अशोक गहलोत के तीखे हमलों और अपने विधायकों के डर के बारे में सचिन पायलट ने तोड़ी चुप्पी
नई दिल्ली। राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान पर मंगलवार को विराम लग गया। सचिन पायलट ने कांग्रेस आला कमान से मुलाकात के बाद घर वापसी कर ली है। लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को लेकर तीखे बयान दिए थे, उसपर पहली बार सचिन पायलट ने चुप्पी तोड़ी है। सचिन पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत ने मेरे खिलाफ जो बयान दिया उससे मैं दुखी था और यह सब सुनकर दंग रह गया। लेकिन मैंने चुप रहकर उदाहरण पेश करना बेहतर समझा।
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मेरे मसले व्यक्तिगत नहीं
सचिन पायलट ने कांग्रेस के शीर्ष कमान से मुलाकात की और अपनी शिकायतें उन्हें दर्ज कराई थी। जिसके बाद तीन सदस्यी पैनल का गठन किया गया। सचिन पायलट से जब पूछा गया कि आपकी क्या शिकायतें हैं तो उन्होंने कहा कि यह मेरे और मेरी पार्टी के बीच की बात है, यह मसले व्यक्तिगत नहीं है, सरकार से जुड़े हैं, सामूहिक नेतृत्व की जिम्मेदारी के हैं। मुझे इस बात का पूरा विश्वास है जैसे ही कमेटी अपना काम शुरू करेगी इसके सदस्यों का भी ऐलान कर दिया जाएगा।
अचानक कैसे खत्म हो गया विवाद
आखिर एकदम से कैसे एक महीने से लंबी लड़ाई सोमवार को खत्म हो गई, इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा कि मैं पहले ही दिन से मुद्दों पर बात करना चाहता था, जिसके बाद जयपुर में काफी कुछ हुआ, केस, एफआईआर, निष्कासन, पुलिस कार्रवाई, सस्पेंसन वगैरह। इन सबकी वजह से चीजें बिगड़ीं। जब मैं पहली बार दिल्ली गया, किसी ने नहीं सोचा था, चीजें इस तरह से बदलेंगी। लेकिन जयपुर में जो कुछ कार्रवाई की गई, वह कतई ठीक नहीं थी और उसने बातचीत के माहौल को बिगाड़ा। जब राहुल और प्रियंका जी इस मसले में आए तो पार्टी ने तय किया कि इस मसले का हल निकालना चाहिए।
क्यों हुई वापसी
कयास लगाए जा रहे थे कि सचिन पायलट के पास नंबर नहीं थे, जिसकी वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा। लेकिन सचिन पायलट का कहना है कि यह आसान आंकलन है, जब हमारे लिए एसओजी नोटिसा जारी किया गया, उस वक्त नंबर की कोई बात नहीं थी। मुझे स्टेट यूनिट से हटा दिया गया, जोकि ठीक है, लेकिन हमने इस बात को सुनिश्चत किया कि पार्टी से अलग जाने का रास्ता अख्तियार नहीं करेंगे। मैंने जो पहला और एकमात्र बयान दिया था वह यह था कि हम कांग्रेस के साथ हैं और इसमे कोई बदलाव नहीं है। मैं आज भी इस बात पर अडिग हूं।
विधायकों को जान का खतरा था
जिस तरह से सचिन पायलट अपने विधायकों संग राजस्थान छोड़ा एनसीआर में ठहरे थे, उसपर सचिन पायलट का कहना है कि अगर हम पुलिस की कार्रवाई से डरे होते तो हम कहीं भी रहते वो हमतक पहुंच जाते। अधिकतर विधायक अपनी जान को लेकर डरे हुए थे। हमे लगा कि कुछ विधायक अगर वापस जयपुर जाते हैं तो उनका शोषण हो सकता है या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो सकती है। वरना कौन है ऐसा जो घर से दूर रहना चाहता था। यही वजह है कि हम राजस्थान छोड़ एनसीआर में ठहरे थे।
अशोक गहलोत से मेरा व्यक्तिगत मतभेद नहीं
अशोक गहलोत से सरकार बनने के बाद से ही बातचीत बंद होने के सवाल पर सचिन पायलट ने हंसते हुए कहा ऐसा नहीं, मेरी तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, बेहतर हो कि यह सवाल मुख्यमंत्री से पूछा जाए। मैंने हमेशा उन्हें सम्मान दिया, वह मुझसे बड़े और अनुभवी हैं। व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री से मेरा कोई मतभेद नहीं है, यह सरकार के कामकाज और लोगों से किए गए वादे को पूरा करने को लेकर है। अशोक गहलोत ने जो कुछ मेरे बारे में कहा बेहतर है कि उनसे ही इस बारे में पूछा जाए। राजनीति व्यक्तिगत पसंद, नापसंद को लेकर नहीं होती है, यह मुद्दों पर होती है।
मुझे मेरी बात रखने का अधिकार
अशोक गहलोत तकरीबन 70 वर्ष के हैं और काफी अनुभवी हैं, उनके लिए मेरे भीतर सम्मान है, लेकिन बतौर मुख्यमंत्री उनके साथ मेरे कुछ मसले हैं, और यह सरकार को लेकर हैं। मुझे लगता है कि सरकार के कामकाज में बदलाव आना चाहिए। मुझे अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, यह पार्टी विरोधी, देश विरोधी नहीं है। हम सभी को इस तरह अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिए। पार्टी के साथ भविष्य के बारे में सचिन पायलट ने कहा कि मैंने किसी पद की मांग नहीं की है। मैंने कहा कि हमारे कार्यकर्ता, विधायक और नेताओं को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। हम सम्मान, स्वाभिमान चाहिए, मैं इसकी ही लड़ाई लड़ रहा हूं। जबतक हमारे पास यह सब है, हमे किसी और चीज की जरूरत नहीं है। पार्टी ने मुझे जो भी जिम्मेदारी दी उसका गंभीरता से मैंने वहन किया, आगे भी करता रहूंगा।
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