RBI ने राज्यों के WMA लिमिट को बढ़ाया, जानें क्या होंगे इसके फायदे?
नई दिल्ली: देशभर में चल रहे लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर ने कई बड़े ऐलान किए। जिसके तहत SIDBI को 15 हजार करोड़, NHB को 10 हजार करोड़ और NABARD को 25 हजार करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। वहीं राज्यों को लॉकडाउन के बाद आर्थिक संकट से निकालने के लिए WMA लिमिट को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि आरबीआई के इस ऐलान के बाद प्राइवेट सेक्टर और राज्य सरकारों को थोड़ी राहत मिलेगी।
क्या
होती
है
WMA
लिमिट?
केंद्र
और
राज्य
सरकार
हर
साल
वित्तीय
वर्ष
की
शुरुआत
में
अपना
बजट
बनाती
है।
इस
बजट
में
ये
तय
होता
है
कि
कितनी
राशि
सरकारी
खजाने
में
आएगी
और
कितना
खर्च
सरकार
करेगी।
कई
बार
ऐसी
स्थिति
बन
जाती
है
कि
खर्च
ज्यादा
होता
है
और
खजाने
में
राशि
कम
होती
है।
कोरोना
की
वजह
से
पूरे
देश
में
लॉकडाउन
है,
जिससे
सभी
सरकारों
को
राजस्व
का
नुकसान
हो
रहा
है।
ऐसे
में
आने
वाले
वक्त
में
ऐसा
हो
सकता
है
कि
सरकार
के
खजाने
में
राशि
कम
हो
जाए
और
खर्च
बहुत
ज्यादा।
इससे
निपटने
के
लिए
आरबीआई
ने
एक
प्रावधान
किया
है,
जिसे
वेज
एंड
मींस
एडवांस
(WMA)
कहते
हैं।
इसके
तहत
सरकार
बाजार
से
उधार
लेने
की
बजाए
आरबीआई
से
कर्ज
लेती
है।
इसके
बदले
में
कुछ
भी
गिरवी
रखने
की
जरुरत
नहीं
पड़ती
है।
अब
कोरोना
संकट
को
देखते
हुए
आरबीआई
ने
राज्यों
की
WMA
लिमिट
60
प्रतिशत
बढ़ा
दी
है।
जिससे
राज्य
सरकार
के
पास
पैसे
की
कमी
नहीं
रहेगी।
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गिरती
अर्थव्यवस्था
को
RBI
की
टॉनिक
कोरोना
संकट
के
कारण
देश
की
गिरती
अर्थव्यवस्था
को
संभालने
के
लिए
रिजर्व
बैंक
ऑफ
इंडिया
ने
बूस्टर
डोज
की
घोषणा
की।
रिजर्व
बैंक
ऑफ
इंडिया
के
गवर्नर
शक्तिकांत
दास
ने
रिवर्स
रेपो
रेट
में
कटौती
के
साथ-साथ
कई
बड़े
ऐलान
किए
हैं।
बाजार
में
लिक्विडिटी
बढ़ाने
के
लिए
RBI
ने
एक
लाख
करोड़
रुपए
की
मदद
का
ऐलान
किया।
बैंकों
को
राहत
देने
के
लिए
केंद्रीय
बैंक
ने
रिवर्स
रेपो
रेट
में
25
बेसिस
प्वाइंट
की
कटौती
की
है।
इस
कटौती
के
बाद
अब
रिवर्स
रेपो
रेट
4%
से
घटकर
3.75%
हो
गया
है।