6 मिनट पैदल चलने के आधार पर वैज्ञानिकों ने कर दी लोगों की मौत की भविष्यवाणी, रिसर्च में बड़ा खुलासा
लोगों के जीवन के बारे में वज्ञानिकों ने बड़े रहस्य का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे लोगों की मृत्यु के बारे में सटीक जानकारी दे सकते हैं।
लोगों के जीवन के बारे में वज्ञानिकों ने बड़े रहस्य का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वे लोगों की मृत्यु के बारे में सटीक जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के चलने की तरीकों से उसकी मृत्यु के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। कलाई में पहने जाने वाले एक मोशन सेंशर से जुड़े एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है। ट्रैकिंग उपकरणों से लिए गए मेजरमेंट और डेटा का उपयोग पांच साल बाद तक किसी की मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
स्वास्थ्य और बायोमीट्रिक डेटा किया एकत्र
पीएलओएस डिजिटल हेल्थ जर्नल में गुरुवार को प्रकाशित अध्ययन ने यूके में 1,00,000 से अधिक लोगों से बायोबैंक परियोजना के हिस्से के रूप में डेटा एकत्र किया, जो 2006 से पहले की है। इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा विभिन्न लोगों से 14 वर्षों से अधिक समय के लिए स्वास्थ्य और बायोमीट्रिक डेटा एकत्र किया गया था।
छह मिनट की वाकिंग पर किया रिसर्च
इस अध्ययन लेखक ब्रूस शेट्ज के अनुसार, प्रतिभागियों के एक्सीलेरेशन और छह मिनट में तय की गई दूरी को शोधकर्ताओं द्वारा ट्रैक किया गया था। Physiopedia छह मिनट के चलने के टेस्ट को "एरोबिक क्षमता और सहनशक्ति का आकलन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले एक उप-अधिकतम व्यायाम परीक्षण के रूप में परिभाषित करता है।
यह है पूरा प्रोसेस
6 मिनट के समय में तय की गई दूरी को परिणाम के रूप में उपयोग किया जाता है जिसके द्वारा प्रदर्शन क्षमता में परिवर्तन की तुलना की जाती है। छह मिनट के वॉक टेस्ट के दौरान तय की गई स्पीड, एक्सिलेरेशन और दूरी की माप कलाई के सेंसर में एक्सेलेरोमीटर का उपयोग करके की जाती है।
दे रहा बेहद सटीक जानकारी
अध्ययन के पहले वर्ष के बाद वैज्ञानिकों द्वारा भविष्य की मृत्यु के अपने मॉडल का उपयोग करके की गई भविष्यवाणियां 72 प्रतिशत तक सही थीं। पांच साल बाद यह बढ़कर 73 फीसदी हो गया। 2021 से इसी तरह के एक अध्ययन में चलने के आधार पर मृत्यु की भविष्यवाणियों में सटीकता की समान दर पाई गई।
ऐसा किया विश्लेषण
इसका विश्लेषण मिनटों के बजाय घंटों के आधार पर किया जाता है। Schatz का तर्क है कि नए के परिणाम मोबाइल फोन और लेखन उपकरण जैसी सुलभ तकनीक का उपयोग करके 'निष्क्रिय' निगरानी का एक बेहतर उदाहरण हैं।
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