FASTag बना जी का जंजाल, टोल टैक्स से परेशान गांव वालों ने बना डाली खुद की सड़क
बेंगलुरु। जब से वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य किया गया है, रियायत को लेकर स्थानीय लोगों और टोल कंपनियों के बीच अक्सर झड़पें होती रहती हैं। कई जगहों पर स्थानीय लोगों की मांग है कि उन्हें एक अन्य विकल्प के रूप में टोल-फ्री सर्विस रोड बनाकर दी जानी चाहिए। टोल को लेकर आए दिन स्थानीय लोगों और टोलकर्मियों के बीच झगड़े होते रहते हैं। एक ऐसा ही मामला कर्नाटक के हेजामाडी टोल प्लाजा से सामने आया है।
गांव की सीमा में है टोल प्लाजा
दरअसल हेजामाडी गांव के लोगों को पास वाले टोल बूथ से गुजरना पड़ता था, जो गांव की सीमा में आता है। जब उडुपी टोलवे प्राइवेट लिमिटेड (एनयूटीपीएल) ने हेजामाडी एनएच टोलगेट पर हेजामाडी गांव जाने वाले सभी वाहनों की मुफ्त आवाजाही रोक दी, तो गांव के लोगों ने पंचायत अध्यक्ष प्रणेश हेजामाडी से शिकायत की। प्रणेश ने यह बात अधिकारियों के सामने रखी, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई।
सड़क 30 मार्च को बनाकर तैयार हो गई
ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने गांव से यात्रियों को लेने के लिए आने वाली बसों को रियायत देने का वादा किया था, जिसे पूरा नहीं किया गया। रोज-रोज के झगड़े से परेशान गांव ने वालों ने टोल से बचने के लिए नया तरीका खोज निकाला है। फिर ग्राम पंचायत ने एक आपातकालीन बैठक की। इसके बाद जेसीबी की मदद से हेजामाडी गांव के लोगों ने टोल बूथ से बचने के लिए ग्राम पंचायत ने टोल बूथ के बगल से एक रोड बना दी। यह सड़क 30 मार्च को बनाकर तैयार हो गई।
आखिर में झुकी टोल कंपनी
इसके बाद टोल गेट के ठेकेदार हेजामाडी ग्रामीणों के नाम पर पंजीकृत सभी वाहनों की मुफ्त आवाजाही की अनुमति देने पर सहमत हो गए। न्होंने ग्राम पंचायत को पत्र लिख कर सहमति व्यक्त की कि सभी हल्के मोटर वाहनों, कारों, निजी बसों सहित स्कूल बसों सहित टोल भुगतान से छूट दी गई है। नई करार के तहत टोल अथॉरिटी ने ऐसे वहानों को छूट दी है जो गांव के पते पर पंजीकृत हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से क्या फिर रुकेंगी ट्रेन सेवाएं, भारतीय रेलवे ने दिया जवाब