ट्विटर ने मोदी सरकार की आपत्ति पर दिया जवाब, बढ़ सकता है टकराव
माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने लिखा है कि 'केंद्र सरकार ने जो अकाउंट बंद करने को कहा, वो भारतीय क़ानूनों के अनुरूप नहीं हैं.
एक हज़ार से अधिक ट्विटर अकाउंट्स को ब्लॉक करने के केंद्र सरकार के निर्देश पर माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट 'ट्विटर' ने बुधवार को जवाब दिया है.
26 जनवरी 2021 की घटना का ज़िक्र करते हुए ट्विटर ने लिखा है कि 'हमारी ग्लोबल टीम ने इस दौरान 24/7 कवरेज प्रदान की और सारे कॉन्टेंट, ट्वीट्स और अकाउंट्स पर न्यायिक और निष्पक्ष रूप से कार्रवाई की, क्योंकि ये ट्विटर के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे.'
'कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करने वाले सैकड़ों अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. ख़ासतौर पर उनके ख़िलाफ़, जो हिंसा, दुर्व्यवहार और धमकियों से भरे हुए थे. इसके साथ ही कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करने वाले कुछ ट्रेंड्स पर भी रोक लगाई.'
ट्विटर इंडिया ने अपने एक आधिकारिक ब्लॉग में लिखा है कि 'कंपनी ने 500 से अधिक ट्विटर अकाउंट्स को निलंबित कर दिया है जो स्पष्ट रूप से स्पैम की श्रेणी में आते थे और प्लेटफ़ॉर्म का ग़लत इस्तेमाल कर रहे थे.'
ट्विटर इंडिया ने इस ब्लॉग में लिखा है कि 'ये कार्रवाई बीते दस दिन में की गई है.'
ट्विटर ने अब तक क्या कार्रवाई की?
कंपनी के अनुसार, इस दौरान केंद्र सरकार से भी उन्हें आईटी एक्ट के सेक्शन-69ए के तहत कुछ आदेश मिले, जिनमें बहुत से ट्विटर अकाउंट्स को निलंबित करने का अनुरोध किया गया है.
कंपनी ने लिखा है कि 'हमने इनमें से दो आदेशों का अस्थायी रूप से पालन किया था, जिनमें आपातकालीन रूप से अकाउंट ब्लॉक करने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में हमने उन्हें बहाल कर दिया क्योंकि ये भारतीय क़ानून के अनुरूप पाए गए. जब इसकी सूचना भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को दी गई, तो उन्होंने हमें निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहने का एक नोटिस थमा दिया.'
ट्विटर ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि 'जिन ट्वीट्स में नुक़सानदायक कॉन्टेंट था, वो अब कम दिखाई देंगे क्योंकि कंपनी ने उनकी विज़ीबिलिटी घटा दी है. कंपनी ने केंद्र सरकार से सुझाए गए 500 से ज़्यादा ट्विटर अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है जिनमें से अधिकांश अकाउंट स्थायी रूप से निलंबित कर दिए गए हैं.'
"इसके अलावा, कंपनी ने बुधवार को ही सरकार की ओर से रेखांकित किए गए अकाउंट्स में से कुछ को भारत में रोक दिया है. हालांकि, ये अकाउंट भारत के बाहर उपलब्ध रहेंगे क्योंकि हम नहीं मानते कि हमें भारतीय क़ानून के अनुरूप इन अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा गया. हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं और इसी नज़रिये को ध्यान में रखकर हमने मीडिया के लोगों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं के अकाउंट्स के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है."
'हर नज़रिये का सम्मान'
ट्विटर इंडिया के अनुसार, कंपनी ने 10 फ़रवरी को केंद्र सरकार के सामने अपना जवाब पेश किया है और ये सभी दलीलें रखी हैं.
