केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट क्या है, यूपी और एमपी में किसे मिलेगा ज्यादा फायदा ?
नई दिल्ली: विश्व जल दिवस यानी 22 मार्च को देश में नदियों को जोड़ने की आजाद भारत की पहली बड़ी परियोजना की शुरुआत को हरी झंडी मिल गई है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच मतभेद को सुलझाकर इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल मौजूदगी में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। दोनों राज्यों के बीच के मतभेदों को तब दूर किया जा सका, जब उत्तर प्रदेश ने ज्यादा हिस्सेदारी की अपनी मांग छोड़ दी और केंद्र ने मध्य प्रदेश की दौधन डैम में जमा सारे अतिरिक्त जल के इस्तेमाल की मांग को मंजूरी नहीं दी। इस प्रोजेक्ट लिए केंद्र सरकार एक खास केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट अथॉरिटी बनाएगी। यह प्रोजेक्ट 8 वर्षों में पूरा होगा और इसकी 90 फीसदी लागत केंद्र सरकार उठाएगी।

केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट क्या है ?
देश में नदियों को आपस में जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना में केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पहली बड़ी परियोजना है, जिसपर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने बहुत जोर दिया था। इस प्रोजेक्ट के तहत केन नदी का पानी बेतवा नदी में भेजा जाएगा। ये दोनों ही नदियां यमुना की सहायक नदियां हैं। इसे परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाना है। पहले चरण में दौधन डैम कॉम्पेलेक्स और इससे जुड़े लो लेवल टनल, हाई लेवल टनल, केन-बेतवा लिंक कनाल और पॉवर हाऊस का निर्माण किया जाएगा। दूसरे चरण में ऑयर डैम, बीना कॉम्पलेक्स प्रोजेक्ट और कोथा बैराज बनाया जाना है। इस परियोजना के तहत केन-बेतवा के बीच 221 किलोमीटर लंबा कैनाल बनाया जाएगा, जिसमें 2 किलोमीटर लंबी सुरंग भी शामिल होगी। इस परियोजना पर कुल लागत 37,611 करोड़ रुपये की आएगी।

बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित किन जिलों को फायदा ?
मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के जो जिले इस प्रोजेक्ट के दायरे में कवर होंगे वो हैं- पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन। जबकि यूपी के जो जिले इसके लाभ के दायरे में आएंगे वो हैं- बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर। इस प्रोजेक्ट के तैयार होने पर 10.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्धा होगा। इनमें 8.1 लाख हेक्टेयर मध्य प्रदेश और 2.5 लाख हेक्टेयर उत्तर प्रदेश का शामिल है। जलशक्ति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'इससे दूसरी नदी परियोजनाओं को भी आपस में जोड़ने का रास्ता साफ होगा, ताकि यह सुनिश्चत हो सके कि देश के विकास में पानी की किल्लत किसी तरह का बाधा पैदा न कर सके।'

यूपी और एमपी में किसको कितना पानी मिलेगा ?
केन-बेतवा प्रोजेक्ट से 62 लाख लोगों तक पीने का पानी उपलब्ध होगा। इसमें मध्य प्रदेश में 41 लाख और यूपी में 21 लाख लोग लाभांवित होंगे। जबकि, केन बेसिन से दौधन डैम तक सामान्य साल में कुल 6,590 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा होगा, जिसमें से मध्य प्रदेश 2,350 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का इस्तेमाल कर सकेगा और यूपी 1,700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का उपयोग कर पाएगा। नवंबर से मई के बीच जिसे गैर-मानसूनी सीजन कहते हैं, उस दौरान दौधन जलाशय से एमपी को 1,834 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी दिया जाएगा, जबकि यूपी के लिए 750 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा जाएगा। इस नदी जल परियोजना से 103 मेगावॉट हाइड्रो पॉवर और 27 मेगावॉट सोलर पॉवर पैदा करने का भी लक्ष्य रखा गया है।

क्या इस प्रोजेक्ट से पन्ना टाइगर रिजर्व पर भी असर पड़ेगा ?
हालांकि, दौधन जलाशय के लिए अभी वन मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है। वैसे जल शक्ति मंत्रालय में राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने संसद में एक लिखित जवाब में बताया था कि केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की वजह से जंगल की 6,017 हेक्टेयर जमीन पानी में डूब जाएगी, जिसमें 4,206 पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों के निवास के इलाके में है। वैसे पहले भी देश में नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं पर काम हो चुके हैं। मसलन, पेरियार प्रोजेक्ट के तहत पेरियार नदी घाटी का पानी वैगाई बेसिन में छोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था। इसे 1895 में पूरा किया गया था। इसी तरह पराम्बिकुलम अलियार, कुरनूल कुडप्पा कैनाल, तेलुगू गंगा प्रोजेक्ट और रावी-ब्यास-सतलज पर भी काम शुरू किया गया था। (कुछ तस्वीरें सौजन्य: विकिपीडिया)