भारत में तबाही मचाने के लिये हैदराबाद में जड़ें फैला रहा अल कायदा
हैदराबाद। हैदराबाद, जिसे पूरी दुनिया निजामों के शहर के तौर पर जानती है, अब दुनिया के खतरनाक आतंकी संगठन अल कायदा के पसंदीदा शहर में तब्दील होता जा रहा है।
एनआईए
की
पड़ताल
नेशनल
इनवेस्टिगेटिंग
एजेंसी,
एनआईए
की
मानें
तो
अल
कायदा
ने
पिछले
कुछ
समय
से
हैदराबाद
को
अपने
लिए
एक
ऐसे
खास
गढ़
के
तौर
पर
बनाने
की
कोशिशों
में
लगा
है
जहां
से
वह
केरल,
तमिलनाडु
और
कर्नाटक
के
कई
युवाओं
को
संगठन
के
लिए
आकर्षित
कर
सकता
है।
एनआईकी ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ऐसा लगता है कि पिछले कुछ समय से अपने इस काम को अंजाम देने में लगा हुआ था। सेना के उस सूबेदार ने कई ऐसी जानकारियां संगठन को मुहैया कराईं जो कुछ समय पहले हनी ट्रैप का शिकार हो गया था।
इस सूबेदार ने सेना के कई अधिकारियों के बारे में कई जानकारियां संगठन को दी और कई ऐसी जानकारियों के आधार पर इस बात का अंदाजा लगाया गया है कि शायद अल कायदा अब हैदराबाद को अपना बेस बनाने की कोशिशों में लगा है।
अल कायदा की स्लीपर सेल
सेना
के
इस
सूबेदार
की
ओर
से
कई
ऐसी
जानकारियां
हासिल
हुई
हैं
जिनसे
साफ
है
कि
इसने
कई
अहम
जानकारियों
को
इस
संगठन
के
साथ
शेयर
किया
है।
इस
सूबेदार
को
भी
अल
कायदा
ने
सिर्फ
इसलिए
अपने
जाल
में
फंसाया
क्योंकि
यह
हैदराबाद
का
रहने
वाला
था।
अलकायदा को लगता है कि यह शहर कई वजहों से संगठन के लिए काफी अहम हो सकता है। सबसे बड़ी हकीकत है कि अल कायदा दक्षिण भारत के सभी अहम शहरों से काफी बेहतरी से जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा सिमी के दो अहम ऑपरेटिव्स की गिरफ्तारी के बाद यह पता लगा है कि अल कायदा पिछले कुछ दिनों से हैदराबाद में अपना बेस स्थापित करने की कोशिशों में लगा है है। सिमी अलकायदा से ही जुड़ा हुआ संगठन है।
पिछले दिनों हैदराबाद में गिरफ्तार सिमी के ऑपरेटिव्स की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यह दोनों ही लोग एक और ऑपरेटिव जिसका नाम मोतासिम है उसके साथ मिलकर हैदराबाद में युवाओं को संगठन में शामिल करना चाहते थे।
इंटेलीजेंस ब्यूरों के अधिकारियों के मुताबिक हैदराबाद में इस समय सिमी और अल कायदा की आठ स्लीपर सेल मौजूद हैं। कई युवाओं ने को भी अल कायदा की इस क्षेत्र में शुरुआत के बाद से इन स्लीपर सेल में शामिल किया गया है।
क्यों
हैदराबाद
अल
कायदा
के
लिए
बेहतर
अल
कायदा
के
लिए
हैदराबाद
में
अपना
सबसे
बड़ा
मॉड्यूल
स्थापित
करना
कोई
बहुत
मुश्किल
काम
नहीं
था
क्योंकि
हैदराबाद
पहले
से
ही
हरकत-उल-जिहादी
इस्लामी
यानी
हूजी
नाम
के
एक
संगठन
का
अहम
गढ़
रहा
है।
इस
संगठन
को
शाहिद
बिलाल
नाम
के
एक
शख्स
ने
तैयार
किया
था।
हूजी
पहले
से
ही
अल
कायदा
का
एक
प्राकृतिक
संगठन
रहा
है।
यही संगठन बांग्लादेश में जमात-उल-बांग्लादेश के नाम से अलकायदा के साथ जुड़ा है। अल कायदा के लिए हैदराबाद में काफी संभावनाए मौजूद हैं जिसका श्रेय काफी हद तक हैदराबाद में संगठन के लिए मौजूद राजनीतिक समर्थन को जाता है।
