वैदिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने की रेस में रामदेव, किया आवेदन
नई दिल्ली। योग गुरू रामदेव की संस्था पतंजलि योगपीठ ने वैदिक शिक्षा के लिए देश के पहले राष्ट्रीय विद्यालय बोर्ड की स्थापना में अपनी रुचि जाहिर की है। इसके लिए भारतीय शिक्षा परिषद महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान ने आवेदन मंगाए हैं। रामदेव की संस्था ने बोर्ड के गठन में अपनी इच्छा जाहिर की है। आपको बता दें कि महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेदविद्यालय प्रतिष्ठान (एमएसआरवीपी) ने 11 फरवरी को भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना के लिए आवेदन मांगे थे, जिसकी अंतिम तारीख 19 फरवरी थी।
क्या पढ़ाया जाएगा
संस्था की वेबसाइट के अनुसार पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट उन तमाम संस्थाओं में शामिल है जोकि इस बोर्ड की स्थापना की इच्छुक है। यह बोर्ड मुख्य रूप से यज्ञ, आर्गेनिक खेती, गो मूत्र, योग और आयुर्वेद आदि विषयों पर शोध और इन तमाम विषयों पर शिक्षा देगी। रामदेव के अलावा इस संस्था के ट्रस्टी आचार्य बालकृष्ण, स्वामी मुक्तानंद और शंकरदेव हैं। एमएसआरवीपी को इस बात की जिम्मेदारी सौंपी गई है जोकि भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना के लिए प्राइवेट संस्थाओं को आवेदन को स्वीकार करेगी। एमएसआरवीपी पूर्ण रूप से स्वतंत्र संस्था है जिसे एचआरडी मंत्रालय वेद विद्या को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
क्या है वैदिक बोर्ड
यह बोर्ड भारत की पारंपरिक जानकारी की शिक्षा देगा, जिसमे मुख्य रूप से वैदिक शिक्षा, संस्कृत की शिक्षा, शास्त्र और दर्शन की शिक्षा आदि शामिल है। इसमे पाठ्यक्रम में परीक्षा, सर्टिफिकेट मुहैया कराना, गुरुकुल को मान्यता देना और स्कूलों व पाठशालाओं में वैदिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा मुहैया कराना शामिल है। सीबीएसई बोर्ड इसकी संबद्धता के लिए स्कूलों से अतिरिक्त शुल्क और परीक्षा शुल्क लेगा।
पहले खारिज हो गया था प्रस्ताव
बता दें कि तीन साल पहले स्मृति ईरानी की अगुवाई में एचआरडी मंत्रालय ने वैदिक शिक्षा बोर्ड बनाने के रामदेव के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उस वक्त मंत्रालय ने कहा था कि सरकार एक निजी स्कूल बोर्ड को आखिर कैसे मान्यता देगी। मौजूदा समय में केंद्र सरकार किसी भी निजी बोर्ड को मान्यता नहीं देती है। अभी तक एमएसआरवीपी को कुल तीन आवेदन मिले हैं।
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