वाशिंगटन पोस्ट ने बताया क्यों भारत के लिए जरूरी हैं नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली। अमेरिका के अग्रणी समाचार पत्र द वाशिंगटन पोस्ट ने बुधवार को लिखे अपने एक लेख में बताया है कि भारत के लिए नरेंद्र मोदी क्यों जरूरी हैं? साथ ही अखबार ने यह भी लिखा है कि मोदी को अपनी सफलता के आधार देश का प्रधानमंत्री बनना होगा न कि सिर्फ बातों में महारत के दम पर वह इस पद को हासिल करने की कोशिशों में लगे रहें।
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मोदी को बताया करिश्माई व्यक्ति
वाशिंगटन पोस्ट के एडिटोरियल में लिखा गया है कि दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र में सोमवार से चुनावों का आगाज हो गया है। इन चुनावों का नतीजा चाहे जो हो उसे देख पाना काफी आसान है। एग्जिट पोल से साफ है कि देश की भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी सत्ताधार कांग्रेस पार्टी को पीछे छोड़ आगे निकल रहे हैं। अगले पांच हफ्तों में इस देश के 800 मिलियन से भी ज्यादा लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और यहां पर तीन में से हर एक व्यक्ति वोट डालने के लायक है।
अखबार ने आगे लिखा है कि करिश्माई व्यक्तित्व और कड़े परिश्रम वाले मोदी देश से एक बड़े बदलाव का वादा करते हैं जो कि पिछले 10 वर्षों में मनमोहन सिंह वाली कांग्रेस सरकार से गायब है। भारत और भारत से बाहर के देश सिर्फ यह उम्मीद कर सकते हैं कि नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में आने वाला देश का नया प्रशासन मोदी की असफलताओं की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत विशेषताओं वाला होगा।
सिर्फ प्रधानमंत्री बनने के कयास से मजबूत हुआ बाजार
द वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक मोदी की ओर से किए जा रहे वादे और चुनावों के दौरान उन्हें मिलने वाली बढ़त की वजह साफ है। मोदी के नाम पर एक कड़े, प्रयोगात्मक और भ्रष्टाचार से मुक्त आर्थिक प्रबंधन का रिकॉर्ड दर्ज है। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी के नेतृत्व में गुजरात राज्य ने एक दशक के दौरान 10 प्रतिशत की विकास दर को देखा है और यह पूरे देश में सबसे ज्यादा है। इंफ्रास्ट्रक्चर में चतुराई से किए गए निवेश, बिजनेस-फ्रेंडली नीतियों और विदेशी पूंजी को लेकर स्वछंदता में ही मोदी की सफलता छिपी है।
सिर्फ इस कयास से कि मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं भारतीय शेयर बाजार और रुपए की हालत में सुधार आ गया है। साथ ही अब विदेशी निवेश की संभावनाएं भी नजर आने लगी हैं। अखबार के मुताबिक भारत को इस समय जिस 'दवाई' की जरूरत थी, लगता है वह उसे अब मिलने लगी है। देश की विकास दर पांच प्रतिशत तक धीमी हो गई है। वहीं मोदी ने यह दिखा दिया है कि वह बाजार में व्याप्त बेचैनी को दूर कर सकते हैं। कम से कम वह ऊर्जा के रास्ते में आने वाली रुकावटों, जरूरत से ज्यादा नियमन और भ्रष्टाचार को काबू में कर सकते हैं।
लेकिन कुछ कमियां
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक हालांकि नरेंद्र मोदी देश के मुसलमानों और दूसरे धर्मनिरपेक्ष नेताओं को बिजनेस कम्यूनिटी की तरह आकर्षित करने में असफल रह सकते हैं। अखबार ने इसकी वजह से वर्ष 2002 के दंगों को बताया है। अखबार के मुताबिक दंगों की वजह से वर्ष 2005 में अमेरिका ने मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था।
हिंदुओं को भी किया निराश
अखबार के मुताबिक जब नरेंद्र मोदी ने बयान दिया कि उनके लिए शौचालय पहले और मंदिर बाद में है, तो उन्होंने कुछ मुसलमान विरोधी तत्वों को भी निराश किया था।
अभी तक नहीं मांगी माफी
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने अभी तक गोधरा दंगों के लिए माफी नहीं मांगी है। साथ ही वह अक्सर पत्रकारों के सवालों से भी बचते हैं।
दुश्मनों को मिला मौका
अखबार में लिखा है कि नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता के तौर पर सामने आए हैं जो सरकार में अपनी मर्जी का मालिक है और इसकी वजह से उनके आलोचकों को उनके खिलाफ बोलने का मौका मिल गया है।
धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मिल सकती है मजबूती
अखबार के मुताबिक एक बात जो सबसे बुरी है वह है कि पिछले कुछ वर्षों से देश में जिस धर्मनिरपेक्ष तनाव में कमी आई थी मोदी की सरकार में उन ताकतों को मजबूती मिलने के साथ ही देश के लोकतंत्र पर खतरा आ सकता है।
जब गलत साबित हुई थीं आशंकाएं
अखबार के मुताबिक इस तरह की आशंकाएं उस समय भी थीं जब वर्ष 1998 में बीजेपी की सरकार आई थी लेकिन वह सभी गलत साबित हुई थीं।
ओबामा प्रशासन को एक भरोसा
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक मोदी के साथ बराक ओबामा प्रशासन ने फरवरी में मुलाकात कर जो संदेश दिया उससे जाहिर है कि अगर मोदी अपने किए हुए वादों के अनुरुप ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं तो उन्हें अमेरिका का वीजा मिल सकेगा।