आखिर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, ताजमहल के लिए शाहजहां के हस्ताक्षर लेकर आइए
Recommended Video
नई दिल्ली। दुनियाभर में प्रसिद्ध प्रेम की निशानी ताजमहल के मालिकाना हक को लेकर जब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की तो उसे कोर्ट ने ऐसा जवाब दिया है जिसका पालन करना बोर्ड के लिए असंभव है। दरअसल उत्तर प्रदेश सु्न्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि उसे ताजमहल का मालिकाना हक दिया जाए, जिसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शाहजहां से दस्तावेज साइन कराकर लाइए।
1666 में शाहजहां की मृत्यु हुई
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को एक हफ्ते का समय दिया है और उसे शाहजहां के साइन कराकर लाने का कहा है, यहां गौर करने वाली बात यह है कि शाहजहां की मृत्यु 1666 में हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बोर्ड से कहा है कि वह ये दस्तावेज लेकर आए जिससे कि यह साबित हो ताजमहल उनकी संपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि कौन भरोसा करेगा कि ताज महल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरह के मुद्दों से सुप्रीम कोर्ट का समय नहीं बर्बाद करना चाहिए।
वक्फ की संपत्ति नहीं ताज
इससे
पहले
2005
में
पुरातत्व
विभाग
ने
कोर्ट
में
अपील
की
थी
कि
वह
ताज
महल
को
बोर्ड
की
संपत्ति
नहीं
घोषित
करे,
जिसे
वक्फ
बोर्ड
की
संपत्ति
के
तौर
पर
रजिस्टर
किया
गया
था।
इस
फैसले
पर
कोर्ट
ने
स्टे
लगा
दिया
था।
जिसके
बाद
ताजमहल
वक्फ
बोर्ड
की
संपत्ति
नहीं
है।
लेकिन
जब
सुप्रीम
कोर्ट
में
बोर्ड
ने
कहा
कि
शाहजहां
ने
वक्फनामा
बोर्ड
के
पक्ष
में
बनाया
है
तो
जस्टिस
दीपक
मिश्रा
ने
कहा
कि
ताज
और
अन्य
मुगलों
द्वारा
बनाई
गई
इमारतों
को
अंग्रेजो
को
दिया
गया
था।
शाहजहां तो जेल में था
बोर्ड
से
जस्टिस
दीपक
मिश्रा
ने
कई
सवाल
किए,
उन्होंने
कहा
कि
शाहजहां
ने
कैसे
वक्फनामा
साइन
किया,
वह
तो
जेल
में
था
और
जेल
के
भीतर
से
ही
ताजहमल
को
देखता
था।
उन्होंने
कहा
कि
ताज
और
तमाम
मुगल
इमारतों
को
ब्रिटिश
को
दिया
गया
था,
आजादी
के
बाद
यह
भारत
सरकार
के
पास
आया
और
एएसआई
इसकी
देखरेख
करता
है।
इसे भी पढ़ें- बधाइयों पर बोलीं आईएएस टीना डाबी, मैं तो अतहर से पहले ही कर चुकी शादी
देखें-VIDEO: तौलिया बांधकर डांस कर रही थी एक्ट्रेस, गलत जगह लग गया हाथ और फिर
ये भी पढ़ें-बीच सड़क न्यूड होने वाली एक्ट्रेस का खुलासा: वेश्यालय बन चुके फिल्म स्टूडियो