सिर्फ 5 महीने में चीन का आधा हिसाब यूं हुआ चुकता, आत्मनिर्भर भारत अभियान और गलवान का असर
नई दिल्ली- मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 5 महीने में चीन के साथ व्यापार घाटा पिछले इसी अवधि के मुकाबले लगभग आधा रह गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। चीन के साथ व्यापार घाटा कम होने का मतलब ये है कि इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक के 5 महीनों में भारत से चीन को होने वाले निर्यात में काफी इजाफा हुआ है। जबकि इस दौरान चीन से होने वाले आयात में भारी कमी आई है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर जो सख्ती दिखाई है और गलवान की घटना के बाद देश में जो चीन विरोधी माहौल बना है, यह उसी का नतीजा है।
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 12.6 अरब डॉलर दर्ज किया गया। जबकि, इसी अवधि में वित्त वर्ष 2019-20 में यह व्यापार घाटा 22.6 अरब डॉलर का था। 2019 में यह व्यापार घाटा 23.5 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि उससे एक साल पहले 2018 में इसी अवधि के दौरान 26.33 अरब अमेरिकी डॉलर का था। माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में चीन के साथ व्यापार घाटे में आई करीब आधी गिरावट पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की हुई खूनी झड़प का नतीजा है। इसके बाद चीन पर व्यापार निर्भरता कम करने की हर संभव कोशिशें की गई हैं।
सबसे बड़ी बात ये है कि इस दौरान भारत ने आत्मनिर्भर होते हुए चीन को होने वाला निर्यात को लगातार बढ़ाया है। अगस्त में चीन को होने वाले निर्यात में लगातार चौथे महीने दहाई अंकों में इजाफा दर्ज किया गया है। आयात में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी लोहा एवं इस्पात के क्षेत्र में हुआ है, जिसमें 8 गुना इजाफा दर्ज किया गया है। अप्रैल से अगस्त के बीच चीन को होने वाले निर्यात में पिछले साल इसी अवधि के 9.5 फीसदी के मुकाबले 27 फीसदी दर्ज की गई है। जबकि, इसी दौरान आयात में 27 फीसदी की गिरावट हुई है। जून महीने में तो चीन को होने वाला निर्यात 78 फीसदी तक बढ़ गया। मई में यह 48 फीसदी और जुलाई में 23 फीसदी बढ़ा।
गौरतलब है कि जून महीने में लद्दाख की गलवान घाटी की घटना के बाद देश में चीन के खिलाफ जो गुस्सा भड़का है, उसके मद्देनजर भारत सरकार लगातार ऐसी नीति अपना रही है कि चीन पर से निर्भरता यथासंभव कम हो जाए। जबकि, कोराना वायरस की वजह से भारत ने पहले से ही आत्मनिर्भर भारत अभियान चलाया है। राहत की बात ये है कि इसके अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं।
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