ICJ में जगह बनाने के लिए कुछ यूं सुषमा स्वराज ने झोंकी थी ताकत
नई दिल्ली। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के जज दलवीर भंडारी को जगह मिल गई है, लेकिन उन्हें आईसीजे में पहुंचाने के लिए भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जबरदस्त कूटनीति का इस्तेमाल किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जस्टिस दलवीर भंडारी को आईसीजे में पहुंचाने के लिए अपनी कूटनीति का जबरदस्त इस्तेमाल किया, जिसके चलते यूके ने अपने प्रतिनिधि क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को वापस लेने का फैसला लिया। भारतीय प्रतिनिधि को आईसीजे में पहुंचाने के लिए भारत की ओर से एकजुट होकर तमाम संबंधित विभागों व अधिकारियों ने काम किया। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत सेक्युरिटी काउंसिल के पांच बड़े देशों के सामने अपनी दावेदारी को मजबूत तरीके से ना सिर्फ पेश किया बल्कि इसमे सफलता हासिल की।
यूके के वापस लेना पड़ा अपना प्रतिनिधि
भारतीय प्रतिनिधि को आईसीजे में पहुंचाने के लिए भारत की विदेश मंत्री ने अपनी पूरी कूटनीतिक ताकत को झोंक दिया, जानकारी के अनुसार उन्होंने इसके लिए तमाम देशों का समर्थन हासिल करने के लिए कम से कम 60 कॉल किया। भारतीय जज दलवीर भंडारी के लिए समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने हर तरह से समर्थन हासिल करने की कोशिश की और यूके के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड की जगह भंडारी को आईसीजे में जगह दिलाने में सफलता हासिल की। विदेश सचिव एस जयशंकर ने इस मिशन के लिए लगातार प्रयास किए और दुनियाभर के प्रतिनिधियों तक भारत के पक्ष को रखने में विशेष भूमिका निभाई। उन्होंने विदेश मंत्रालय के तमाम सचिवों, अधिकारियों के साथ बैठक करके इसकी योजना बनाई और इस सफलता के लिए हर किसी का शुक्रिया अदा किया। इसके अलावा विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने भी जस्टिस भंडारी के लिए समर्थन हासिल करने में विशेष भूमिका निभाई।
भारत की जबरदस्त कूटनीति
युनाइटेड नेशंस में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत की कूटनीति में यह अहम दिन था, दुनिया में भारत की कूटनीति को पहचान मिली है और लोगों का भारत की ओर रुख बदला है। सुषमा स्वराज ने जस्टिस दलवीर भंडारी के आईसीजे में शामिल होने पर सैयद अकबरुद्दीन का भी जिक्र करते हुए उनकी भूमिका की तारीफ की थी। इस मुद्दे पर चल रही मुश्किल को खत्म करने के लिए यूके ने जनरल एसेंबली और सेकयुरिटी काउंसिल के बीच साझा कांफ्रेंस करने की पहल की थी, जिसमे भारत को सफलता मिली। इससे पहले सभी पांच बड़े शक्तिशाली देश ब्रिटेन का समर्थन कर रहे थे, लेकिन यूके की साझा कांफ्रेंस का भारत ने विरोध किया और इसे अलोकतांत्रिक करार दिया, साथ ही कहा कि यह वोटिंग प्रक्रिया में बाधा है, जिसका भारत को लाभ मिला और भारत के जस्टिस भंडारी को आईसीजे में जगह मिली।
पहली बार विश्व के इतिहास में ऐसा हुआ
पी-5 देशों ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया और जस्टिस भंडारी को आईसीजे में जगह मिली। पी-5 के कुछ देशों ने ब्रिटेन की साझा कांफ्रेंस का विरोध किया, उनका कहना था कि आईसीजे के 71 सालों के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। भारत को तमाम एशिया-पैसिफिक व अफ्रिका के देशों का समर्थन हासिल था। इन सब के बीच यूके ने अपने प्रतिनिधि का नाम यह कहते हुए वापस लिया कि इस मुद्दे पर चल रही तनातनी को खत्म करने का यह बेहतर विकल्प है। आपको बता दें कि यह पहली बार था जब पी-5 देशों का आईसीजे में जज की नियुक्ति के लिए सेक्युरिटी काउंसिल के अस्थाई सदस्य के साथ मुकाबला था। ऐसे में भारत की यह सफलता अप्रत्याशित और ऐतिहासिक है।
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