बाढ़, फिर बारिश और अब इनके बाद के संकट से जूझ रहे संगमवासी
प्रयागराज में पिछले एक महीने से आई बाढ़ और पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश झेल रहे लोगों को अब पानी से तो राहत मिलने लगी है लेकिन बाढ़ और बरसात का पानी जो दर्द छोड़ गया है, उससे उबरने में उन्हें अभी कई दिन लगेंगे. दारागंज में दशाश्वमेध घाट के पास सब्ज़ी की छोटी सी दुकान चलाने वाली राजवती बताती हैं
प्रयागराज में पिछले एक महीने से आई बाढ़ और पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश झेल रहे लोगों को अब पानी से तो राहत मिलने लगी है लेकिन बाढ़ और बरसात का पानी जो दर्द छोड़ गया है, उससे उबरने में उन्हें अभी कई दिन लगेंगे.
दारागंज में दशाश्वमेध घाट के पास सब्ज़ी की छोटी सी दुकान चलाने वाली राजवती बताती हैं, "क़रीब दुई महीना होइ गवा, घर से बाहर रहते हुए. एक मंज़िल का छोटा सा घर है जो पानी में डूब गया. बाहर तिरपाल बिछाकर किसी तरह से घर के आठ लोग ज़िंदगी काट रहे थे. हमारी तरह दूसरे लोग भी ऐसे ही रह रहे थे."
राजवती कहती हैं कि उन दिनों की याद करके भी सिहरन हो उठती है. बताने लगीं, "एक तो बाढ़ की वजह से सारा सामान बह गया, दूसरे, लगातार हुई बारिश की वजह से ढंड भी पड़ने लगी. रात तो कांपते हुए ही बीतती थी. कोई सरकारी सहायता हमें नहीं मिली. हम लोग छत पर थे. राहत का सामान उन्हीं लोगों को मिलता था जो नाव में बैठकर कुछ दूर तक चले जाते थे. जो लोग सूखे में थे, उन तक कोई राहत सामग्री पहुंच ही नहीं पाती थी."
राजवती की बातों का समर्थन वहां बैठी कुछ अन्य महिलाएं भी करती हैं. दारागंज के ही तीर्थ पुरोहित राम सागर तिवारी कहते हैं कि हमारी जानकारी में तो सितंबर महीने में अब तक इतनी बरसात कभी नहीं हुई. राम सागर के मुताबिक, "गंगा और यमुना दोनों नदियों का पानी कम होने लगा था लेकिन एकाएक और कई दिनों तक हुई तेज़ बरसात की वजह से पानी फिर बढ़ गया, यानी नदी किनारे रहने वालों के लिए मुसीबत जाने के बाद फिर लौट आई."
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पिछले हफ़्ते चार-पांच दिनों तक हुई लगातार बारिश के कारण जहां आम जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया वहीं प्रमुख नदियों का पानी कम होने के बाद एक बार फिर चढ़ने लगा. लगातार हो रही बारिश के चलते अब तक राज्य भर में सत्तर से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रयागराज के हंडिया और पास के ज़िले कौशांबी में भी मकान ढहने से कुछ लोगों की मौत हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में फ़सलों को भी काफ़ी नुक़सान हुआ है.
हालांकि दो दिन से कुछ जगहों पर बरसात नहीं हुई है लेकिन मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले कुछ दिनों में अभी और बारिश की चेतावनी दी है. प्रयागराज में कई इलाक़े अभी भी बाढ़ की चपेट में हैं जबकि बरसात की वजह से ये ख़तरा लगातार बढ़ता जा रहा है. जिन इलाक़ों में बाढ़ का पानी हटने लगा है, वहां अब गंदगी के अंबार की वजह से बीमारियों के फैलने का भी ख़तरा बढ़ गया है.
राजापुर, सलोरी, करैली, दारागंज, म्योराबाद, बेली कछार, बघाड़ा, गऊघाट, मीरापुर, तेलियरगंज, झूंसी जैसे मोहल्लों के ज़्यादातर हिस्से पिछले कई दिनों से बाढ़ के पानी में डूबे हुए थे. बारिश की वजह से पानी सड़कों पर भी आ गया था. पिछले हफ़्ते बुधवार को शुरू हुई बारिश रविवार तक लगातार जारी रही.
