क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

#Shivsena: बीजेपी से शिवसेना के 'तलाक' के पीछे ये हैं पांच वजहें

Google Oneindia News

नई दिल्ली। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी और शिवसेना के बीच तलाक हो गया है। करीब दो दशकों से एनडीए की अहम सहयोगी रही शिवसेना ने आगामी लोकसभा चुनाव में 'एकला चलो रे' का फैसला लिया है। मंगलवार को शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित करके पार्टी ने इस फैसले पर मुहर लगा दी है। पार्टी नेता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना 2019 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। पिछले कुछ समय से शिवसेना और बीजेपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। ऐसे में दोनों पार्टियों के अलग होने की संभावना लगातार जताई जा रही थी, आखिरकार शिवसेना ने 2019 के आम चुनाव से करीब एक साल पहले ही अकेले चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया। आखिर वो कौन सी वजहें हैं जिसकी बदौलत शिवसेना ने इतना बड़ा फैसला लिया, साथ ही शिवसेना के लिए आगे क्या चुनौतियां रहेंगी, पढ़िए खास विश्लेषण...

केंद्र और राज्य सरकार में ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं मिलना

केंद्र और राज्य सरकार में ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं मिलना

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसले के बाद पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि 2019 का अगला लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पार्टी एनडीए से अलग होकर अपने दम पर लड़ेगी। इस फैसले के पीछे सबसे अहम वजह यही मानी जा रही है कि बीजेपी के साथ गठबंधन में उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। शिवसेना और बीजेपी दोनों के बीच गठबंधन केंद्र और राज्य दोनों ही जगहों पर है। केंद्र में शिवसेना के कोटे से केवल एक ही मंत्री हैं। शिवसेना की कोशिश थी कि उनके मंत्रियों की संख्या केंद्र में बढ़े लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे वो नाराज थी। वहीं महाराष्ट्र की बात करें तो वहां भी शिवसेना डिप्टी सीएम का पद चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साथ ही कोई बड़ा मंत्रालय भी शिवसेना के हाथ नहीं आया। ऐसे में पार्टी नेतृत्व खासा नाराज नजर आ रहा था।

अपना आधार बचाने के लिए लिया फैसला

अपना आधार बचाने के लिए लिया फैसला

शिवसेना को लग रहा है कि बीजेपी के साथ गठबंधन से पार्टी को नुकसान हो रहा है। उनका आधार लगातार कम होता जा रहा है, ऐसे में पार्टी ने 'एकला चलो रे' के जरिए एक बार फिर से अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश शुरू की है। दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से बीजेपी 24 सीट पर और शिवसेना ने 20 सीट पर चुनाव लड़ा। जिसमें बीजेपी ने 24 में से 23 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं शिवसेना को 20 में से 18 सीटों पर जीत मिली। शिवसेना के इस कदम के पीछे कोशिश यही है कि महाराष्ट्र में एक बार फिर से अपनी स्थिति मजबूत की जाए।

सरकार के खिलाफ लगातार जारी बयानबाजी

सरकार के खिलाफ लगातार जारी बयानबाजी

शिवसेना ने भले ही आज इस बात का ऐलान किया है कि वो 2019 में अकेले चुनाव लड़ेगी। हालांकि इसकी झलक कुछ समय पहले ही मिल गई थी जब उद्धव ठाकरे ने धमकी दी थी कि अगर जरूरत हुई तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग भी हो जाएगी। शिवसेना की ओर से लगातार बीजेपी आलाकमान के रवैये पर सवाल उठाए जा रहे थे। साथ ही केंद्र की मोदी सरकार के फैसले भी शिवसेना के निशाने पर थे। शिवसेना अपनी ही सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टी के तौर पर निशाना साध रही थी।

युवाओं में पैठ बनाने की कोशिश

युवाओं में पैठ बनाने की कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से युवाओं को फोकस करके अपनी राजनीति को खास बनाया है, शिवसेना भी उसी राह में चलती दिख रही है। यही वजह है कि पार्टी ने 2019 चुनाव को लेकर आदित्य ठाकरे को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के तौर पर शामिल किया है। आदित्य ठाकरे युवा चेहरा हैं, महाराष्ट्र में युवाओं को लुभाने के लिए पार्टी ने उनका कद बढ़ाया है। शिवसेना को उम्मीद है कि युवाओं में उनके इस फैसले का असर दिखेगा।

मोदी के बढ़ते कद का असर

मोदी के बढ़ते कद का असर

करीब दो दशकों से ज्यादा समय तक बीजेपी और शिवसेना गठबंधन में हैं। हालांकि 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के उभार के बाद से ही शिवसेना और बीजेपी में दूरियां बढ़ने लगी। खास तौर से हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी सियासी जमीन मजबूत करने वाली शिवसेना को अपनी ही सहयोगी बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलती नजर आई। उन्हें लगने लगा कि बीजेपी उनके वोट बैंक में सेंधमारी कर रही है। कहा जा रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर में बीजेपी और शिवसेना के बीच जिस तरह के रिश्ते थे, वो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के दौर में कहीं न कहीं कमजोर हुआ है। ऐसे में पार्टी ने 2019 का चुनाव अलग लड़ने में भी अपनी भलाई समझी और इस फैसले का ऐलान कर दिया।

<strong>इसे भी पढ़ें:- 2019 का चुनाव अकेले लड़ेगी शिवसेना, आदित्य ठाकरे को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी </strong>इसे भी पढ़ें:- 2019 का चुनाव अकेले लड़ेगी शिवसेना, आदित्य ठाकरे को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी

Comments
English summary
ShivSena to fight 2019 election all alone keeping BJP aside, consequences and five prominent reasons
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X