तोगड़िया बीजेपी से 'अनबन' की क़ीमत तो नहीं चुका रहे?
हाल के 15 दिनों में वीएचपी के कार्यकारी प्रमुख प्रवीण तोगड़िया के ख़िलाफ़ कई समन जारी हुए हैं.
राजस्थान की गंगापुर कोर्ट ने दंगे के एक मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय प्रमुख डॉ. प्रवीण तोगड़िया के ख़िलाफ़ समन जारी किया था. कई बार ज़मानती वॉरंट जारी होने के बाद भी वो कोर्ट में हाज़िर नहीं हुए जिसके बाद कोर्ट ने ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया था.
इसके बाद राजस्थान पुलिस सोमवार को अहमदाबाद के सोला पुलिस स्टेशन उन्हें गिरफ़्तार करने पहुंची थी, लेकिन वह घर पर नहीं मिले और पुलिस वापस चली गई.
इसके बाद दोपहर ढाई बजे पता चला कि ज़ेड प्लस सुरक्षा प्राप्त तोगड़िया गुम हो गए हैं और वह किसी दाढ़ी वाले शख़्स के साथ ऑटो-रिक्शा में जाते दिखे थे. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया और कथित तौर पर दो-तीन मुस्लिम ऑटो-रिक्शावालों को पीटा भी.
साढ़े आठ बजे इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा को फोन आया कि कोतरपुर के पास एक शख़्स बेहोशी की हालत में है. शाही बाग इलाके के चंद्रमणि अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया है जहां डॉक्टरों ने बताया है कि उनकी हालत ख़तरे से बाहर है.
पुलिस ने अभी कोई बयान नहीं जारी किया है क्योंकि डॉक्टरों ने पुलिस को उनका बयान नहीं लेने दिया है.
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15 दिनों में कई नोटिस
पिछले 15 दिनों में मैं देख रहा हूं कि उनके ख़िलाफ़ वॉरंट जारी होने के कई मामले सामने आए हैं. 1998 के एक मामले में कोर्ट ने 2017 में संज्ञान लेकर उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया था जिसमें वह पेश हुए.
इसके बाद गंगापुर का वॉरंट आया और हरियाणा से भी उनके ख़िलाफ़ एक वॉरंट आ सकता है. तो पुराने मामले उनके ख़िलाफ़ खुल रहे हैं.
यह संयोग भी हो सकता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि तोगड़िया की बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ अनबन हो चुकी है. वीएचपी के कार्यकारी प्रमुख के चुनाव में जब वह लड़े तो कहा जाता है कि संघ और बीजेपी का एक गुट मानता था कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.
लेकिन भुवनेश्वर की मीटिंग में उन्होंने शक्ति प्रदर्शन करते हुए दिखाया कि वीएचपी के 70 फ़ीसदी लोग उनके साथ हैं. आरएसएस ने इसके बाद उन्हें तीन साल के लिए कार्यकारी प्रमुख बना दिया.
बीजेपी नेताओं से क्या मतभेद?
कहा जाता है कि तोगड़िया के बीजेपी नेताओं से काफ़ी वैचारिक मतभेद हैं. तोगड़िया राम मंदिर से लेकर धारा 370 और समान आचार संहिता तक पर काफ़ी मुखर होकर बोलते हैं.
पिछले हफ़्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्होंने कहा था कि राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार को एक बिल संसद में लेकर आना चाहिए. छह मुद्दों पर उन्होंने मोदी सरकार को चुनौती देने की कोशिश की थी.
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राम मंदिर के अलावा इन मुद्दों में रोज़गार, किसान संबंधी मुद्दे भी थे. उनका कहना है कि तीन तलाक पर ही केवल मोदी सरकार को मुखर नहीं होना चाहिए. इसके अलावा वह सार्वजनिक रूप से काफ़ी मुखर रहे हैं.
कितने मज़बूत तोगड़िया?
तोगड़िया अब इतने मज़बूत नहीं हैं कि उनसे डरा जाए. लेकिन वह भी शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी जैसे बीजेपी नेताओं की फेहरिस्त में हैं जो सरकार को चुनौती देते रहते हैं.
साथ ही वह सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ खुलकर बोलते हैं.
बीजेपी में उनका बहुत बड़ा प्रभाव हो ऐसा दिखता नहीं है.