता प्रदीप बोरा के नाम पर मौजूद दस्तावेज़ों में मामूली अंतर होने के कारण उनका भी नाम एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की पहली सूची में नहीं आया था. इस वजह से उन्हें फिर से अपने सारे दस्तावेज़ जमा करवाने पड़े और तब जाकर एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट में उनके परिवार का नाम शामिल हुआ.
वो बताते हैं, "मेरा भी आधार कार्ड शुरू में नहीं बन रहा था क्योंकि एनआरसी के समय जो बायोमेट्रिक किए गए थे, उस वजह से आधार कार्ड रिजेक्ट हो जा रहा था. लेकिन आधार कार्ड के बिना जब राशन का चावल मिलना बंद हो गया और मेरी मां ने चार महीने पहले जब यह बात बताई तो मैं आधार कार्ड बनवाने के लिए आधार केंद्र जाने लगा. वहां मौजूद लोगों ने कहा कि आधार के सिस्टम में आपका पहले का आवेदन प्रोसेसिंग में दिखा रहा है और जब तक वो कैंसिल नहीं होता आप नए कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सकते."
"मैं बहुत परेशान हो गया था, लेकिन अभी हाल ही में देखा तो मेरा नाम सिस्टम में कैंसिल हो गया था. फिर मैंने और मेरी मां ने आवेदन किया .अभी शुक्रवार (12 अगस्त) को ही हम दोनों को आधार कार्ड मिला है."
दीपक कहते हैं, "एनआरसी में मेरे पिता के दस्तावेज़ को लेकर कुछ समस्या हुई थी. मैं अपने पिता के सारे कागज़ात जमा नहीं कर पाया था क्योंकि फ़ैमिली ट्री में दादा जी के नाम पर जो दस्तावेज़ चाहिए थे वो मैंने बाद में जमा करवाए थे. इस वजह से एनआरसी की दूसरी लिस्ट में नाम शामिल हुआ और आधार कार्ड की समस्या उत्पन्न हो गई. मेरी बड़ी बहन की शादी बिहार के व्यक्ति से हुई है. उनके पूरे परिवार का आधार कार्ड अब तक नहीं बना है."
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क्या कहती है सरकार
जोरहाट ज़िले के ढिंगियापार चाय बागान में काम करने वाले राजेश मिश्रा भी आधार कार्ड नहीं बनने से बेहद परेशान हैं.
वो कहते हैं, "मेरा बड़ा बेटा 10वीं की परीक्षा में अच्छे नंबर (75 फ़ीसदी नंबर) के साथ पास हुआ है और राज्य सरकार की योजना के तहत उसे 16 हज़ार रुपए दिए गए हैं. लेकिन आधार कार्ड के बिना पहले किसी भी बैंक में बेटे का खाता नहीं खुल पा रहा था. क्योंकि सरकार योजना का पैसा सीधे छात्र के बैंक खाते में ट्रांसफ़र करती है. बहुत मशक्कत के बाद बेटे का एक बैंक में अकाउंट खोल पाया हूं. सरकार बताए कि मिश्रा, पांडे क्या कोई बांग्लादेशी होता है जो हमारा आधार कार्ड बनने नहीं दिया जा रहा."
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के रहने वाले राजेश बताते हैं, "हमारे पूरे परिवार का नाम एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट में आया है, लेकिन इसके बावजूद मेरा, मेरी पत्नी और दोनों बच्चों का आधार कार्ड नहीं बन रहा है. जबकि मेरे पिताजी और मां का आधार कार्ड यूपी में बना हुआ है. बैंक वाले तथा प्रॉविडेंट फ़ंड अकाउंट वाले सब जगह मुझसे आधार कार्ड मांग रहे हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आधार कार्ड बनाने के लिए किसके पास जाना होगा."
असम में बड़ी तादाद में लोगों को आधार कार्ड के बिना महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी हो रही है. असम में जिन लोगों का आधार कार्ड नहीं बना है उन सबको असम सरकार की ओरुनोदोई योजना का फ़ायदा नहीं मिलेगा क्योंकि असम सरकार इस योजना के तहत आने वाले सभी लाभार्थियों को आधार कार्ड से लिंक करने की प्रक्रिया पर काम कर रही है.
हाल ही में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आधार कार्ड की परेशानियों के बारे में नई दिल्ली में मीडिया के समक्ष कहा था कि असम में 26 लाख लोगों का नाम एनआरसी के कारण ब्लॉक लिस्ट में है.
उन्होंने कहा था, "असम में 26 लाख ऐसे परिवार हैं जिनके नाम एनआरसी के मसौदे में नहीं आने के कारण ब्लॉक किए हुए हैं. हम जल्द ही उस पर एक फ़ैसला लेंगे."
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सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित
असम में ओरुनोदोई योजना के तहत ग़रीब परिवार की प्रत्येक महिला को हर महीने हज़ार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. लिहाज़ा इन दिनों लोग अपना आधार बनवाने के लिए रोजाना आधार केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं.
