हेट स्पीच: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को फटकारा और उत्तराखंड को दी चेतावनी, कहा- 'अगर अभद्र भाषा नहीं रोका गया..'
हेट स्पीच: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को फटकारा और उत्तराखंड को दी चेतावनी, कहा- 'अगर अभद्र भाषा को नहीं रोका गया...'
नई दिल्ली, 26 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 अप्रैल) को हेट स्पीच मामले पर सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश पर तीखी प्रतिक्रिया दी और उत्तराखंड को चेतावनी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उत्तराखंड के रुड़की में एक धार्मिक सम्मेलन में मुसलमानों को लक्षित (टारगेट) करने के लिए विशिष्ट घृणा-उत्सव में विकसित नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार इस बात का ध्यान रखे क्योंकि इस महीने की शुरुआत में इसी तरह के आयोजन उनके पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में देखने को मिले थे, जिसपर हमने सवाल उठाए थे।
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'धर्म संसद' में कोई "अप्रिय बयान" नहीं दिया जाएगा'
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने राज्य के शीर्ष नौकरशाह को रिकॉर्ड की भी नसीहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर अभद्र भाषा को नहीं रोका गया, तो [उत्तराखंड] के मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। हम मुख्य सचिव को अदालत में तलब करेंगे।'' राज्य के शीर्ष नौकरशाह को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहते हुए कोर्ट ने कहा कि 'धर्म संसद' में कोई "अप्रिय बयान" नहीं दिया जाएगा।
'भाजपा प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की'
बुधवार (27 अप्रैल) को होने वाले कार्यक्रम से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अभद्र भाषा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करें। अभद्र भाषा को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं।"
एक अलग सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में एक कार्यक्रम पर हिमाचल प्रदेश सरकार से तीखे सवाल किए थे जिसने मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की मेजबानी की और हिंदुओं को हिंसा का सहारा लेने का आह्वान किया गया था। अदालत ने भाजपा प्रशासन से पूछा कि उसने आग लगाने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की।
9 मई को होगी अगली सुनवाई
09 मई 2022 को फिर से सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सरकार को 7 मई तक एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए और हमें बताना चाहिए कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए।" न्यायाधीशों ने कहा, "ये घटनाएं अचानक नहीं होती हैं। वे रातोंरात नहीं होती हैं। ये पहले से घोषित की जाती हैं। आपने तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की? सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पहले से ही हैं।"