अमेरिकी राजदूत जस्टर ने कहा: चीन में अमेरिकी कंपनियों को अपने पाले में लाने का मौका भारत के पास
नई दिल्ली। भारत में अमेरिकी राजदूत केनिथ जस्टर ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अन्य अमेरिकी नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम आतकियों के पनाहगाह भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। जस्टर ने कहा कि इसी के तहत बीते महीने पहली बार आतंक निरोधी संवाद शुरु किया। जस्टर ने कहा कि 'अमेरिका फर्स्ट 'और' मेक इन इंडिया ' अलग-अलग नहीं हैं। बल्कि दोनों को एक दूसरे के बाजार में निवेश करने से पारस्परिक रूप से लाभ होगा, इससे आर्थिक संबंधों और व्यापार की मात्रा में वृद्धि होगी।
सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध
जस्टर ने कहा कि कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में व्यापार करने में बढ़ती समस्याओं का उल्लेख किया है। भारत इस क्षेत्र में अमेरिकी व्यापार के लिए वैकल्पिक हब बनने के लिए व्यापार और निवेश के माध्यम से इस रणनीतिक अवसर को अपने पाले में कर सकता है। उन्होंने कहा कि सहयोग के कुछ क्षेत्रों जैसे अफगानिस्तान में हम दोनों (भारत और अमेरिका) की रुचि है कि वहां शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा मिले। हमारे नेता अफगानिस्तान का समर्थन करने और उस देश के लोकतांत्रिक संस्थानों को बनाने में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हम अप्रवासियों का देश हैं
जस्टर ने कहा कि अमेरिका शायद दुनिया में ऐसा अकेला देश है जो सबके लिए खुला है। शायद हम किसी अन्य देश की तुलना में प्रति वर्ष अधिक अप्रवासियों को लेते हैं। हम अप्रवासियों का देश हैं और जिन्होंने हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद की है।
हम जो हैं, वो अप्रवासियों ने बनाया है
जस्टर ने कहा हम जो हैं, वो उन्होंने (अप्रवासियों) बनाया है, उसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान की स्थिति के लिए भी महत्वपूर्ण है। मुझे नहीं लगता कि हम अफगानिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा प्राप्त करने में बिना पाकिस्तान के सकारात्मक रूप से योगदान के सफल हो सकेंगे।
आतंकी ठिकानों को खत्म करने की कोशिश
जस्टर ने कहा कि पाकिस्तान की सुरक्षा सहायता को निलंबित करने में यह वास्तव में बड़ी वजह थी क्योंकि हमें लगता है कि उन्होंने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को खत्म करने की कोशिश करनी है, जो अफगानिस्तान में अशांति फैला रहे है।