कंपनी ने अपने ब्लॉग में लिखा है, "हमारा विश्वास है कि सार्वजनिक संवाद और परस्पर विश्वास बनाने के लिए पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है. यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि लोग इस बात को समझें कि हम अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेंट की छटनी कैसे करते हैं और पूरी दुनिया की सरकारों के साथ कैसे संवाद करते हैं."
"हमारी पारदर्शिता रिपोर्ट में यह देखा जा सकता है कि सरकारें हमसे क्या अनुरोध करती हैं और हम वैश्विक स्तर पर कैसे काम करते हैं."
कंपनी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि "मौजूदा दौर में फ़्री इंटरनेट और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगातार ख़तरा मंडरा रहा है. पिछले कुछ हफ़्तों में भारत में हिंसा की ख़बरों पर हम बारीकी से अपडेट देना चाहते थे और अपने नियमों और सिद्धांतों को गंभीरता से लागू करने के प्रयास कर रहे थे."
कंपनी ने लिखा है कि "ट्विटर की मौजूदगी इसीलिए है ताकि हम अपने यूज़र्स की आवाज़ को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचा सकें. इसे ध्यान में रखते हुए हम लगातार अपनी सेवाओं में सुधार कर रहे हैं ताकि हर कोई - चाहे उनका जो भी नज़रिया हो - निर्भीक होकर एक सार्वजनिक संवाद में शामिल हो सके."
भारत सरकार ने ट्विटर से क्या कहा था?
मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा था कि भारत सरकार ने ट्विटर को कथित पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थकों से संबंधित 1178 ट्विटर अकाउंट बंद करने का आदेश दिया है जो किसानों के विरोध प्रदर्शनों को लेकर ग़लत सूचना और उत्तेजक सामग्री फैलाते रहे हैं.
बताया गया कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चार फ़रवरी को इन ट्विटर अकाउंट्स की एक सूची साझा की थी. इन अकाउंट्स की पहचान सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तान समर्थक या पाकिस्तान द्वारा समर्थित और विदेशी धरती से संचालित होने वाले अकाउंट्स के तौर पर की थी, जिनसे किसान आंदोलन के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था को ख़तरा है.
इससे पहले, सरकार ने ट्विटर को उन 'हैंडल्स' और 'हैशटैग्स' को हटाने का आदेश दिया था, जिनमें दावा किया गया था कि किसान नरसंहार की योजना बनाई जा रही है. सरकार ने कहा था कि इस तरह की ग़लत सूचना और भड़काऊ सामग्री सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करेगी.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र सरकार ने ट्विटर को निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहने पर दण्डात्मक कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी.
किसान विरोध प्रदर्शन के समर्थन में कई विदेशी हस्तियों द्वारा किये गए कुछ ट्वीट्स को ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी द्वारा हाल ही में लाइक किये जाने से भी आईटी मंत्रालय परोक्ष तौर पर अप्रसन्न बताया जाता है.
इस बीच ट्विटर के एक प्रवक्ता ने अपनी ई-मेल प्रतिक्रिया में कहा था कि 'ट्विटर सार्वजनिक संवाद के सशक्तीकरण और पारदर्शिता के सिद्धांतों पर चलता है. अगर हमें ट्विटर पर संभावित अवैध सामग्री के बारे में वैध क़ानूनी अनुरोध प्राप्त होता है, तो हम इसकी समीक्षा ट्विटर के नियमों और स्थानीय क़ानून, दोनों के तहत करते हैं. यदि सामग्री ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करती है, तो सामग्री को हटाया जाएगा.'
इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि 'यदि यह एक विशेष अधिकार क्षेत्र में अवैध होना निर्धारित करता है, लेकिन ट्विटर के नियमों का उल्लंघन नहीं है, तो हम केवल उस स्थान में सामग्री तक पहुँच को रोक सकते हैं. सभी मामलों में, हम अकाउंट धारक को सीधे सूचित करते हैं ताकि उसे पता चले कि हमें अकाउंट से संबंधित एक क़ानूनी आदेश प्राप्त हुआ है.'