Supreme Court में CJI ने भ्रष्टाचार मामले में पलटा 2 जजों का पीठ का फैसला, हुई बहस
judges bribery scandal, supreme court, cji, prashant bhushan, chief justice of india dipak misra, judges bribery, india news, supreme court news,Supreme Court, CJI, Prashant Bhushan, सीजेआई, दीपक मिश्रा, भ्रष्टाचार, सुप्रीम कोर्ट, प्रशांत भूषण
नई दिल्ली। यूं तो अदालतें तमाम मसलों और झगड़ों को सुलझाने के लिए बनी हैं, लेकिन कभी कभी वहां का माहौल भी गरम हो जाता है। मामला न्यायाधीशों के कथित तौर पर भ्रष्टाचार करने का है, जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर के फैसले को पलट दिया। बता दें 9 नवंबर को जस्टिस चेलामेश्वर और नजीर ने कथित तौर पर रिश्वत दिए जाने से जुड़े मामले पर सुनवाई के लिये पांच न्यायाधीशों की एक पीठ का गठन किया था। इस मामले में ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति इशरत मसरूर कुद्दुसी एक आरोपी हैं।
गौरतलब है कि CJI मिश्रा के बाद चेलामेश्वर वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। उन्होंने एक गैर लाभकारी संगठन (NGO) और एक वकील की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों की पीठ गठित करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि CJI मिश्रा के खिलाफ भी आरोप हैं। हालांकि 10 नवंबर को CJI मिश्रा ने अपनी अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया और दो जस्टिस चेलामेश्वर और जस्टिस नजीर के फैसले को पलट दिया।
पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि कोई पीठ गठित करने और मामले आवंटित करने का विशेषाधिकार सिर्फ CJI के पास है। पीठ में न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताभ राय और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर भी शामिल थे। गुरुवार का आदेश एनजीओ अभियान के लिए न्यायिक जवाबदेही और सुधार (सीजेएआर) की याचिका पर आया था, जिसने उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इशरत मसरूर कुद्दुसी से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में एसआईटी जांच की मांग की थी। सीबीआई द्वारा 21 सितंबर को गिरफ्तार किए गए छह लोगों में से उन्हें गिरफ्तार किया गया था। दावा किया गयाा था कि वे लखनऊ स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के लिए सुप्रीम कोर्ट सहित अदालतों के अनुकूल आदेशों की जांच करने और सुरक्षित करने के लिए सौदे में शामिल थे, जिसे सरकारी ब्लैकलिस्ट में रखा गया था।
अपनी प्राथमिकी में, सीबीआई ने दावा किया कि मेडिकल कॉलेज के प्रमोटरों ने सरकार द्वारा दो साल के लिए प्रवेश करने से रोकते हुए 46 में से एक, कुद्दुसी से संपर्क किया था, जिन्होंने प्रभावशाली लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट अन्य समेत अदालतों से राहत का वायदा किया था। पांच न्यायाधीश संवैधानिक खंडपीठ ने कहा कि सीजेआर की याचिका दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगी। वहीं मीडिया को मामले की रिपोर्टिंग करने से रोकने के अनुरोध को खारिज करते हुए सीजेआई मिश्रा ने कहा, 'मेरा विश्वास है, और हम सभी को सामूहिक रूप से मीडिया की स्वतंत्रता और मीडिया की आजादी में विश्वास है, जब तक कि वे अपनी सीमाओं के भीतर हैं।'
हालांकि इस दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण और CJI में बहस हो गई। भूषण बीच में ही बहस छोड़कर चले गए। ट्विटर पर भूषण ने लिखा है - सीजीआई ने प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन किया है, आप अपने ही मामले में न्यायाधीश नहीं बन सकते। वहीं एक अन्य ट्वीट के अनुसार अदालत में प्रशांत भूषण ने कहा आपके (CJI) खिलाफ एफआईआर दर्ज है। जिस पर CJI ने कहा 'क्या बकवास है! एएफआईआर में मेरा या किसी अन्य का नाम तक नहीं है। अब आप अवमानना के लिए जवाबदेह हैं।' जिस पर भूषण ने कह तो अवमानना का नोटिस जारी करें। फिर CJI ने आप उस लायक नहीं हैं।