RTI में हुआ खुलासा, लुटियंस जोन के अधिकतर बंगले कांग्रेस और बीजेपी के कब्जे में
नई दिल्ली। देश के सबसे पॉश रेजिडेंशियल इलाका माने जाने वाले लुटियंस बंगला जोन पर देश की दो सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी का कब्जा है। इसका खुलासा हाल ही सामने आए एक आरटीआई में हुआ है। 1930 के दशक में, लेखक रॉबर्ट ब्रान ने लुटियंस दिल्ली को 'इतिहासकारों के रहस्य' के रूप में प्रशंसा की थी। लेकिन 25 किमी दायरे में फैले उस पूरे इलाके में बंगलों को आवंटित करने के लिए मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
सरकारनी नियमों की धज्जियां उड़ा रहीं हैं पार्टियां
यहां पर राजनीतिक दलों को जो बंगले दिए गए हैं उनके लिए समान किराया नीति नहीं अपनाई गई है। किसी भी राष्ट्रीय दल को दिल्ली में अपना ऑफिस चलाने के लिए सरकार की ओर से तीन साल के लिए सरकारी जमीन मुहैया कराई जाती है। इसके बाद उस पार्टी को अपना ऑफिस किसी अन्य जगह शिफ्ट करना होता है। लेकिन दिल्ली में सरकारी नियम की लगातार धज्जियां उड़ाई जाती रही है।
लुटियंस जोन के चार बंगलों पर कांग्रेस का कब्जा
नामित राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली में आवासीय आवास के लिए अर्हता रखते हैं। अगर उनके पास खुद का घर नहीं होता है । लेकिन शहरी विकास मंत्रालय के नियम भारत की दो बड़ी पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी, के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने आरटीआई में बताया कि, लुटियंस जोन के चार बंगलों पर कांग्रेस का कब्जा है। इनमें 24-अकबर रोड, 26 अकबर रोड, 5-रायसीना हिल्स और सी-II/109 चाणक्यपुरी शामिल हैं।
24 अकबर रोड बंगले का किराया मात्र 3920 रुपए महीने
24 अकबर रोड स्थित बंगला कांग्रेस को 1992 में आवंटित किया गया था। जबकि 26 अकबर रोड कांग्रेस का मुख्यालय है। वहीं 5 रायसीना हिल्स यूथ कांग्रेस और एनएसआईयू का ऑफिस है। जबकि चाणक्यपुरी का बंगला पार्टी के पदाधिकारियों के आवास के रुप में यूज किया जा रहा है। कांग्रेस 24 अकबर रोड बंगले के लिए 3920 रुपए महीने सरकार को किराया देती है। 2015 में सरकार ने सभी चारों बंगलों को खाली के लिए कांग्रेस को नोटिस दिया था। लेकिन इन बंगलों पर अभी भी कांग्रेस का कब्जा है।
लुटियंस जोन में बीजेपी के पास 2 बंगले
लुटियंस जोन में बीजेपी के पास 2 बंगले हैं। एक 11 अशोका रोड पर स्थित है, जो कि पार्टी का पहले मुख्यालय हुआ करता था। वहीं 14 पंत मार्ग बंगला राज्य ईकाई का ऑफिस है। 11 अशोक रोड के लिए संपत्ति निदेशालय ने दो तरह का किराया तय किया है। मार्च में जहां इस बंगले का किराया 3920 था वहीं अप्रैल में बढ़कर 78,921 रुपए हो गया। यहां पर एनसीपी और बीएसपी को भी सरकारी आवंटित बंगले मिले हुए हैं।
कई पार्टियां उड़ा रही हैं नियमों की धज्जियां
नियमों के मुताबिक राष्ट्रीय पार्टी को दिल्ली में ऑफिस की जगह दी जाती है लेकिन टीएमसी को अभी तक दिल्ली में ऑफिस के लिए जगह नहीं मिली है। वहीं समाजवादी पार्टी के पास राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा ना होने के बावजूद भी 18 कॉपरनिकस मार्ग पर 1993 से एक बंगले पर पार्टी का कब्जा है। सरकारी सर्कुलर 31 जुलाई 2014 के मुताबिक दिल्ली में राज्यीय पार्टी को ऑफिस उपलब्ध नहीं करवाया जाएगा। वहीं सीपीआई और सीपीएम दोनों को ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है लेकिन वह दिल्ली में खुद की जगह में ऑफिस चला रही हैं।