जब एसपीजी ने राहुल को बराबर की बिल्डिंग में चल रही दोस्त की बर्थडे पार्टी में जाने से रोक दिया था
नई दिल्ली। कांग्रेस के दिल्ली स्थित मुख्यालय में आज आधिकारिक तौर पर राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया। राहुल गांधी की ताजपोशी के कार्यक्रम में उनकी मां और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जनार्दन द्विवेदी, मधुसूदन मिस्त्री, गुलाम नबी आजाद समेत पार्टी के दिग्गज नेता शामिल रहे। ताजपोशी के वक्त एक ऐसा मौका भी आया जब राहुल और सोनिया गांधी बेहद भावुक हो गए। मंच पर राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के पास पहुंचे और उनका माथा चूमा। सोनिया ने इस दौरान कहा कि राहुल ने बहुत दुख झेले हैं। राहुल अमेठी से सांसद हैं, वो लगातार किसी ना किसी वजह से चर्चा में बने रहते हैं। उनकी राजनीतिक और निजी जिंदगी के कई ऐसे पहलू हैं, जो लोगों से छुपे हैं। वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही ने एक ब्लॉग लिखकर राहुल की जिंदगी के कई पहलुओं को छुआ है। राहुल की जिंदगी के कई अनजाने किस्से उन्होंने साझा किए हैं।
जब इंदिरा गांधी ने दूर किया राहुल का अंधेरे से डर
राहुल गांधी पर 'राहुल डिकोडिंग' नाम की किताब में राहुल के अंधेरे से डरने और इंदिरा गांधी के उन्हें इस डर से निकालने का जिक्र है। एक शाम इंदिरा गांधी ने राहुल गांधी से घर के लॉन में अंधेरे की तरफ जाने को कहा। राहुल हिचकते हुए अंधेरी छाया की तरफ गये और वहां से वापस लौटकर दादी तक आए।
जब लॉन तक भी नहीं आ सकते थे राहुल
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल और प्रियंका एक तरह से घर के अंदर ही कैद होकर रह गए थे। यहां तक कि एसपीजी उन्हें घर में भी रहते हुए लॉन तक में जाने से रोकती थी। कालेज में भी राहुल गांधी आजादी के साथ कहीं घूम फिर नहीं सकते थे। एक बार राहुल गांधी अपने सहपाठी के जन्मदिन की पार्टी में जाना चाहते थे. पार्टी भी कालेज परिसर में हॉस्टल में हो रही थी लेकिन एसपीजी ने राहुल को वहां भी जाने नहीं दिया था।
2004 के लोकसभा चुनाव से उतरे राजनीति में, बनाई अपनी टीम
2004 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव घोषित हुए और राहुल गांधी ने सियासत में उतरने का फैसला किया। राहुल गांधी ने भले ही मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री नहीं बने लेकिन इस दौरान विदेश यात्राएं बहुत की। साथ ही राहुल गांधी ने अपनी टीम भी बनानी शुरु की। भंवर जीतेन्द्र सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अशोक तंवर, सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा, हरीश चौधरी, मीनाक्षी नटराजन, दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, नवीन जिंदल जैसे युवा नेताओं को राहुल ब्रिगेड का हिस्सा कहा जाता है।
राहुल गांधी की 'भारत खोज'
राहुल गांधी को सिंगापुर के पीएम ने देश को समझने कीसलाह दी और वो फिर इस सलाह मानते हुए देश को समझने निकले। दलित के यहां रात काटी, कहीं कालेज छात्रों के साथ बातचीत की, कहीं नरेगा में मिट्टी ढोई तो कहीं सड़क किनारे चाय पी। राहुल गांधी के गरीब भारत और अमीर इंडिया की बात की, मनरेगा मजदूरों की मजदूरी समय पर मिलने का मुद्दा उठाया, दलितों आदिवासियों के अधिकारों की बात की, राजनीति में आगे आने के मौके मिलने की वकालत की और सिस्टम को बदल डालने पर जोर दिया। ये राहुल की जिंदगी में अहम रहा।
कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान राहुल गांधी
राहुल गांधी के काम करने की शैली पर एक बेहद दिलचस्प घटना का ब्यौरा आरती रामचंद्रन ने सुनाया। अक्टूबर 2010 में कामनवेल्थ खेलों से पहले खबरें छपी कि दिल्ली सरकार ने बाल भिखारियों को शहर से बाहर भेजने की योजना बनाई है। आरती ने इस पर अपनी पहचान छुपा कर राहुल को खत लिखा। दो दिन के भीतर ही आरती के पास जवाब आया और तीन दिन बाद ही आरती राहुल गांधी की एक जनसभा सोनिया गांधी के निवास के लॉन में हुई। राहुल गांधी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों से गरीब लोग दिल्ली में रोजगार की तलाश में आते हैं और उनके बच्चे भीख मांगने को मजबूर हो जाते हैं।
पत्रकार की 'छुपकर' मुलाकात
आरती रामचंद्रन बताती हैं, राहुल गांधी ने कनिष्क से कहा कि मुझे मीनाक्षी नटराजन से मिलवा दें. मीनाक्षी ने मुझे किसी अन्य के पास भेज दिया. जाते-जाते मैंने राहुल गांधी से कहा कि मैं पत्रकार हूं. राहुल गांधी चौंक गये और मेरे पत्रकार कैरियर के बारे में पूछा. मैंने इस मौके का फायदा उठाते हुए राहुल गांधी से कहा कि क्या कुछ सवाल मैं पूछ सकती हूं. इस पर राहुल गांधी ने पहले साफतौर पर मना कर दिया फिर कहा कि हो सकता है कि बाद में कभी मुझे इंटरव्यू का मौका मिले।
ये हैं राहुल गांधी की ताजपोशी की स्क्रिप्ट लिखने वाले कांग्रेस के 5 छुपे रुस्तम