इसके अलावा यहां पर युवा पुलिस के बर्ताव से काफी परेशान हैं और इस वजह से वह संगठन का हिस्सा बनने में जरा भी नहीं हिचकेंगे।
रियाजुद्दीन नजीर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। रियाजुद्दीन उस समय हूजी का हिस्सा बन गया जब उसके मक्का मस्जिद में ब्लास्ट के बाद पुलिस की ओर से हुई फायरिंग में उसके दोस्त की मौत हो गई थी।
इंटलीजेंस
ब्यूरो
और
हैदराबाद
पुलिस
की
ओर
से
जो
आंकड़ें
और
जानकारियां
इकट्ठा
की
गई
उनसे
भी
पता
लगता
है
कि
हैदराबाद
में
अल
कायदा
के
लिए
कई
समर्थक
मौजूद
हैं।
करीब
350
सदस्य
जल्द
से
जल्द
इस
संगठन
में
शामिल
होना
चाहता
है।
हैदराबाद पुलिस ने जिस मुद्दस्सर नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है उसकी ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मोतासिम नामक युवक यहां संगठन के मॉड्यूल को चला रहा है। उसने यह बात भी सुनिश्चित की थी कि ज्यादा से ज्यादा युवा इस मॉड्यूल में शामिल हों।
पुराना हैदराबाद सबसे सुरक्षित ठिकाना
आईबी अधिकारी के मुताबिक पुराना हैदराबाद अल कायदा के लिए सबसे सुरक्षित और मुफीद जगह है। पुराने हैदराबाद ने ही रियाजुद्दीन नजीर जैसे कई ऑपरेटिव्स को पनपने में मदद की है।
हूजी का संस्थापक शाहिद बिलाल भी इसी जगह पर पनपा और उसने आगे चलकर आतंक का बड़ा खेल खेला। पुराने हैदराबाद के अलावा शहर में कई ऐसे लोग हैं जो अल कायदा की विचारधारा का खुला समर्थन करते हैं।
लश्कर-ए-तैयबा उनमें से एक है, इस संगठन ने कई बार पुरजोर तरीके से हैदराबाद को भारत सरकार से आजाद करने और फिर से निजामों के नियमों को लागू करने की आवाज उठाई है।
लश्कर की यह अपील यहां के उन युवाओं को आसानी से आकर्षित करने वाली है जो इस तरह के संगठन में शामिल होने के लिए बेकरार हैं। हैदराबाद अल कायदा के लिए उस शहर के तौर पर है जहां से संगठन काफी बेहतरी से अपना संचालन शुरू कर सकता है।
अलकायदा के साझीदार सिमी ने कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा ली है। इसकी वजह से इस संगठन को काफी फायदा मिलने वाला है।
बर्दवान ब्लास्ट और हैदराबाद
केरल और तमिलनाडु में अल कायदा ने इस्लामी छात्र शिबिर और अल-उम्माह को अपने साथ जोड़ लिया है। इन दोनों ही नामों के बारे में बर्दवान ब्लास्ट के दौरान खूब चर्चा हो रही है।
अल कायदा सिर्फ एक ब्रांड और उसके लिए यही संगठन आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले हैं। खासतौर पर सिमी इसमें सबसे बड़ा रोल अदा करने वाला संगठन है।
इस बात के बारे में भी जानकारी मिली है कि अल कायदा का हैदराबाद मॉड्यूल पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र से भी जुड़ा हुआ है।
यह एक ऐसी जानकारी थी जो एनआईए की ओर से हैदराबाद स्थित इंटेलीजेंस ब्यूरो की शाखा को दी गई थी। इस जानकारी के बाद एजेंसी की ओर से इस बात की पड़ताल शुरू की गई कि क्या इस मॉड्यूल का कोई कनेक्शन बर्दवान ब्लास्ट से भी है।