जोरहाट ज़िले के एक आधार केंद्र में पिछले दो साल से काम कर रहे राम किशोर दास कहते हैं, "हमारे आधार केंद्र में रोज़ाना ऐसे दर्जनों लोग आते हैं जिनका बायोमेट्रिक लॉक होने के कारण आधार कार्ड नहीं बन रहा है. लोग अपनी परेशानी लेकर आते हैं इसलिए हम उनके पुराने आवेदन का स्टेटस चेक कर देते हैं. कुछ लोग दोबारा आवेदन करते हैं, लेकिन ज़ाहिर सी बात है वो फिर से रिजेक्ट हो जाता है. केवल एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट वालों को ही ये दिक़्क़त हो रही है. दरअसल 2019 में एनआरसी की अंतिम सूची से पहले आधार कार्ड के लिए जिन लोगों के बायोमीट्रिक लिए गए थे उनमें अधिकतर के आधार कार्ड के आवेदन की स्थिति प्रोसेसिंग में दिखती है. और जब तक वो प्रोसेसिंग कैंसिल नहीं होती तबत क दूसरा आवेदन नहीं किया जा सकता."
लेकिन ऐसा नहीं है कि एनआरसी की दूसरी सूची में नाम आने वाले सभी लोगों का आधार कार्ड नहीं बन रहा है. राम किशोर की मानें तो सैकड़ों लोगों के नाम के आगे सिस्टम में जो प्रोसेसिंग दिखा रहा था वो बाद के दिनों में रद्द हो गया और सैकड़ों ऐसे लोगों के आधार कार्ड बन गए हैं.
सरकारी योजना का फ़ायदा नहीं मिलने की ख़बर से नाराज़ मरियानी की रिमी देब कहती हैं, "हमारे घर में सबका आधार कार्ड बन गया है, लेकिन पता नहीं किस कारण से मेरा आधार नहीं बन पा रहा है. मैं सरकार की कई योजना का फ़ायदा नहीं ले पा रही हूं जबकि ये सारी योजनाएं हम जैसे ग़रीब लोगों के लिए बनाई गई हैं. इससे पहले भी मैं प्रधानमंत्री के नाम पर मिलने वाली कई योजनाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकी क्योंकि मेरा आधार कार्ड नहीं बना है. सरकार की तरफ से मिलने वाले राशन के लिए भी अब आधार कार्ड दिखाना होता है, जबकि मेरा नाम एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट में दर्ज है."
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https://www.youtube.com/watch?v=b6T_pUdcpqk
क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट को अपडेट करने के दौरान लगभग 27 लाख लोगों का बायोमेट्रिक डाटा लिया गया था. उस समय जिन लोगों का बायोमेट्रिक लिया गया था उनसे कहा गया कि आधार कार्ड उनके पते पर भेज दिया जाएगा, लेकिन अब वो लाखों लोग आधार केंद्रों का चक्कर लगा रहे हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया (आरजीआई) द्वारा एनआरसी को अब तक नोटिफ़ाई नहीं करने के कारण इन सभी लोगों का बायोमेट्रिक लॉक किया हुआ है. लिहाज़ा जब भी कोई व्यक्ति आधार केंद्र में आधार कार्ड का आवेदन करता है तो बायोमेट्रिक लॉक होने के कारण उनका आवेदन ख़ारिज हो जाता है.
नवंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने जिस मानक संचालन प्रक्रिया अर्थात एसओपी को अनुमोदित किया था, उसमें कहा गया था कि 31 जुलाई, 2018 को प्रकाशित एनआरसी सूची के मसौदे से बाहर रहने वाले लोगों को 'दावों' और 'आपत्ति' प्रक्रिया की सुनवाई के दौरान अनिवार्य रूप से अपना बायोमेट्रिक विवरण जमा करना होगा. इसके बाद 31 अगस्त 2019 में एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट प्रकाशित हुई जिसमें 19 लाख 6 हज़ार से अधिक लोगों के नाम को अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किया गया.
जबकि एसओपी में कहा गया था कि जब एनआरसी की एक बार फ़ाइनल लिस्ट प्रकाशित हो जाएगी उसके बाद एनआरसी में शामिल लोगों को सामान्य आधार संख्या दे दी जाएगी. अब एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट में शामिल इन लोगों को आधार कार्ड मिलने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले अप्रैल में एक जनहित याचिका के जवाब में नोटिस जारी करते हुए उन व्यक्तियों को आधार कार्ड जारी करने का निर्देश दिया था, जिनके बायोमेट्रिक, एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान लॉक कर दिए गए थे. शीर्ष अदालत ने केंद्र, असम सरकार, आरजीआई और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से 17 मई या उससे पहले जवाब मांगा था. इस बात को तीन महीने से अधिक समय बीत गया है, लेकिन अब भी लोगों के आधार कार्ड बायोमेट्रिक लॉक होने के कारण नहीं बन पा रहे हैं.
असम सरकार की कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के महज़ 10 दिन बाद अर्थात इस साल 21 अप्रैल को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया था ताकि यह सुनिश्चित कर सके कि जिन निवासियों के बायोमेट्रिक अपडेट के दौरान लॉक कर दिए गए थे, वे आधार कार्ड प्राप्त करने के योग्य हैं. परंतु असम सरकार ने इस दिशा में अब तक क्या क़दम उठाए है, ये कोई नहीं जानता.
असम में तीन करोड़ 30 लाख से अधिक लोगों ने एनआरसी के लिए आवेदन किया था. एनआरसी अपडेट करने की इस प्रक्रिया में 1,600 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया गया. जबकि एनआरसी अपडेट की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान अपनी नागरिकता को लेकर परेशान कम से कम 51 लोगों ने आत्महत्या कर ली.
इतना सबकुछ होने के बाद भी एनआरसी फ़िलहाल अधर में लटकी हुई है. आरजीआई ने अभी इसे अधिसूचित नहीं किया है और राज्य की सत्ताधारी भाजपा सरकार को सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में बनी इस एनआरसी' में कई त्रुटियां नज़र आ रही हैं.
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