ट्रिपल तलाक के ट्रैप में फंसीं कांग्रेस-बीजेपी
नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक/तीन तलाक/तलाक-ए-बिद्दत को बीजेपी ने लोकसभा से तो पास करा लिया है। अब इसे राज्यसभा में पास कराने की चुनौती उसके सामने खड़ी है। 244 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी तो छोडि़ए एनडीए के पास भी इतनी सीटें नहीं हैं कि तीन तलाक बिल को पास कराया जा सके। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने दावा किया है कि विपक्षी दलों के पास राज्यसभा में 116 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का प्रयास है कि कैसे भी करके ट्रिपल तलाक बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया जाए। तीन तलाक पर कानून बनाना सही है, गलत है, पर्सनल लॉ में घुसपैठ है, मुस्लिम स्वीकार करेंगे या नहीं करेंगे, बीजेपी मुस्लिम वोट बैंक बांटना चाहती है, कांग्रेस की अपनी मुश्किल है, ये सब बातें अलग हैं। अहम बात यह है कि 2019 लोकसभा चुनाव से ऐन पहले लाया गया ट्रिपल तलाक बिल कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों के लिए ट्रैप बन गया है। एक ऐसा राजनीतिक जाल जिसमें कोई भी फंस सकता है।
ट्रिपल तलाक बीजेपी के सामने खड़ी है बड़ी मुश्किल
तीन तलाक बिल के संबंध में बीजेपी शुरुआत से एक ही बात कह रही है। उसका दावा है कि तीन तलाक के पीछे उसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है, बल्कि पार्टी तीन तलाक के अत्याचार से मुस्लिम महिलाओं को निजात दिलाने के लिए बिल लेकर आई है। विपक्षी बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि वह मुस्लिम वोट बांटने के मकसद से ऐसा कर रही है। मुस्लिम धर्मगुरु इसे धार्मिक आजादी पर कुठाराघात बता रहे हैं। इन सब बातों के बाद भी ट्रिपल तलाक बिल को मुस्लिम महिलाओं से समर्थन मिल रहा है। अब बीजेपी की मुश्किल यह है कि अगर वह इस कानून को राज्सभा में पास नहीं करा पाई तो उस पर लग रहे वोट बैंक की राजनीति के आरोपों को बल मिल जाएगा। संभव है कि फरवरी में इलेक्शन कमीशन कोड ऑफ कंडक्ट लागू कर दे। ऐसे में राज्यसभा से बीजेपी को इसी सत्र में तीन तलाक बिला पारित कराना होगा। यहां उसके पास बहुमत है नहीं। हालांकि, उसके पास एआईडीएमके, टीआरएस और बीजेडी का समर्थन हासिल कर बिल पारित कराने का रास्ते खुला है, लेकिन तीनों दलों को मनाना इतना आसान काम भी नहीं है।
क्या कहता है राज्यसभा में सीटों का गणित
राज्यसभा में संख्याबल मोदी सरकार के पक्ष में नहीं है। यहां बीजेपी के पास 73 सांसद हैं, सहयोगी जेडीयू के पास 6, शिवसेना के पास 3, अकाली दल के 3 और आरपीआई का एक सांसद राज्यसभा में है। इस हिसाब से एनडीए के पास 86 सांसद हैं। विपक्षी खेमे की बात करें तो कांग्रेस के 50, समाजवादी पार्टी के 13, टीएमसी के 13, सीपीएम के 5, एनसीपी के 4, बीएसपी के 4, सीपीआई के 2 और पीडीपी के 2 सांसद हैं। इस तरह विपक्ष के पास 97 सांसद हैं। हालांकि, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन का दावा है कि विपक्षी दलों के पास 116 सांसदों का समर्थन है। अब सारा खेल टीआरएस के 6, बीजेडी के 9 और एआईडीएमके के 13 सांसदों पर आकर टिक जाता है। अगर इनका समर्थन मिला तो बीजेपी बिल पास करा सकती है, लेकिन क्या वह इनका समर्थन प्राप्त करने में सफल रहेगी?
ट्रिपल तलाक पर ट्रैप में फंसी कांग्रेस की मुश्किल
गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जैसे-तैसे करके कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व की दिशा में कदम बढ़ाया। राहुल गांधी का मिशन मंदिर इन सभी चुनावों में पार्टी के काम भी आया। अब ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर वह पूरे तेवर के साथ मुस्लिमों के पक्ष में खड़ी नहीं रहना चाहती है। बिल का कड़ा विरोध प केवल मुस्लिम मुहिलाओं को कांग्रेस के खिलाफ ले जाएगा बल्कि हिंदू वोटरों को भी गलत संदेश जाएगा। इसी वजह से कांग्रेस बार-बार संशोधनों और सलेक्ट कमेटी जैसे दांव चल रही है। दूसरी ओर बीजेपी का प्रयास यह है कि वह किसी भी सूरत में कांग्रेस को एक जगह खड़ा कर दे, या तो बिल के पक्ष में या बिल के विरोध में। कांग्रेस दोनों में से किसी जगह नहीं रहना चाहती है, लेकिन बिल रोकने का प्रयास तो वह कह रही है। ऐसे में अगर बिल पास नहीं होता तो बीजेपी का पूरा-पूरा प्रयास रहेगा ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ने का, लेकिन सवाल यह भी है कि बिल पास न होने की सूरत में क्या वह खुद किसी तरह का लाभ ले पाएगी? मतलब बीजेपी के लिए बिल का पास होना बेहद जरूरी है।