क्या आप जानते हैं देसी फाइटर जेट तेजस से जुड़ी ये कुछ बातें
इंडियन नेवी ने तेजस को उनके मानकों पर बताया फेल। जानिए क्यों भारत के लिए खास है हल्का लड़ाकू विमान तेजस।
बेंगलुरु। इंंडियन नेवी ने भारत में बने लाइट कॉम्बेट जेट तेजस को लेने से इंकार कर दिया है। उसका कहना है कि तेजस उनके मानकों पर खरा नहीं उतरता।
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तेजस इस वर्ष एयरफोर्स डे के अलावा फरवरी में बहरीन में हुए इंटरनेशनल एयर शो के दौरान नजर आया था। वहां तेजस ने काफी वाहवाही बटोरी थी।
बहरीन के जिस एयर शो में तेजस ने अपना डेब्यू किया था, वहां पाकिस्तान का थंडर जेट भी मौजूद था। बहरीन के साथ ही तेजस किसी इंटरनेशनल एयर शो में हिस्सा लेने वाला भारत का पहला फाइटर जेट बना।
अभी तेजस को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस यानी एफओसी नहीं मिली है लेकिन इसके बावजूद इसका जिक्र हर कोई कर रहा है।
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मिग-21 जो कि पुराने पड़ चुके हैं लगातार होने वाले क्रैश की वजह से आलोचना का शिकार होते आए हैं। इन्हें 'फ्लाइंग कॉफिन' तक का नाम भी दिया गया है।
भले ही इंडियन नेवी को तेजस में कुछ खामियां नजर आई होंं लेकिन कहीं न कहीं तेजस कई मायनों में काफी खास है। जानिए अपने देश में निर्मित देसी फाइटर जेट तेजस के बारे में कुछ खास बातें।
वर्ष 1969 में आया था आइडिया
वर्ष 1969 में उस समय की भारत सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल को एक भारत के एक और एयरक्राफ्ट मारुत की तर्ज पर एयरक्राफ्ट डिजाइन और डेवलप करना चाहिए।
सरकार ने सौंपी जिम्मेदारी
इसके बाद वर्ष 1983 में इंडियन एयरफोर्स दो अहम मकसदों के लिए भारत में विकसित कॉम्बेट जेट की जरूरत के बारे में चिंता जताई। इसमें पहला मकसद मिग-21 को रिप्लेस करना था। इसके बाद वर्ष 1984 में सरकार ने एडीए एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी।
अटल बिहारी वाजपेई ने दिया था नाम
एलसीए यानी लाइट कॉम्बेट जेट प्रोग्राम के तहत देश में सिंगल सीटर हल्का फाइटर जेट डेवलप करना था। इस प्रोग्राम के तहत डेवलप होने वाले एयरक्राफ्ट का नामकरण भी काफी मुश्किलों भरा था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने ही इसे 'तेजस' नाम दिया। तेजस का मतलब होता है चमकदार।
डीआरडीओ बिजी
डीआरडीओ और इसके साझीदार एजेंसियां तेजस के चार वर्जन को डेवलप करने के काम में बिजी हैं। तेजस के चार वर्जन इंडियन एयरफोर्स के लिए एलसीए, एयरफोर्स के लिए ट्रेनर एलसीए,इंडियन नेवी के लिए एलसीए और नेवी के लिए ट्रेनर एलसीए। गोवा में इसके एयरक्राफ्ट्स की टेस्टिंग के लिए एक टेस्टिंग फैसिलिटी भी बनाई गई है।
रडार से बच सकता है तेजस
आज किसी भी फाइटर जेट को डेवलप करने के लिए स्टेल्थ एक अहम प्वाइंट होता है। इसका मकसद है कोई एयरक्राफ्ट को रडार क्रॉस सेक्शन यानी आरसीएस में कम से कम हो। तेजस के हर वैरियंट में यह फीचर दिया गया है। यानी तेजस दुश्मन पर अगर हमला करने को तैयार होगा तो दुश्मन देश की सेनाओं को इसकी भनक नहीं लग पाएगी।
डिजायन बनाता है तेजस को और मजबूत
तेजस को डेल्टा विंग कनफिगरेशन के साथ डिजाइन किया गया है यानी इसके विंग्स ट्राइंगल की तरह है जिसमें कोई भी टेलप्लेंस नहीं है। इस तरह की डिजाइन इसे अस्थिर बनाती है और इस अस्थिरता में तेजस किसी भी दिशा में कभी भी मुड़ सकता है। अगर इसके सामने कोई और फाइटर जेट भी आ जाए तो तेजस उस पर भारी पड़ेगा।
आठ हार्डप्वाइंट्स
तेजस के पास आठ वेपंस हार्ड प्वाइंट्स दिए गए हैं। तीन हर विंग के नीचे हैं, एक इसकी सेंट्रल बॉडी के नीचे, एक एयरक्राफ्ट के बाईं तरफ मौजूद है। इसकी वजह से तेजस अपने वेपन सिस्टम को एक बड़े क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है।
मिसाइल से लेकर बम तक
तेजस के हथियारों में मध्यम और करीब से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, गाइडेड वेपंस, हवा से जमीन में मार सकने वाली मिसाइलें, जिसमें एंटी-शिप मिसाइलें, क्लस्टर बम और अनगाइडेड मिसाइलें शामिल हैं। तेजस आठ टन तक के हथियारों का बोझ ढो सकता है। तेजस में 23 एमएम की ट्विन बैरल गन है जो 220 राउंड तक मार कर सकती है।
हर तरह से चेक की गई क्षमता
तेजस की टेस्टिंग भी अपने आप में काफी खास है। तेजस के प्रोटोटाइप ने करीब 1000 टेस्ट फ्लाइट्स को पूरा कर लिया है। जनवरी 2009 तक इसने 530 घंटे की फ्लाइट टेस्टिंग को पूरा किया तो वर्ष 2013 में इसने 450 टेस्ट फ्लाइट्स कंप्लीट की थीं। तेजसके अलग-अलग वैरिएंट्स को जैसलमेर की झुलसा देने वाली गर्मी से लेकर लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों के बीच भी टेस्ट किया जा चुका है।