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तीसरा बच्चा होने पर पद गँवाने वाली बीजेपी नेता क्या कहती हैं

उत्तराखंड में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत चुनावों में जनप्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है.

By BBC News हिन्दी
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नीता पांचाल
Shahbaz Anwar/BBC
नीता पांचाल

"मैंने नगर पालिका सभासद पद की जगह अपने बच्चे को चुना है. सच भी बोला और अपने पद के लालच में अपना गर्भ नहीं गिराया, जो हक़ीक़त थी बताया. मेरी नगर पालिका सदस्यता बीती 13 जुलाई को इसलिए ख़त्म कर दी गई क्योंकि मेरी तीसरी संतान ने जन्म ले लिया. मैं राजनीति में आगे आना चाहती हूं, लेकिन अब मैं चुनाव भी नहीं लड़ पाऊंगी. क्या यही महिला सशक्तिकरण है?"

यह सवाल उत्तराखंड के हरिद्वार के लक्सर नगर पालिका की पूर्व महिला सभासद नीता पांचाल का है जिनकी सदस्यता इसी महीने ख़त्म हो गई. नीता पांचाल भाजपा नेता हैं और दूसरी बार शिवपुरी के वार्ड नंबर चार से पार्टी टिकट से सभासद चुनी गईं थी.

दरअसल उनके सदस्यता को चुनौती देनी वाली उच्च न्यायालय उत्तराखंड, नैनीताल में इस संबंध में अगस्त 2020 को एक रिट याचिका डाली गई थी. ये रिट याचिका लक्सर के शिवपुरी निवासी पंकज कुमार बंसल ने डाली थी.

स्थानीय मीडिया में अगस्त, 2020 में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक पंकज कुमार बंसल की शिवपुरी में राशन की दुकान थी, जो नीता पंचाल की शिकायत के बाद निरस्त हो गयी थी.

नीता पंचाल के पति विजेंद्र पंचाल भी दावा करते हैं, "भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मेरी पत्नी ने उनकी शिकायत की थी, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी. इसी वजह से उन्होंने हमारे ख़िलाफ़ शिकायत की थी."

इसके बाद शुरू हुई जांच के बाद डीएम हरिद्वार की संस्तुति और नगर पालिका परिषद अधिनियम 1916 की धारा का हवाला देते हुए बीते 13 जुलाई को शहरी विकास निदेशालय ने नीता पंचाल को पद छोड़ने का निर्देश दिया.

नगर पालिका परिषद लक्सर
Shahbaz Anwar/BBC
नगर पालिका परिषद लक्सर

लक्सर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट शैलेंद्र सिंह नेगी कहते हैं, "इस मामले की जांच मुझसे पहले यहां रह चुके एसडीएम ने की थी, मुझे भी मीडिया के माध्यम से ही यह जानकारी मिली है कि नीता पांचाल की सदस्यता ख़त्म हो चुकी है."

नीता पांचाल की सदस्यता ख़त्म होने के बारे में लक्सर नगरपालिका के चेयरमैन अंबरीश गर्ग कहते हैं कि नीता के नामांकन से लेकर शपथ ग्रहण करने तक उनकी दो ही संतानें थीं.

उन्होंने बताया, "लक्सर में स्थानीय निकाय चुनाव नवंबर 2018 में आयोजित किए गए थे. नीता के नामांकन के दिन से लेकर शपथ लेने तक दो ही बच्चे थे, पर तीसरी संतान पैदा होने के बाद उनकी सदस्यता ख़त्म कर दी गई है. अभी उनके कार्यकाल का आधा सत्र और बाक़ी था."

क़ानून
Getty Images
क़ानून

क्या कहता है क़ानून?

तीसरी संतान होने पर नीता पांचाल की सदस्यता ख़त्म होने का आदेश ऐसे समय में आया है जब यूपी समेत कुछ अन्य राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण बिल को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है.

वैसे नीता पंचाल इस फ़ैसले को महिला सशक्तिकरण के ख़िलाफ़ बताती हैं, "मेरा सपना भविष्य में राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़कर जन सेवा करना था. मुझे दो बार पालिका सभासद भी चुना गया, लेकिन तीसरे गर्भ के ठहरने का मालूम नहीं पड़ा. आप बताइए मैं क्या करती, मैं भ्रूण हत्या तो नहीं कर सकती थी. मैंने पद का भी लालच नहीं किया और तीसरी संतान को जन्म दिया. अब मेरी सदस्यता ख़त्म कर दी गई है. क्या यही महिला सशक्तिकरण है?"