प्रयागराज में गंगा और यमुना के किनारे बसे मोहल्लों के अलावा शहर के बीचो बीच बसे मोहल्लों में जलभराव की समस्या बढ़ गई. लगातार बारिश होने से जॉर्जटाउन, टैगोर टाउन, अल्लापुर, अलोपीबाग, चौक और सिविल लाइंस जैसे इलाक़ों में जलभराव हो गया. सोमवार को बारिश थम ज़रूर गई लेकिन अब लोगों की समस्या रुका हुआ पानी इससे संभावित नुक़सान से बचने की है.
म्योराबाद के दिनेश सिंह कहते हैं, "सफ़ाई तो की जा रही है. नगर निगम वाले भी कर रहे हैं, गंगा सफ़ाई वाले भी आ रहे हैं, स्वास्थ्य विभाग के लोग भी छिड़काव करने और दवाइयां देने आते हैं लेकिन जितनी गंदगी बाढ़ के बाद हुई है, उसे देखते हुए ये सब प्रयास काफ़ी कम लग रहे हैं."
वहीं संगम के पास दारागंज में राघव गुप्ता गंदगी के अंबार की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, "रोज़ सुबह कूड़ा उठाने वाले आते हैं, तब ये हाल है. जितना कूड़ा यहां से ले जाते हैं, थोड़ा पानी कम होते ही उससे दूना कूड़ा-कचड़ा और निकल आता है. इससे आप ये अनुमान भी लगा सकते हैं कि लोगों का कितना नुक़सान हुआ है."
दारागंज में आमतौर पर रोज़ सुबह गंगा स्नान करने वालों की काफ़ी भीड़ रहती है लेकिन बाढ़ की वजह से ये भीड़ भी कम हो गई है. गंगा किनारे कर्मकांड कराने वाले एक पुरोहित दिवाकर पांडे कहते हैं, "गंदगी की वजह से लोग गंगा स्नान करने भी नहीं आ रहे हैं. बाढ़ थी तो उसे देखने वालों की वजह से घाट के ऊपर गुलज़ार रहता था लेकिन इधर दो दिनों से लोगों का आना-जाना काफ़ी कम हो गया है."
दारागंज में कई इलाक़े अभी भी पानी में डूबे हुए हैं और लोग एक जगह से दूसरी जगह के लिए नावों का ही सहारा ले रहे हैं. बाढ़ का बुरा असर पड़ोसी जनपद कौशांबी में देखने को मिला है जहां लगातार हो रही बारिश ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है. बारिश की वजह से दो सौ से ज़्यादा लोग बेघर हो गए हैं और सैकड़ों बीघा धान की फ़सल डूबकर बर्बाद हो गई. फ़सलों का नुक़सान प्रयागराज, जौनपुर, फ़तेहपुर, रायबरेली और कुछ अन्य जगहों पर भी हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का भी बाढ़ और जलभराव से बुरा हाल है. लगातार बारिश के चलते शहर के कई मुख्य रास्तों पर पानी भर गया है और लोगों के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. वाराणसी में ट्रैफ़िक की समस्या वैसे ही गंभीर रहती है, जलभराव के चलते ये और बढ़ गई है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का दौरा कर चुके हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ और बरसात की वजह से जान गँवाने वालों के परिजनों को चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता की भी घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने ज़िलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को बाढ़ पीड़ितों की मदद और प्रभावित इलाक़ों की निगरानी करने के आदेश दिए हैं.
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प्रयागराज के ज़िलाधिकारी भानुप्रताप गोस्वामी का कहना है कि बाढ़ का प्रभाव भले ही ज़्यादा था लेकिन राहत कार्यों में मुस्तैदी से लोगों को दिक़्कतें कम से कम हुईं. उनका कहना था, "हर प्रभावित इलाक़े में राहत शिविर लगाए गए थे और पानी में फँसे लोगों को निकालने की हर संभव कोशिश की गई. इसी वजह से जन हानि नहीं होने पाई."
बारिश और बाढ़ के कारण रेलगाड़ियों के संचालन पर भी काफ़ी असर पड़ा है. बलिया में रेल ट्रैक ज़मीन में धँस जाने के कारण उस रूट पर चलने वाली कई गाड़ियों का डायवर्जन करना पड़ा है और कुछ ट्रेनों को निरस्त भी करना पड़ा है. वाराणसी के पास दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर रेल यात्रियों को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से सोमवार को काफ़ी हंगामा भी हुआ था.