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...तो हरिद्वार-ऋषिकेश तक भी पहुंच जाती तबाही, इस एक वजह से टल गया बड़ा खतरा

ग्लेशियर फटने के बाद धौलीगंगा, ऋषिगंगा और अलकनंदा नदियों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा था, जिसके बाद...

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देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की वजह से हुई तबाही ने एक बार फिर जून 2013 की उत्तराखंड त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं। रविवार को आई इस तबाही में जहां 14 लोगों के शव अभी तक बरामद हो चुके हैं, वहीं 100 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। रैणी गांव का पुल टूटने की वजह से करीब 13 गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है, जहां हेलीकॉप्टर के जरिए राहत और बचाव कार्य चल रहा है। ग्लेशियर टूटने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार और ऋषिकेश में भी बाढ़ का अलर्ट जारी किया था, लेकिन एक फैसले की वजह से इन दोनों जगहों पर तबाही का खतरा टल गया।

ऋषिकेश-हरिद्वार को लेकर जारी हुआ था अलर्ट

ऋषिकेश-हरिद्वार को लेकर जारी हुआ था अलर्ट

दरअसल, रविवार को चमोली जिले में तपोवन इलाके के पास ग्लेशियर टूटने के बाद धौलीगंगा नदी में आई भीषण बाढ़ की वजह से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा। धौलीगंगा, ऋषिगंगा और अलकनंदा नदियों में तेज गति से जलस्तर बढ़ता हुआ देख प्रशासन ने तुरंत इसकी सूचना श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के अधिकारियों की दी। वहीं, उत्तराखंड पुलिस ने भी ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर जाने की एडवाइजरी जारी कर दी। उत्तराखंड पुलिस ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि श्रीनगर में जलस्तर 536 मीटर, ऋषिकेश में 340.50 मीटर और हरिद्वार में 294 मीटर तक जा सकता है।

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कैसे टला बड़ा खतरा

कैसे टला बड़ा खतरा

प्रशासन से सूचना मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के अधिकारियों ने देर नहीं लगाई और सबसे पहले झील में रोके गए पानी को आगे की तरफ छोड़कर यहां का जलस्तर कम किया। कुछ घंटों बाद ही पानी का तेज बहाव श्रीनगर जल विद्युत परियोजना तक पहुंचा, लेकिन तब तक खतरा टल चुका था। पीछे से आए पानी के तेज बहाव को झील में ही रोक दिया गया, जिसकी वजह से ये बहाव ऋषिकेश और हरिद्वार तक उतने वेग से नहीं पहुंच पाया। अगर, पानी का यह तेज बहाव यहां से आगे बढ़ता तो ऋषिकेश और हरिद्वार में भी हालात बिगड़ सकते थे।

तपोवन टनल से लोगों को बचाने में जुटी सेना

तपोवन टनल से लोगों को बचाने में जुटी सेना

आपको बता दें कि रविवार को आई इस तबाही के बाद उत्तराखंड पुलिस, एनडीआरएफ, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और आईटीबीपी के जवान लगातार लोगों को बचाने में जुटे हुए हैं। तपोवन बांध के पास स्थित टनल में भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है, जिन्हें बचाने के लिए सेना के जवान भारी मशीनों की मदद से मलबा हटा रहे हैं। भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि टनल के प्रवेश द्वार पर जमा मलबे को हटा लिया गया है और जल्दी ही इसमें फंसे लोगों को निकाल लिया जाएगा।

हेलीकॉप्टर से पहुंचाई जा रही गांवों को मदद

हेलीकॉप्टर से पहुंचाई जा रही गांवों को मदद

रैणी गांव में पूल टूटने की वजह से जिन गांवों से संपर्क टूट गया है, वहां भारतीय वायु सेना के जवान हेलीकॉप्टर की मदद से राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा तपोवन बांध के पास स्थित दूसरी टनल में भी लोगों को बचाने का कार्य जारी है। वहीं, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करते हुए बताया कि वो देहरादून से प्रभावित क्षेत्रों में जा रहे हैं और रात्रि प्रवास करेंगे। सीएम रावत ने कहा कि सरकार बचाव कार्य में कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है और उन्हें केंद्र की पूरी मदद मिल रही है।

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English summary
Uttarakhand Glacier Burst Srinagar Dam Haridwar Rishikesh.
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