सुशांत सिंह केस: क्या बिहार पुलिस मुंबई जाकर जाँच कर सकती है?
आईपीएस विनय तिवारी को क्वारंटीन सेंटर भेजने के बाद बिहार पुलिस और मुंबई पुलिस के बीच बढ़े टकराव का क़ानूनी पक्ष क्या है?
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के कारणों की जाँच को लेकर बिहार और मुंबई पुलिस के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है.
इस मामले की जाँच के लिए पटना से मुंबई पहुंचे बिहार पुलिस के अधिकारी आईपीएस विनय तिवारी को बीएमसी की ओर से क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया है.
बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने इस मामले की निंदा की है.
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि “विनय तिवारी को जबरन क्वारंटीन कर दिया गया है.”
ये हैं बिहार cadre के IPS अधिकारी विनय तिवारी जिनको मुंबई में आज रात में 11 बजे रात में ज़बरदस्ती क्वोरंटीन कर दिया गया.SSR केस में जाँच करनेवाली टीम का नेतृत्व करने गए थे.अब ये यहाँ से कहीं निकल नहीं सकते!@IPSVinayTiwari pic.twitter.com/6Le4AXjuJ8
— IPS Gupteshwar Pandey (@ips_gupteshwar) August 2, 2020
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बीएमसी की इस कार्रवाई को ग़ैर-ज़रूरी बताया है.
उन्होंने कहा है कि विनय तिवारी के साथ जो कुछ भी हुआ है, वह ठीक नहीं हुआ है.
मुंबई पुलिस ने खोला मोर्चा
लेकिन इसी बीच मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने बिहार पुलिस द्वारा इस मामले की जाँच किए जाने पर सवाल उठाए हैं.
ये पहला मौक़ा है जब दोनों राज्यों के पुलिस विभाग इस मामले में अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन को लेकर आमने-सामने आए हैं.
मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने कहा है, “बिहार पुलिस ने इस मामले में एक एफ़आईआर दाख़िल की है. उनकी ओर से इस मामले में संपर्क भी किया गया था. लेकिन उनकी एफ़आईआर और उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर जो जाँच चल रही है, उसके क़ानूनी आधार की जाँच की जा रही है.”
उन्होंने आगे कहा, “जहां तक हमारी जानकारी है, जब हमें किसी अन्य अधिकार क्षेत्र में अपराध घटित होने की सूचना दी जाती है, तब हम उसे दर्ज ज़रूर करते हैं. लेकिन ज़ीरो एफ़आईआर नंबर दाख़िल किया जाता है और इसके बाद उस मामले को उस न्यायिक क्षेत्र में भेज देते हैं जहां का वो मामला होता है.”
इसके बाद परमबीर सिंह कहते हैं कि उन्हें ये जानकारी नहीं है कि बिहार पुलिस किस क़ानूनी आधार पर जाँच कर रही है.
वे कहते हैं, “हमें क़ानूनी रूप से ये नहीं पता है कि बिहार पुलिस को आईपीसी, सीआरपीसी के किस सेक्शन या किस विशेष क़ानून के तहत एक्सट्रा टेरिटोरियल इन्वेस्टिगेशन का अधिकार मिला है. हम इस मामले में क़ानूनी सलाह ले रहे हैं. इस सलाह के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. फ़िलहाल हमनें दस्तावेज़ साझा नहीं किए हैं.”
परमबीर सिंह के इस बयान से एक बात स्पष्ट है कि दोनों राज्यों की पुलिस के बीच अधिकार क्षेत्र का टकराव काफ़ी गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है.
बिहार पुलिस की जाँच क़ानूनी?
लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या कोई क़ानून बिहार पुलिस को मुंबई में घटित घटना की जाँच करने का अधिकार देता है.
क़ानून विशेषज्ञों की मानें तो सीआरपीसी में इसे लेकर स्थिति बिलकुल स्पष्ट है.
सीआरपीसी की धारा 174 स्पष्ट रूप से कहती है कि जब किसी पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिस अधिकारी को ये सूचना मिलती है कि किसी व्यक्ति की मौत आत्महत्या या किसी अन्य परिस्थितियों में हुई है तो वह तत्काल एक नज़दीकी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना देगा ताकि मौत के कारणों की समीक्षा की जा सके.
फ़िलहाल मुंबई पुलिस इसी धारा के तहत इस मामले की जाँच कर रही है. और ये धारा मुंबई पुलिस को इस मामले की जाँच करने का अधिकार देती है.
अब सवाल उठता है कि बिहार पुलिस ने जो एफ़आईआर दर्ज की है, उसके आधार पर वह सुशांत सिंह की मौत के कारणों की जाँच कर सकती है या नहीं.
