Video: देखिए, पाकिस्तान के तीन आतंकियों को ढेर करते मराठा लाइट इंफेंट्री के जवान
नई दिल्ली। हंदवाड़ा एनकाउंटर के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। यह वीडियो मराठा लाइट इंफेंट्री का है और इसमें तीन आतंकियों को ढेर करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो साल 2019 की शुरुआत का है और सेना के सूत्रों की मानें तो नियंत्रण रेखा पर कार्रवाई के दौरान का है। वीडियो में जवानों को 'छत्रपति शिवाजी की जय हो,' नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। 'छत्रपति शिवाजी की जय हो' मराठा लाइट इंफेंट्री का युद्ध उद्घोष यानी वॉर क्राई है।
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'1,2,3, छत्रपति शिवाजी की जय'
जो वीडियो सामने आया है उसमें तीन आतंकियों को एक घर के पीछे बैठे हुए देखा जा सकता है। तीनों आतंकी फोन पर किसी से बात कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिस जगह पर आतंकी बैठे हैं वह नीलम घाटी है। जवान आतंकियों पर निशाना लगाते हैं और फिर गिनती करते हैं। इसके साथ ही जोरदार आवाज आती है और दो आतंकी तुरंत ढेर हो जाते हैं। लेकिन एक आतंकी भाग कर कुछ कदम आगे जाकर छिप जाता है।
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सेना की 16वीं कोर में कार्रवाई
जवान उस पर भी निशाना लगाते हैं और उसे भी ढेर कर देते हैं। सूत्रों के मुताबिक जहां पर हमला हुआ है वह एलओसी पर सेना की 16वीं कोर का इलाका है जिसके करीब नगरोटा और आसपास का हिस्सा आता है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि यह वीडियो फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले से पहले का है। आपको बता दें कि कुछ लोग इस वीडियो को हंदवाड़ा एनकाउंटर का भी बता रहे हैं मगर वे गलत हैं। ये वीडियो पिछले वर्ष का है।

सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट
मराठा लाइट इंफेंट्री कई वर्षों से कश्मीर की सुरक्षा में तैनात है। मराठा लाइट इंफेंट्री की पहली बटालियन की स्थापना अगस्त 1768 में हुई थी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सुरक्षा के लिए इसे उस समय बॉम्बे सिपाही का नाम दिया गया था। इसका रेजीमेंटल डे चार फरवरी को होता है। कहा जाता है कि 1670 में इसी दिन छत्रपति शिवाजी ने प्रसिद्ध कोंडाना किले पर कब्जा किया था। इसे आज महाराष्ट्र में सिंहगढ़ किले के रूप में जाना जाता था। रेजीमेंट की पहली बटालियन 1768 में ‘बॉम्बे सिपाही' की दूसरी बटालियन के रूप में बनाई गई थी। जिसे बाद में तीसरी ‘जंगली पलटन' के रूप में बदल दिया गया था। यह रेजीमेंट सेना की सबसे पुरानी इंफेंट्री रेजीमेंट है।

रेजीमेंट ने जीते हैं सबसे ज्यादा युद्ध सम्मान
इस वर्ष इस रेजीमेंट ने अपने 250 साल पूरे किए हैं। इस रेजीमेंट के नाम पर 60 से ज्यादा युद्ध सम्मान जीतने का रिकॉर्ड है। रेजीमेंट ने पहले वर्ल्ड वॉर के बाद से 21 युद्ध सम्मान जीते हैं और किसी रेजीमेंट की तुलना में यह सबसे ज्यादा है। सन् 1841 में अफगान युद्ध के दौरान लाइट इंफेंट्री का खिताब हासिल करने वाली सेना की यह पहली इनफेंट्री रेजीमेंट हहै। रेजीमेंट को 56 बैटल ऑनर्स और 10 थियेटर ऑनर्स मिल चुके हैं। इस रेजीमेंट को प्रथम विश्व युद्ध में 15 युद्ध सम्मान हासिल हुए थे।