शोध: व्हाइट राइस खाने से डायबिटीज का खतरा ज्यादा, दक्षिण एशिया में बढ़ रहे मामले
नई दिल्ली: करीब 21 देशों में 1,30,000 से ज्यादा वयस्कों पर एक अध्ययन किया गया। जिसमें पता चला कि व्हाइट राइस (सफेद चावल) का ज्यादा सेवन करने वाले लोगों में डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है। अध्ययन में ये बात भी सामने आई कि डायबिटीज का ज्यादा जोखिम दक्षिण एशियाई देशों में है। इस अध्ययन में एशिया, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप के देशों का सहयोग था। जिसमें भारत, चीन, ब्राजील भी शामिल हैं।
गायब हो रहे पोषक तत्व
इस शोध को हैमिल्टन हेल्थ साइंसेज, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों ने मिलकर किया था, जो डायबिटीज हेल्थ जर्नल के सिंतबर के अंक में प्रकाशित हुआ। शोधकर्ताओं के मुताबिक व्हाइट राइस मील का चावल होता है। जिसमें भूसी और ऊपर का हिस्सा हटा दिया जाता है। इसके बाद इसे चमकदार बनाने के लिए इसकी पॉलिसिंग की जाती है। ये लंबे वक्त तक तो स्टोर किया जा सकता है, लेकिन मील और पॉलिसिंग की प्रक्रिया इसमें से बिटामिन बी जैसे पोषक तत्वों को हटा देती है।
42.5 करोड़ लोग इसकी चपेट में
शोधकर्ताओं एशिया में बेरीबेरी के प्रकोप को सफेद चावल से जोड़कर देखते हैं, क्योंकि इसमें विटामिट बी-1 नहीं रह जाता है। इसके अलावा ये ब्लड शुगर लेवल को भी बढ़ाता है। वैश्विक स्तर पर अभी 42.5 करोड़ लोगों को डायबिटीज है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2045 तक दुनिया में 62.9 करोड़ लोग इसकी चपेट में आ जाएंगे। 2012 के एक अध्ययन में पाया गया था कि सफेद चावल का ज्यादा सेवन करने वाले लोगों को डायबिटीज होने का खतरा 11 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
शोध में ये प्रमुख देश
वैसे देखा जाए तो व्हाइट राइस से डायबिटीज बढ़ने वाली रिपोर्ट का निष्कर्ष कुछ हद तक शोध के तरीके पर भी निर्भर करता है। जैसे सिंगापुर में करीब 45 हजार लोगों पर शोध हुआ था, जहां पर इसका उपयोग करने वाले बहुत से लोगों को डायबिटीज नहीं थी। बाद में अध्ययन को बढ़ाया गया और ये अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ब्राजील, कनाडा, चिली, चीन, कोलंबिया, भारत, ईरान, मलेशिया, फिलिस्तीन, पाकिस्तान, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, स्वीडन, तंजानिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और जिम्बाब्वे में भी हुआ।
क्या निकला निष्कर्ष?
अध्ययन में 21 देशों से 35 से 70 वर्ष के बीच के 1,32,373 लोगों को शामिल किया गया था। जिनकी निगरानी साढ़े नौ साल तक की गई। इनमें से 6,129 लोग अध्ययन के दौरान डायबिटीज का शिकार हुए। अध्ययन में शामिल लोगों में सफेद चावल की खपत 128 ग्राम प्रति व्यक्ति रोजाना थी। शोध में ये भी पता चला कि सफेद चावल की सबसे अधिक खपत दक्षिण एशिया में एक दिन में 630 ग्राम देखी गई है। इसके बाद दक्षिण पूर्व एशिया में 239 ग्राम और चीन में 200 ग्राम प्रति दिन की दर है। वहीं चावल की अपेक्षा गेहूं, फाइबर, रेड मीट और डेयरी उत्पादों की खपत कम हुई है।