क़ानून में इसे लेकर भी स्थिति बिलकुल स्पष्ट है. चूंकि ये मामला बांद्रा पुलिस थाना क्षेत्र का है तो उसी न्यायिक क्षेत्र की पुलिस को मौत के कारणों की जाँच करने का अधिकार है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार पुलिस के अधिकारी मुंबई में जाकर जाँच कर सकते हैं.
क़ानून क्या कहता है?
क़ानूनी मामलों के जानकार और सुप्रीम कोर्ट के वकील आलोक कुमार मानते हैं कि ये संभव नहीं है.
वे कहते हैं, “क़ानून ने एक जाँच अधिकारी को काफ़ी शक्तियां दी हैं. अगर उसे लगता है कि उसे दिए गए मामले की जाँच की कोई कड़ी कन्याकुमारी में है तो वह वहाँ भी जा सकता है. शर्त बस इतनी है कि वह अपराध उसके न्यायिक क्षेत्र में हुआ हो.”
“मेरा मानना है कि सुशांत सिंह राजपूत के केस में पटना पुलिस का कोई रोल नहीं है. और वह इस मामले की जाँच नहीं कर सकती है. क्योंकि शिकायतकर्ता ने अपने आरोप में जिस भी घटना का ज़िक्र किया है, वह मेरे हिसाब से पटना में नहीं हुआ है. हालांकि, अगर मामला कुछ ऐसा है कि सुशांत सिंह राजपूत का कोई बैंक अकाउंट पटना का है जिससे पैसे निकाले गए हैं, या उस बैंक अकाउंट से कोई फ्रॉड हुआ है, तब पटना का न्यायिक क्षेत्र बनता है. मेरी सीमित जानकारी के मुताबिक़, शिकायत में जिन सारी घटनाओं का ज़िक्र किया गया है, वे मुंबई में घटी हैं. ऐसे में स्थानीय पुलिस ही मामले की जाँच कर सकती है.”
“इस मामले में पटना पुलिस मुंबई जाकर, सबूत जुटाकर, बयान लेकर पटना कोर्ट में चार्जशीट दाख़िल नहीं कर सकती है. यही सीआरपीसी का प्रावधान है.”
लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के पिता के वकील विकास सिंह का कहना है कि इस घटना की वजह पटना से जुड़ी हुई है इसलिए एफ़आईआर पटना में कराई गई है.
लेकिन आलोक कुमार विकास सिंह की बात को मज़बूत क़ानूनी तर्क नहीं मानते हैं.
वे कहते हैं, “अगर उनके पिता जी पटना में थे तो भी... आप जो भी आरोप लगाते हैं वो क़ानूनी आधार पर ठीक होना चाहिए, (देखना चाहिए) कि क्या वो धारा के अंतर्गत अपराध है भी या नहीं.”
“अब मान लीजिए कि रिया चक्रवर्ती पटना में रह रही होतीं और कह सकते हैं कि वह पटना न्यायिक क्षेत्र में रहती हैं और उन्होंने मानसिक तनाव देकर मेरे बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर किया. लेकिन मैं अगर पटना में हूँ और मुझे मानसिक तनाव हुआ है. लेकिन मेरे मानसिक तनाव से मेरे बेटे ने आत्महत्या नहीं की है. आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में ये देखा जाता है कि पीड़ित कौन है. इस मामले में पीड़ित सुशांत सिंह राजपूत हैं, उनके पिता नहीं. वह एक शिकायतकर्ता हैं.”
हालांकि सोमवार शाम को सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने अपना एक वीडिया जारी करके मुंबई पुलिस को फिर से कठघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि मुंबई की बांद्रा स्टेशन पुलिस को उन्होंने 25 फरवरी को ही लिखा था कि मेरे बेटे की जान को ख़तरा है. इस बाबत उन्होंने शिकायत भी दर्ज कराई थी. 14 जून को बेटे की मौत के बाद उन्होंने बांद्रा पुलिस से जिन लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत थी, उनके ख़िलाफ़ एक्शन लेने को कहा. लेकिन 40 दिनों तक कोई एक्शन नहीं लिया गया जिसके बाद उन्होंने पटना में मामला दर्ज कराया है.
#WATCH: #SushantSinghRajput's father in a self-made video says, "On Feb 25, I informed Bandra Police that he's in danger. He died on June 14 & I asked them to act against people named in my Feb 25 complaint. No action taken even 40 days after his death. So I filed FIR in Patna." pic.twitter.com/tnn9XN1XlB
— ANI (@ANI) August 3, 2020
उनके इस बयान के बाद मुंबई पुलिस की प्रतिक्रिया अभी नहीं आयी है.
बहरहाल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में फ़ैसला दे सकती है जिसके बाद ये तय होगा कि आगे की जाँच बिहार पुलिस करेगी या मुंबई पुलिस.