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दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच झगड़े का सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगा सुनवाई, सिर्फ इन मामलों का करेंगे निपटारा

दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच घमासान लगातार जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच 'पॉलिटिकल फाइट' के मामले की सुनवाई नहीं करेगा।

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दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच घमासान लगातार जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच 'पॉलिटिकल फाइट' के मामले की सुनवाई नहीं करेगा। वह इन मामलों से पीछे हट जाएगा। केवल राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित संवैधानिक मुद्दे की सुनवाई करेगा।

प्रतीकात्मक फोटो

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने राजनीतिक क्षेत्र को अदालत में लाने को 'अनावश्यक' करार दिया। साथ ही इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर हलफनामे का जवाब देने के लिए वह केंद्र से नहीं कहेगा।

दिल्ली सरकार ने लगाया यह आरोप

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह मामला संविधान पीठ के समक्ष है। हमने प्रशासन में पैरालाइसिस दिखाने के लिए एक हलफनामा दायर किया है। आज कोई नौकरशाह मंत्रियों के आह्वान का जवाब नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि वह केवल कुछ तथ्यों को अदालत के संज्ञान में ला रहे हैं। पीठ ने इस मामले में केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन के तीखे विरोध का संज्ञान लेते हुए सिसोदिया के हलफनामे पर ध्यान दिया कि यह तब दायर किया गया है जब मामला सुनवाई के लिए पहले से ही तय है।

संविधान पीठ को मामले को उठाने देंगे

कानून अधिकारी ने कहा कि यह एक बहुत ही गलत प्रथा है। यह हलफनामा राजनीतिक प्रचार दिखाता है और इसे दायर किए जाने से पहले प्रेस के साथ साझा किया गया था। जैन ने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का पूरी तरह से दुरुपयोग है और इसके अलावा हलफनामे में केंद्र से एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। "हम अभी जवाब नहीं मांगेंगे, अन्यथा लोग अंतिम तिथि तक हलफनामा दाखिल करना शुरू कर देंगे। हम अभी याचिकाओं पर रोक लगा देंगे और संविधान पीठ को मामले को उठाने देंगे।

24 नवंबर को सुनवाई

5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ 24 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित कानूनी मुद्दे पर सुनवाई करेगी। मनीष सिसोदिया ने कहा कि हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने चुनी हुई सरकार के प्रति "सिविल सेवकों के अड़ियलपन" को प्रोत्साहित करके दिल्ली में शासन को "बेपटरी" कर दिया है।

यह भी पढ़ें- Rajiv Gandhi Assassination Case: सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा काट रहे सभी आरोपियों को रिहा किया

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English summary
Supreme Court step back actual arena political conflict Delhi government Centre deal constitutional issue
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