नीता पांचाल की सदस्यता ख़त्म होने का मलाल सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उनके पति विजेंद्र पांचाल को भी है.

विजेंद्र कहते हैं, "मेरी पत्नी शुरू से ही जनसेवा करती रही हैं. एक शिकायत के बाद नीता की सदस्यता रद्द कर दी गई. एक तरफ गर्भ में पल रही संतान थी तो दूसरी तरफ सदस्यता ख़त्म होने का डर, फिर भी हमने अपने बच्चे को चुना.

आदेश पत्र
Shahbaz Anwar/BBC
आदेश पत्र

विजेंद्र पांचाल यह भी कहते हैं, "जिस क़ानून के तहत मेरी पत्नी की सदस्यता ख़त्म की गई है, उसी क़ानून की एक उप धारा में सरकार उन्हें सिर्फ़ चेतावनी देकर छोड़ भी सकती है."

विजेंद्र कहते हैं, "नवंबर 2018 में निकाय चुनाव का आयोजन हुआ था. दो दिसंबर को मेरी पत्नी ने सभासद पद की शपथ ली थी, उसके बाद 15 नवंबर 2019 को पत्नी ने तीसरी संतान को जन्म दिया. शपथ ग्रहण के 373 दिन के बाद हमारा यह बच्चा हुआ था. हम लोग इस मामले से न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे."

उत्तराखंड में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत चुनावों में जनप्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है.

आदेश पत्र
Shahbaz Anwar/BBC
आदेश पत्र

उच्च न्यायालय, उत्तराखंड नैनीताल के अधिवक्ता और नैनीताल बार एसोसिएशन के महासचिव दीपक रूवाली कहते हैं, "स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है. जुलाई 2002 से यह शासनादेश लागू है."

दीपक रूवाली के मुताबिक इस क़ानून से इस प्रकार किसी महिला के प्रभावित होने का ऐसा पहला मामला ही उनको मालूम है.

क़ानून की राय लेने की सलाह

उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल इस मामले में कहती हैं, "अगर कोई नियम बना दिया गया है तो जैसे हम रिज़र्वेशन को मानते हैं, वैसे ही इस नियम को भी मानना चाहिए. जब कोई नियम बन जाए और क़ानून बन जाए तो वह सभी पर लागू होना चाहिए. जहां तक बात इस मामले की है तो मैं यही कहूंगी की उन्हें क़ानूनी राय लेनी चाहिए."

वैसे बच्चों की शर्तों से नीता जैसी कई महिलाएं प्रभावित हो सकती हैं, जो राजनीति के ज़रिए समाज सेवा करना चाहती हैं, ऐसा उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष अमिता लोहानी का मानना है.

अमिता लोहानी
Shahbaz Anwar/BBC
अमिता लोहानी

नीता पांचाल का ज़िक्र करते हुए अमिता लोहानी ने कहा, "एक तरफ़ तो हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम नीता जैसी महिला की सदस्यता रद्द कर रहे हैं. ये ग़लत हुआ है. हालात को देखते हुए न्याययोचित फ़ैसला होना चाहिए."

जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की तैयारियों के सवाल पर वे कहती हैं, "ये क़ानून बेहतर तो है, लेकिन इसे परिस्थितियों के आधार पर लागू किया जाए."

साथ ही वे यह भी कहती हैं कि महिलाओं को हर क्षेत्र में पचास फ़ीसद आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए.

नीता पांचाल गर्भवती हुईं तो उन्हें मालूम था कि तीसरी संतान होने पर उनकी सदस्यता पर ख़तरा मंडरा सकता है. उन्होंने ख़ुद भी ये कहा कि पद की जगह उन्होंने अपने बच्चे को चुना, पर हर मामले में महिला-पुरुष की सोच ऐसी हो ज़रूरी नहीं है. ऐसा कहना है उत्तराखंड बाल विकास समिति की पूर्व चेयरमैन कविता शर्मा का.

कविता शर्मा ने बताया, "कईं महिलाएं और पुरुष बेहद महत्वकांक्षी होते हैं. ऐसी परिस्थितियों में अपनी इच्छाओं और तरक़्क़ी में बाधा के डर से तीसरी संतान के पैदा होने के भय में ग़लत रास्ते चुन सकते हैं, पर जनसंख्या नियंत्रण क़ानून भी मौजूदा समय की ज़रूरत है. हां, इसमें महिला अधिकारों को देखते हुए कुछ कुछ शर्तें भी शामिल कर ली जाएं तो बेहतर होगा."

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English summary
story of BJP leader who lost the councilor's post after having a third child
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